
नयी दिल्ली – जमीयत उलेमा ए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने नैनीताल उच्च न्यायालय के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सिर्फ ज़मानत पर रिलीज नहीं बल्कि उन बेकसूर लोगों की सम्मान जनक बारी होने तक कानून संघर्ष जारी रहेगा, मदनी ने कहा कि करीब बीते 7 महीने के बाद 50 लोगों की एक मुश्त रिहाई का मैं स्वागत करता हूं जिनमें 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला सहित 6 और महिलाओं है,यह आरोपियों के परिवार वालों के लिए निहायत खुशी की बात है इसके अलावा मदनी ने इस बात पर बेहद निराशा जताई कि इस तरह के प्रकरणों में पुलिस और जांच एजेंसियां जानबूझ कर रोडा डालतीं है।
और मुकदमे की चार्जशीट पेश करने में तरह तरह के बहाने बना कर उनका सहारा लेती है, कानूनी नियम हैं कि तीन महीने के अंदर चार्जशीट पेश कर देनी चाहिए लेकिन अधिकतर मामलों में इस कानूनी प्रावधान की अनदेखी की जाती है, और मामले में मानवाधिकारों की जमकर अवेहलना करते हुए धड़ल्ले से मानवाधिकारों का उल्लघंन किया जाता है,इस मामले उत्तराखंड सूबे में भी पुलिस नब्बे दिन के अंदर जब चार्जशीट पेश नहीं कर सकी तो उसने निचली अदालत से और 28 दिनों की इजाजत हासिल कर ली थी, मदनी ने कहा कि जानबूझकर कर इस तरह का प्रयास किया गया और उन्हें लंबे समय तक जेल की कोठरी में रखा गया जमीयत उलेमा ए हिंद की कानूनी मदद से नैनीताल उच्च न्यायालय से उन नौजवानों की जमानत अर्जी को स्वीकार कर लिया गया और उनकी रिहाई हुईं लेकिन अब भी सवाल मौजूद हैं कि पुलिस और जांच एजेंसियां इसी तरह के मामलों में ईमानदारी से काम करने और कर्तव्यों का पालन करने की जगह कब तक पक्षपात और भेदभाव का उसूल करते रहेंगे, यह मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।
एम सलीम खान ब्यूरो

