सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से किया इंकार याचिकाकर्ता को लगाईं फटकार यह थी वजह

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पीटीआई नयी दिल्ली -(एम सलीम खान ब्यूरो) सुप्रीम कोर्ट ने बीते सोमवार को एक याचिका पर सुनवाई करने से साफ इंकार कर दिया और अपनी तल्ख़ टिप्पणी में कहा कि राज्यों के पास किफायती आवास मुहैया कराने के लिए पैसे नहीे है लोगों के पास पीने के लिए स्वच्छ पानी नहीं है और आप साइकिल ट्रैक के बारे में दिवास्वप्न देख रहे हैं, न्यायालय ने कहा कि सरकारी स्कूल बंद हो रहे हैं और आप साइकिल ट्रैक चाहते हैं? बताते चलें कि साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए काम करने वाले दविंदर सिंह नागी ने सर्वोच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की थी जिसमें उन्होंने साइकिल ट्रैक बानने की मांग की थी इस दायर याचिका में देशभर में साईकिल टै्रक बनाने की मांग की गई थी नागी के अधिवक्ता ने अदालत को दलील दी कि बहुत से राज्यों में साइकिल ट्रैक है, उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के एक द्वार के बाहर भी साइकिल ट्रैक है, उन्होंने चुनिंदा महानगरों और कस्बों में बुनियादी ढांचे के विकास पर अदालत का ध्यान केंद्रित करने वाली अटल मिशन फार रिजुवनेशन एंड अर्बन ट्रांसफोर्मेशन योजना का हवाला दिया न्यायाधीश जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की खंडपीठ ने देश में अलग साइकिल ट्रैक बनाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी, अदालत ने याचिकाकर्ता को जमकर फटकार लगाई पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि उन्हें अपनी प्राथमिकताएं सही करने की जरूरत है और उन्हें अन्य जरूरी मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और जनहित के अन्य मुद्दों पर अपना ध्यान केंद्रित करना चाहिए पीठ ने कहा कि आप झुग्गी झोपड़ी में जाइए और पता लगाएं कि लोग किस हालत में रह रहे हैं अदालत ने कहा कि राज्यों के पास किफायती आवास उपलब्ध कराने के लिए पैसे नहीं हैं और हम दिवास्वप्न देख रहे हैं लोगों के पास बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं और आप दिवास्वप्न देख रहे हैं कि साइकिल ट्रैक होने चाहिए अदालत ने कहा कि हमारी प्राथमिकताएं गलत हो रही है हमें अपनी प्राथमिकताएं सही रखनी होगी हमें संविधान के अनुच्छेद 21 के बारे में अधिक चिंतित होना चाहिए लोगों के पास पीने के लिए साफ पानी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट के इस कथन से एक बात तो साफ हो गई है हमारी राज्य सरकारें आम जनमानस को ढिंढोरा पीट पीट कर इस बात को साबित करने में व्यस्त हैं कि वे गरीब वर्ग को सस्ते आवास उपलब्ध कराएगी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय का यह कथन राज्य और केंद्र सरकार की कलाई खोलने वाला है।

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