आर्य समाज मंदिर ने बनाया मैरिज सर्टिफिकेट,हाईकोर्ट ने जताई नाराज़गी, कहा हाजिर हो

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एम सलीम खान ब्यूरो-

लखनऊ इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्य समाज गुरुद्वारों और मंदिरों जैसे विभिन्न निजी संस्थानों द्वारा विवाह प्रमाणपत्र जारी करने पर हैरानी जताई है, न्यायमूर्ति अरविंद सिंह सांगवान और न्यायमूर्ति शिव शंकर प्रसाद की खंडपीठ ने प्रयागराज में आर्य समाज के एक हस्ताक्षरकर्ता को ऐसे विवाहों के पंजीकरण से संबंधित दस्तावेजों के साथ उनके समक्ष हाजिर होने के भी आदेश दिए हैं।

अदालत ने यह आदेश मधु (याचिकाकर्ता) नंबर 1 और उसके कथित पति याचिकाकर्ता नंबर 2 द्वारा आईपीसी की धारा 363 और 366 के अंतर्गत दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए दायर एक आपराधिक रिट याचिका पर विचार करते हुए पारित किया, याचिकाकर्ता नंबर 1 लड़की के परिजनों ने याचिकाकर्ता नंबर 2 लड़के के विरुद्ध उक्त एफआईआर दर्ज कराई थी।

लाइव ला की रिपोर्ट के मुताबिक याचिकाकर्ता के मामले में जैसा कि एफआईआर नंबर 1 की उम्र 17 साल और 6 महीने बताईं गईं हैं, हालांकि आधार कार्ड के मुताबिक वह बालिग है और उसने याचिकाकर्ता नंबर 2 के साथ इस साल फरवरी में आर्य समाज जार्ज टाउन प्रयागराज में शादी की अब वो दोनों अपनी इच्छा के मुताबिक पति-पत्नी के तौर पर एक साथ रह रहे हैं ‌।

यह देखते हुए मामले पर विचार करने की आवश्यकता है, अदालत ने विपक्षी पक्षों को नोटिस जारी किया और उन्हें छह हफ्ते के अंदर जवाबी हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

हालांकि मामले को अगली सुनवाई के लिए स्थापित करने से पहले अदालत इस बात से आच्श्रचकित थी गुरुद्वारा या मंदिर जैसें विभिन्न निजी संस्थानों द्वारा इसी प्रकार के विवाह प्रमाणपत्र जारी किए गए थे।

अदालत ने कहा यह स्पष्ट नहीं है कि शादी के समय याचिकाकर्ताओं ने विवाह प्रमाणपत्र जारी करने वाले संबंधित प्राधिकारी के समक्ष कोई खुलासा किया था कि एफ आई आर याचिकाकर्ता संख्या 2 के खिलाफ 21-2-2824 को पहले ही दर्ज की जा चुकी है, कोर्ट ने यह भी कहा कि यह स्पष्ट नहीं है कि विवाह के पंजीकरण से पूर्व संबंधित संस्था ने किसी तरह के दस्तावेज बनाएं रखें थे।

इसे देखते हुए न्यायालय ने मौजूदा मामले में विवाह प्रमाणपत्र के हस्ताक्षरकर्ता को ऐसे विवाहों के होने और पंजीकरण से दस्तावेजों को अपना हलफनामा दाखिल करने के लिए भी कहा कि क्या उन्हें यह सूचित किया गया था कि मंदिर में विवाह के पंजीकरण से पूर्व ही एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी, मामले को अगली सुनवाई 10 अप्रैल 2024 को सूचीबद्ध किया गया है।


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