रुद्रपुर – काकोरी काण्ड के अमर शहीद अशफाक उल्ला खां जी की 124 वीं जयंती के अवसर पर आज खेड़ा स्थित शहीद अशफाक उल्ला खां पार्क में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत काकोरी शहीद यादगार कमेटी के वैनर तले मजदूर, महिलाएं, बच्चे एवं क्षेत्रवासी उक्त कार्यक्रम स्थल पहुंचे और हर्षोल्लास के साथ उनकी जंयती मनाई। कार्यक्रम की शुरुआत में अमर शहीद अशफाक उल्ला खां जी के फ्रेमयुक्त फोटो पर माल्यार्पण किया गया, और उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए।
श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने उनके जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला गया।और उनके द्वारा किए गए बलिदान को क्रांतिकारी सलाम पेश किया। वक्ताओं ने कहा कि इस वर्ष काकोरी कांड की गौरवशाली घटना का यह सौंवा वर्ष भी है। काकोरी कांड के सौंवे वर्षगांठ पर काकोरी के शहीदों की विरासत को और जोरदार तरीके से फैलाना होगा।
वक्ताओं ने बताया कि भारत की आजादी के संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए धन जुटाने के उद्देश्य के तहत अशफाक उल्ला खां, पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, चन्द्रशेखर आजाद, ठाकुर रोशन सिंह, राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी समेत 10 क्रांतिकारियों ने काकोरी नामक स्थान पर अंग्रेजों द्वारा ट्रेन से ले जायें जा रहे सरकारी खजाने को लूटा था। जिसके आरोप में अंग्रेज सरकार द्वारा 4 क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी थी, जिनमें 17 दिसंबर 1927 को राजेन्द्र नाथ लाहिड़ी को व 19 दिसंबर 1927 को अशफाक उल्ला खां, पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, और ठाकुर रोशन सिह को फांसी पर चढ़ा दिया था। अशफाक उल्ला खां ने महज 27 साल की उम्र में भारत की आजादी के संघर्ष में हंसते हंसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।इस प्रकार से एक कट्टर मुसलमान अशफाक उल्ला खां एवं एक कट्टर पंडित रामप्रसाद बिस्मिल को एक ही दिन सूली पर चढ़ाया गया। और दोनों की दोस्ती हमेशा के लिए अमर हो गई। और हिन्दू – मुस्लिम एकता की एक मिशाल बन गई।
वक्ताओं ने कहां कि एक समय शाहजहांपुर में मंदिर पर हमला कर रही भीड़ को अशफाक उल्ला खां ने अपनी जान पर खेलकर खदेड़ा जा। और मंदिर- मस्जिद को इंसान की इबादत की पवित्र जगह कहां। भारत माता के गुलामी की बेड़ियों से आजाद कराने में जुड़े अशफाक उल्ला खां एवं पंडित रामप्रसाद का एक ही कमरे में पूजा करने एवं नमाज़ पढ़ने में कोई समस्या न थी । किन्तु आज पूरे देश भर में मंदिर, मस्जिद हिन्दू मुस्लिम एवं सीख आदि के नाम पर उन्माद फैलाया जा रहा है। सांप्रदायिक दंगे आये दिन करवाये जा रहे हैं।और इंसानियत को शर्मसार किया जा रहा है।
आज अडानी-अंबानी जैसे पूंजीपतियों के हित में भाजपा -आरएसएस नीत सरकार द्वारा मजदूरों, किसानों, बेरोजगारों, छात्रों, अल्पसंख्यकों आदि के खिलाफ काले कानूनों का अंबार लगाया गया है। वहीं जनता अपने रोजी-रोटी रोजगार एवं सम्मानजनक जीवन के अधिकार के लिए एकजुट न हो सके, इसलिए मंदिर मसजिद एवं हिन्दू मुस्लिम आदि के नाम पर उन्माद पैदा कर संघर्ष की दिशा को भटका रहे हैं। इसलिए हमें इससे सावधान होना होगा।और उन शैतानी ताकत को नेस्तनाबूत करना होगा।और अमर शहीद अशफाक उल्ला खां की क्रांतिकारी विरासत पर चलना होगा।
सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि इस समय काकोरी कांड का सौंवा साल चल रहा है। इस अवसर पर 19 दिसंबर 2024 को काकोरी कांड के शहीदों रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह, राजेन्द्र लाहिड़ी के बलिदान दिवस पर जुझारू कार्यक्रम किया जायेगा। श्रद्धांजलि सभा का संचालन इंकलाबी मजदूर केन्द्र के शहर सचिव दिनेश चन्द्र ने किया।
आज के कार्यक्रम में काकोरी शहीद यादगार कमेटी से जुड़े मजदूर संगठनों , समाजिक संगठनों, बुद्धिजीवियों ने भागीदारी की।
सभा में इंकलाबी मजदूर केन्द्र से दिनेश , सुरेन्द्र, मजदूर सहयोग केन्द्र (CSTU) से मुकुल, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन से शिवदेव सिंह, राजेश, सीपीआई से एड.राजेन्द्र गुप्ता , प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र से वंदना, रविंद्र कौर, रॉकेट रिद्धि सिद्धि यूनियन से धीरज जोशी, आटोलाइन इम्प्लाइज यूनियन से प्रकाश मेहरा, करोलिया लाइटिंग यूनियन से हरेन्द्र सिंह,, इन्टरार्क मजदूर संगठन पंतनगर से विशाल पटेल, कांग्रेस जिला प्रवक्ता साजिद खान, आम आदमी पार्टी महानगर अध्यक्ष सतपाल सिंह ठुकराल, पार्षद मोहम्मद अशफाक अंसारी, पूर्व पार्षद उमर अली , समाजिक कार्यकर्ता इरशाद अंसारी, एड.बालम रईस, सत्यवीर गंगवार, सावित्री, फरीद बाबा, इजहार नवी, आदि लोगों ने भागीदारी की।
एम सलीम खान ब्यूरो