बरेली – (एम सलीम खान ब्यूरो) उत्तर प्रदेश की एक जिला एवं सत्र अदालत ने झूठा मुकदमा दर्ज करने के एक मामले में सख्त रुख अख्तियार किया है और बरेली के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी ने बीते शुक्रवार को एक निर्णायक फैसला सुनाया है, इस मामले में न्यायाधीश ने दहेजा हत्या के एक मुकदमे पर अहम फैसला सुनाते हुए गहरी चिंता जताई है और मृतक लड़की के पिता को ही दंडित किया है न्यायाधीश ने इस मामले में अपने फैसले में बैंगलोर के एआई इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या को बदलते सामाजिक परिवेश का उदाहरण क़रार देते हुए कहा कि वैवाहिक विवादों में झूठे आरोपों की वजह से निर्दोष लोगों का जीवन बर्बाद हो रहा है,जज ने अपने सख्त टिप्पणी करते हुए कि अब विवाह के बाद लड़कियों को पति पर परिवार से अलग रहने का दबाव बना है और जब उसकी इच्छा पूरी नहीं होती तो झूठे मुकदमे का सहारा लिया जाता है, जानकारी के मुताबिक बरेली उत्तर प्रदेश के विशारतगज थाना क्षेत्र की रहने वाली शालू का विवाह साल 2019 में सोनू से हुआ था 20 जुलाई साल 2023 को शालू ने अपनी ससुराल में आत्महत्या कर ली थी वारदात के शालू के पिता बाबू राम ने ससुराल पक्ष पर संगीन आरोप लगाते हुए नवाबगंज थाने में पति सोनू ,देवर, ससुर पोशीकीलाल और दादिया सांस को 18 महीने तक जेल में बंद रहना पड़ा अदालत ने इस आधार पर फैसला सुनाया कि लड़की के पिता बाबू राम को उतने ही दिन तक जेल में बंद रहना होगा जितने दिन जेल में लड़के के परिजनों को रहना पड़ा था अदालत ने लड़के के परिजनों को निर्दोष करार देते हुए लड़की के पिता को 800 दिन तक जेल में रहने की सजा से दंडित किया है, सरकारी अधिवक्ता सुनील पांडे ने बताया कि अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ज्ञानेन्द्र त्रिपाठी ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मृतक के पिता बाबू राम को 800 दिन मसलन दो साल दो महीने और दस दिन की सजा और 2.54.352,35 रुपए का जुर्माना लगाया है जितना मृतक के ससुराल पक्ष के लोगों ने जेल में वक्त गुजारा है उतना ही वक्त मृतक के पिता को जेल में बितना होगा अदालत ने अपने फैसले में यह सजा सुनाई है।

