जब जज साहब ने वकील साहब को बताईं वक्त की एहमियत फिर क्या हुआ – पढ़ें ये खबर

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एम सलीम खान ब्यूरो

उत्तर प्रदेश – एक वकील साहब को जमानत में सुनवाई करने देर पर पहुंचने पर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश योगेश खन्ना ने वक्त की कीमत को लेकर पाठ पढ़ाया न की उन्हें वक्त की अहमियत बताई बल्कि पेरवी कर एक 60 वर्षीय बुजुर्ग महिला को मामले की जमानत हेतु वकील साहब द्वारा ली गई फीस को लौटाने को कहा दिया, जिसके बाद वकील ने बुजुर्ग महिला को ली गई फीस वापस लौटा दी गई।

यह पूरा मामला

दरअसल अपर एवं जिला सत्र न्यायालय में एक मामले में दायर जमानत याचिका पर बीते साल 23 से साल 24 तक सुनवाई नहीं हो पाई थी, सुनवाई के दौरान दो बार संबंधित अपर एवं जिला सत्र न्यायाधीश का स्थानांतरण हाईकोर्ट के आदेश के बाद हो चुका था, और करीब तीन बार वकील साहब के अदालत में न पहुंचे पर उक्त जमानत याचिका अधर में लटकी हुई थी,जब अपर एवं जिला सत्र न्यायालय योगेश खन्ना के सामने इस मामले से संबंधित जमानत याचिका आई तो उन्होंने याचिका पर अब तक सुनवाई न होने के कारण का स्वयं संज्ञान लेते हुए याचिका से संबंधित एडवोकेट अशोक कुमार शुक्ला को तलब किया, लेकिन वकील अशोक कुमार शुक्ला उस दिन भी कोर्ट नहीं पहुंच पाए, थे, जिसके बाद उन्होंने मामले से जुड़ी पेरो कार बुजुर्ग महिला को अदालत में पेश करने को कहा तो एक बुजुर्ग महिला को उनके सामने पेश किया,जज खन्ना ने उनसे पूछा कि माता जी आपके वकील साहब कहा है, उन्होंने भराई आवाज से कहा कि साहब वो अभी तक आएं नहीं है उनके बेटे की तबीयत ठीक नहीं है, इसलिए उनका सहयोगी वकील ने बताया है कि वे देर कोर्ट आएंगे,जज खन्ना ने पूछा जो जेल में बंद हैं वे आपका कौन है, उन्होंने बताया कि वे उनका इकलौता बेटा विजय है जो करीब एक साल से 12000 रुपए की चोरी के मामले में जेल में बंद हैं।

जिसके बाद जज साहब ने वकील साहब के सहयोगी को तलब करते हुए कहा कि मैं इस जमानती प्रार्थना पत्र पर लंच बाद सुनवाई करूंगा आप वकील साहब को बताईं और उन्हें अदालत में पेश होने के कहे।

जिसके बाद सहयोगी ने फोन पर वकील साहब को बताया और जल्दी से कोर्ट आने को कहा इसके बावजूद भी वकील साहब करीब एक घंटे देर से पहुंचे,जिस पर जज खन्ना ने अपने स्तर पर एक वकील को इस मामले में दलील देने को नियुक्ति किया और मामले में जमानत दे दी, इसी बीच वकील अशोक कुमार शुक्ला भी अदालत पहुंच गए और माफ़ी मांगते हुए जज साहब से मामले पर सुनवाई का निवेदन किया।

जज खन्ना ने कही ये बातें

अपर जिला एवं सत्र न्यायालय योगेश खन्ना ने वकील साहब को हिरासत देते हुए कहा कि क्या मैं आपके देर नहीं बल्कि बहुत देर से आने की वजह जान सकता हूं, वकील शुक्ला ने कहा कि महोदय मेरे बेटे की तबीयत ठीक नहीं थी, उसे डाक्टर को दिखाने में कुछ देर हो गई,जज खन्ना ने कहा कि इसे आप कुछ देर समझते हैं,एक बुजुर्ग महिला अपने बेटे को जेल से छुड़ाने के लिए तकरीबन एक साल से कोर्ट के चक्कर काट रही है, आपके बेटे की तबीयत बिगड़ी तो आप घबरा गये,आप अपना मौलिक कर्तव्य तक भूला बैठें,जरा सोचिए जिस मां का इकलौता बेटा एक साल से जेल में बंद हैं उस पर क्या गुजरती होगी, मैंने सरकारी वकील की दलील सुनकर आरोपी को जमानत दे दी है,आपकी बडी मेहरबानी होगी कि अगर आप इस बुजुर्ग मां के द्वारा दी गई फीस वापस कर देंगे, क्योंकि आप वक्त के पाबंद नहीं है,आपकी ना इतलली मेरी समझ में नहीं आई, कोई वकील आखिर इस तरह लापरवाही कैसे हो सकता है, मैं आप से अनुरोध करता हूं कि आप फीस लौटा दीजिए,उन पैसों से क्या फायदा जिन्हें लेकर अपना कर्तव्य नहीं निभाया जाएं, और मैं उन वकीलों का सम्मान करता हूं जो अपना कर्तव्य बेहद गहराई से पूरा करते हैं और सामने वाले को एक भी अपने कामकाज में एहमियत देते हैं,हम भी इंसान हैं और आप भी इसलिए हमारे पास आएं मामलों को इन्सानियत से भी जोड़ कर देखा जाता है,एक बुजुर्ग महिला अपने बेटे को गुजरे एक साल से अदालत के चक्कर लगा रही हैं, जबकि उनकी उम्र आराम करने हैं आपको और हमें इन बातों पर गौर करना चाहिए, जिसके बाद वकील अशोक कुमार शुक्ला ने महिला को फीस लौटा दी, वहीं अदालत में जज खन्ना का यह व्यवहार जमकर चर्चा में बना हुआ है, स्थानीय वकीलों ने उनकी इस टिप्पणी से उत्साहित होकर उनकी प्रशंसा की, वरिष्ठ वकील राम प्रसाद यादव ने कहा कि यह ठीक है कि आरोपी ने एक अपराध किया है, लेकिन अपराध से संबंधित मामले में और बुज़ुर्ग महिला को ध्यान में रखते हुए अपर एवं जिला सत्र न्यायालय ने आरोपी को जमानत दे दी है, उन्होंने कहा कि संबंधित वकीलों को समय से न्यायिक कामकाज में अपनी भागीदारी करना चाहिए, उन्होंने कहा कि आशा करता हूं आगे से कभी न्यायिक कामकाज में हमारे ओर से संबंधित वकील शिकायत का अवसर नहीं देंगे, और न्यायिक कार्य समय को ध्यान में रखते हुए करेंगे।


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