नई दिल्ली – सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि किसी भी व्यक्ति के सिर के ऊपर छत होना उसका मौलिक अधिकार है, लेकिन अगर किफायती दरों पर लोगों को आवास मुहैया कराने में सरकारी नीतियां असमर्थ रहतीं हैं, तो ऐसे में अनाधिकृत कालोनियों का बनना लाज़मी है, सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के अकबर नगर में दो दर्जन कथित अवैध कालोनियों को ध्वस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों को खारिज करने के लिए दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान कही है, सुप्रीम कोर्ट ने इन 24 अवैध कालोनियों को ध्वस्त करने के आदेश पर चार मार्च तक के रोक लगा दी है, शीर्ष अदालत ने सरकार से पूछा है कि जिन लोगों के घरों को ध्वस्त किया गया है, क्या उन्हें किसी तरह की आर्थिक सहायता की आवश्यकता होती है, जस्टिस खन्ना ने कहा कि सिर के ऊपर छत होना यानी घर होना लोगों का मौलिक अधिकार है,
संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट