तो क्या महिला श्रमिकों की बलि मांग रहा है डोल्फिन कंपनी का प्रबंधक प्रिंस धवन सरकार और प्रशासन ने टेके घुटने

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रुद्रपुर – बीत आठ दिनों अपनी मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठी चार महिलाओं सहित दो श्रमिक में आज देर शाम लक्ष्मी नामक महिला की तबीयत बेहद गंभीर हो गई जिसके बाद जिले का स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गया और लक्ष्मी देवी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया, बताया जा रहा है उनके मुंह से खून आना शुरू आ गया है।

अब यहां उत्तराखंड की धामी सरकार और ऊधम सिंह नगर जिला प्रशासन पर हजारों सवाल खड़े किए जा रहे,आम जनमानस सरकार और प्रशासन के इस सौतेले रवैए से आक्रोशित हैं आम जनता सूबे की भाजपा सरकार को जम कर कोस रही है, आपकों बता दें डोल्फिन कंपनी के प्रबंधक प्रिंस धवन के सामने जहां एक तरफ सरकार ने घुटने टेक दिए तो वहीं दूसरी जिला प्रशासन भी प्रिस धवन के हाथों की कठपुतली बन कर रह गया है।

यहां बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन इन महिलाओं की बलि देकर प्रिंस धवन को भेंट चढ़ाने का मन बना चुका अपने हकों के लिए जिम्मेदार अफसरों से न्याय दिलाने की गुहार लगाने वाले इन श्रमिकों को सरकार में अहम भूमिका रखने वाले आखिर क्यों नजर अंदाज क्यों कर रहे क्या सैटिंग गैटिंग का अंदरुनी खेल चल रहा है, महिलाओं की बलि लेने वाले इन पिशाचों के कानों में इन श्रमिकों को आवाज तक नहीं पहुंच रही जबकि जमीनी हकीकत से पुरी तरह बांकिफ है।

जनपद ऊधम सिंह नगर के सबसे जिम्मेदार मुखिया उदयराज सिंह भी इन श्रमिकों की ओर से गंभीरता से नहीं देख रहे या तो उन्हें अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा गुमराह किया जा रहा है यह शायद मामले की गंभीरता से उन्हें अवगत ही नहीं कराया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मनोज कुमार शर्मा की भी बड़ी लापरवाही सामने आई है,

आमरण अनशन कर रहे इन श्रमिकों को जिस तरह स्वास्थ्य विभाग लापरवाही बरत रहा है उससे ऐसा लगता है कि जिले के स्वास्थ्य महकमे के मुखिया गहरी नींद में सोएं हुए, पिछले आठ दिनों में स्वास्थ्य विभाग की टीम महज दो बार देखा गया है, क्या आम जनता इन भूखे मर रहे श्रमिकों को न्याय दिलाने में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करेंगी।

क्या कोई जिम्मेदार नागरिक अपने द्वारा चुनी गई सरकार से सवाल करेगा कि आखिर क्यों इन मजदूरों का दमन किया जा रहा, आखिर भूट की आग बुझाने के लिए यह लोग सरकार और प्रशासन से लाल किला तो नहीं मांग नहीं रहे सिर्फ अपने मौलिक अधिकारों को हासिल करने के लिए संघर्षरत है।

एम सलीम खान ब्यूरो


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