
दिल्ली – (एम सलीम खान ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2024 की संवैधानिक वैधता को बराकर रखा, सर्वोच्च न्यायालय ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 22 मार्च को दिए गए फैसले को खारिज दिया इस फैसले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड अधिनियम को रद्द कर दिए था।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अहम फैसले में कहा कि उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट संविधान का उल्लघंन है उच्च न्यायालय इलाहाबाद का फैसला सही नहीं था, सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को खारिज कर दिया जिस में यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया गया था।
सर्वोच्च न्यायालय ने मदरसों में शैक्षिक मानकों को आधुनिक शैक्षणिक अपेक्षाओं के तौर पर बनाने में राज्य की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल दिया है और यह भी घोषित किया कि मदरसे उच्च शिक्षा की डिग्री प्रदान नहीं करते क्योंकि यह यूजीसी अधिनियम का उल्लघंन होगा,देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में शामिल तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ में शामिल न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने इस याचिका की सुनवाई की।
सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने प्रदेश के कानून की वैधता की पुष्टि की और कहा कि सिर्फ इस तथ्य से किसी कानून में किसी तरह का धार्मिक प्रशिक्षण या निर्देश शामिल हैं वह असंवैधानिक नहीं हो जाता, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट यह कहकर गलती कर दी यदि कानून धर्म निरपेक्षता का उल्लघंन करता है।
तो उसे निरस्त किया जाना चाहिए, इस तथ्य पर ध्यान देना चाहिए कि शिक्षा के मानकों को विनियमित कर सकता है मुख्य न्यायाधीश ने खंडपीठ की तरफ से निर्णय सुनाते हुए कहा गया कि अधिनियम राज्य के सकारात्मक दायित्व के अनुरूप है यह सुनिश्चित किया जा सके कि मान्यता प्राप्त मदरसों में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र न्यूनतम स्तर की योग्यता प्राप्त करें।
जिससे समाज में प्रभावी ढंग से भाग ले सकें और जीविका पार्जन कर सकें यह फैसला अंजुम कादरी और अन्य मुस्लिम समुदाय द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुनाया है, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आजादी के बाद से मदरसों ने देश को बहुत से आई ए एस ओ आई पी एस अफसर दिए हैं।

