उत्तर प्रदेश रामपुर में देवर-भाभी के बीच हुआं था कड़ा मुकाबला 1984 में चुनाव के लिए बेच दी थी हीरे अंगूठी

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एम सलीम खान/तौसीफ अहमद

रामपुर लोकसभा चुनावों का एक बड़ा इतिहास साल 1984 से जुड़ा है, रामपुर लोकसभा सीट से साल 1984 में हुए चुनाव में नवाब खानदान के दो भिम्बर एक दूसरे के सामने आ गये थे,साल 1984 में जुल्फिकार अली और उनकी भाभी आफताब जमानी बेगम साहिबा के बीच दिलचस्प मुकाबला हुआ था , दोनों ने चुनावी मैदान में जीत के लिए दिन रात एक कर दिया था,देश की सबसे बड़ी पंचायत तक पहुंचने के लिए रामपुर लोकसभा सीट से नवाब खानदान के दो भिम्बर उस समय आमने-सामने आ गए थे,नवाब जुल्फिकार अली खां उर्फ मिक्की मियां और उनकी भाभी आफताब जमानी बेगम साहिबा के बीच साल 1984 चुनावी लड़ाई को दोनों ने खूब पसीना बहाया था।

बेगम जमानी साहिबा ने चुनाव में दिल तोड मेहनत की थी, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें जीत हासिल नहीं हो पाई,31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री स्व श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में आम चुनाव हुए।

इस चुनाव में कांग्रेस की सहानुभूति लहर जमकर दौड़ी थी, सहानुभूति लहर के दौरान रामपुर लोकसभा सीट पर दिलचस्प चुनाव हुआ,इस चुनाव में नवाब के दो मिम्बर भी चुनावी मैदान में कूद पड़े।

कांग्रेस ने नवाज जुल्फिकार अली खां मिक्की मियां को चुनावी रण में उतारा तो इसी परिवार से मिक्की मियां के बड़े भाई नवाब मुर्तजा अली खां की बीबी आफताब जमानी बेगम साहिबा ने इसी सीट से हुंकार भर दी , इस चुनाव में वो भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव मैदान में कूद पड़ी थी।

यह चुनाव बहुत ही दिलचस्प तरीके से लडा गया था, इस चुनाव में देवर को शिकस्त देने के लिए आफताब जमानी बेगम साहिबा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी, लेकिन आफताब जमानी बेगम अपने देवर मिक्की मियां को शिकस्त देने में कामयाब नहीं हो सकी ‌।

इस दिलचस्प मुकाबले में देश भर की नजरें बनी हुई थी, आखिकार मिक्की मियां को जीत हासिल हुई,इस मुकाबले में आफताब जमानी बेगम तीसरे स्थान पर आईं, और उन्हें इसी से संतोष करना पड़ा।

66 फीसदी मतदाताओं ने तय किया था 11 उम्मीदवारों का भविष्य

साल 1984 के लोकसभा चुनावों में जीत का ताज नवाब जुल्फिकार अली खां के सर पर सजा था, इस चुनाव में कुल 65 फीसदी वोट का इस्तेमाल करते हुए चुनाव मैदान में उतरे 11 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला किया गया था,इस चुनाव में कुल 752171 वोटर थे , जिसमें से 494234 वोटरों ने अपने वोटों का इस्तेमाल किया था, यानी 65 फीसदी वोटरों ने अपने मताधिकार का उपयोग किया था।

वहीं देवर के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरीं आफताब जमानी बेगम साहिबा ने यह चुनाव हीरे की अंगूठी बेचकर लड़ा था,1984 में हुए आम चुनाव काफी महंगा बताया गया था। चर्चा रही थी कि निर्दलीय प्रत्याशी आफताब जमानी बेगम साहिबा ने इन चुनाव में पानी की तरह रुपया बहाया था, चर्चा है कि उन्होंने एक हीरे की अंगूठी बेचकर पूरा चुनाव लड लिया था,यह काफी दिनों तक यादगार रहा था, हालांकि चुनाव के बाद परिवारों के बीच कोई खटास नहीं थी, परिवारिक रिश्ते स्थिर ही रहें।

1984 के लोकसभा चुनाव पर नजर

उम्मीदवार दल

 नवाब जुल्फिकार अली खां कांग्रेस वोट 2,42209

राजेन्द्र शर्मा बीजेपी वोट 1,23252

आफताब जमानी बेगम साहिबा निर्दलीय प्रत्याशी वोट 69877

इन उम्मीदवारों की भी किस्मत थी दांव पर बलवीर सिंह, सियाराम, मोहम्मद उमर, सुधीर यादव, अब्दुल ल ईक खान,पुतन, दिलदार अली, अनिल कुमार, नासिर हुसैन।


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