कहीं अपने ही श्रमिक नेताओं का शिकार न हो जाए आमरण अनशन पर बैठी महिलाओं रोजमर्रा खाते हैं भर पेट भोजन श्रमिक नेता

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ऊधम सिंह नगर – पंतनगर स्थिति डोल्फिन कंपनी के मजदूरों का क्रमिक अनशन बीती 21 अक्टूबर से आमरण अनशन में तबदील हो गया,आज पूरे एक सप्ताह से आमरण अनशन पर बैठे कंपनी के मजदूरों की हालत बेहद नाज़ुक है, आमरण अनशन पर चार महिलाओं सहित दो अन्य युवकों को इस आंदोलन के चुना गया था, लेकिन यह बड़ा सवाल यह है कि खुद को डोल्फिन कंपनी मजदूर संघ का अध्यक्ष साबित करने वाले ललित सिंह और महामंत्री वीरु सिंह खुद को भूखा नहीं रख सकते हैं।

इसलिए इन दोनों लोगों को महिलाओं को ढाल बनाकर अपने षड्यंत्र की पहली चाल चल दी उस समय इन्हें लगा था कि महिलाओं को आमरण अनशन पर बैठने से इस मामले का निपटारा जल्द जल्द से हो सकता है, लेकिन इनकी सोची समझी चाल भारी पड़ गई जिसका परिणाम यह हुआ कि आमरण अनशन पर बैठी महिलाओं की स्थिति बद से बद्तर हो गई है,आलम यह है कि इन महिलाओं के शरीर ने जबाव दे दिया फिर भी इनके हौसले बुलंद हैं लेकिन यहां यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि यह महिलाएं अपने ही श्रमिक नेताओं की शिकार बन रही यह कहना भी ठीक होगा।

इन महिलाओं की इस हालत के लिए कही कही न स्वास्थ्य महकमे के आला अफसर भी जिम्मेदार है और उनकी लापरवाही के चलते किसी भी समय स्थिति विस्फोटक हो सकती है, वहीं कुछ राजनीतिक दलों के गिने-चुने नेता भी अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हुए जबकि उनके बस कुछ भी नहीं है, बता दें कि आमरण अनशन स्थल पर रोजमर्रा पकवान बनाए जाते हैं और संघ के श्रमिक नेता पलेट भर भर खाने का लुत्फ उठा रहे हैं।

वहीं शाम को आमरण अनशन करने वाले श्रमिकों की आंखों के सामने चाय की चुस्कियां लेते दिखाई देते हैं, जबकि कानून के मुताबिक डोल्फिन कंपनी के मजदूरों संघ के अध्यक्ष ललित सिंह और महामंत्री वीरु सिंह को आमरण अनशन पर बैठने की जरूरत थी लेकिन इन श्रमिकों ने महिलाओं को आमरण अनशन की आग में झोंक दिया, वहीं महामंत्री वीरु सिंह को शहर की मीडिया पर जरा भी भरोसा नहीं है बल्कि वीरु सिंह मीडिया को जिला प्रशासन के हाथों की कठपुतली बता रहे हैं।

एक खबर को लेकर वीरु सिंह ने तथा कथित टिप्पणी की जिस पर उनके खिलाफ न्यायालय में जाने की तैयारी शुरू कर दी है और जिला प्रशासन सहित कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत को शिकायत भेजने की कार्रवाई अमल लाई जा रही, अधिवक्ता प्रवेश कुमार शर्मा के मुताबिक किसी भी पत्रकार को प्रशासनिक और सामाजिक खबरों को प्रकाशित करने का अधिकार है यादि कोई व्यक्ति उन खबरों को गलत ठहराता है जो उसे इसके लिए पुख्ता सबूत न्यायालय में प्रस्तुत करने होंगे वरना उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।

एम सलीम खान ब्यूरो


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