क्या 2 जजों वाली खंडपीठ बिलकिस बानों केस में कैसे अपने ही 2 फैसलों में उलझ गया सर्वोच्च न्यायालय

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नई दिल्ली – बिलकिस बानों मामले में सभी दोषियों ने 21 जनवरी को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद गोधरा शहर की एक कारागार में आत्मसमर्पण किया था, सभी 11 आरोपियों को 2002 के गोधरा दंगों के दौरान बिलकिस बानों से सामूहिक दुष्कर्म और उसके परिजनों सहित सात सदस्यों की निर्मम हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया था,

बिलकिस बानों केस के दो दोषियों ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर कर शीर्ष अदालत से यह तय करने की गुहार लगाई है कि क्या दो जजों वाली खंडपीठ उस मामले पर पहले के दो जजों की खंडपीठ द्वारा दिए गए फैसले को खारिज कर सकती हैं? मामले में दोषी राधेश्याम भगवान दास और राजूभाई बाबूलाल सोनी ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी रिहाई पर गुजरात या महाराष्ट्र किस राज्य सरकार की रिहाई की नीति लागू होगी? इस पर सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों के ही दो अलग-अलग खंडपीठ के फैसले में विरोधाभास है,

याचिका में कहा गया है कि मई 2022 के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय के दो जजों की खंडपीठ ने कहा कि उनकी रिहाई के लिए गुजरात सरकार फैसला ले सकती है, जबकि 20024 सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की खंडपीठ ने माना कि उनकी रिहाई के लिए फैसला महाराष्ट्र सरकार लेगी,

ऐसे में याचिका के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय से यह स्पष्ट करने के लिए कहा गया कि उनके मामले पर दो जजों की दो अलग-अलग खंडपीठ से दिए गए फैसले में से कौन सा फैलाया लागू होगा, दोषियों की ओर से दाखिल की गई रिट याचिका की मेटेनिबिलिटी पर भी सवाल उठाए गए हैं।

संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट


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