ऊधम सिंह नगर – (एम सलीम खान) जिले के पंतनगर स्थिति सिडकुल में संचालित डोल्फिन कंपनी के प्रबंधक प्रिंस धवन द्वारा कंपनी में नौकरी करने वाले करीबन 460 श्रमिकों को स्थाई को ठेका प्रथा में धकेल होने वाले तथा कथित प्रिंस धवन के जुल्मों से निजात पाने के लिए लंबे समय से आमरण अनशन पर बैठे
श्रमिकों ने अब जिला प्रशासन और सरकार से न्याय की उम्मीदो को पाने का प्रयास छोड़ कर देश के सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस और उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को चिठ्ठी लिखकर जो बातें चिठ्ठी में कही है वो बेहद चौकन्ने वाली है।
इन श्रमिकों ने राज्य सरकार और स्थानीय प्रशासन से न्याय की उम्मीदो को सिरे से खारिज कर अब देश के सबसे बड़े न्याय के मंदिर यानी सर्वोच्च न्यायालय और उत्तराखंड उच्च न्यायालय में गुहार लगाई है, श्रमिकों की ओर से न्यायालय को चिट्ठी लिखकर अपने साथ हो रहे अन्याय को लेकर जो कुछ भी कहा कि अगर उस पर न्यायालय ने गंभीरता से संज्ञान ले लिया तो तो बहुत से अफसरों न्यायालय के हाशिए पर आ सकतें हैं।
इस चिट्ठी में पुलिस के द्वारा किए गए रौद्र रूप का बकाया जिक्र करते हुए महिला श्रमिकों ने कहा कि अगर उन्हें आमरण अनशन के दौरान उनकी मौत हो जाती है तो उनका अंतिम संस्कार राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आवास खटीमा में किया जाएं, इसके अलावा इन श्रमिकों ने देश की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती रौंद पति मुरर को पत्र भेजा है और उत्तराखंड में महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचारों का जिक्र किया गया है।
यह सवाल यह उठता है कि क्या सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक छोटे से फैसले को लेकर आख़िर क्या गंभीरता नहीं दिखा रहे जबकि श्रम विभाग के सीएम धामी खुद मुखिया हैं, वहीं स्थानीय प्रशासन भी किसी भी बड़ी अनहोनी की प्रतीक्षा कर रहा है।
जिले मुखिया उदयराज सिंह ने अपने कार्यकाल में में जो बड़े बड़े कठिन मामलों को चंद मिनटों में खूबसूरती से निपटाकर जो मिसाल पेश की है शायद ही किसी अन्य जिला अधिकारी ने ऐसा किया हो।
आम जनता उनके इन कार्यों को लेकर उनकी मुरीद हो गई है, लेकिन सरल स्वभाव और मीठी वाणी के जिला अधिकारी उदयराज सिंह इस मामले में गंभीरता क्या नहीं दिखा रहे यह एक बड़ा सवाल है, आमरण अनशन कर रहे श्रमिकों का कहना है।
या तो जिला अधिकारी उदयराज सिंह को अधीनस्थ अफसरों द्वारा गुमराह किया जा रहा है या फिर यह बेहद पेचीदा मामला उनके संज्ञान में लाया ही जा रहा है, वहीं डोल्फिन कंपनी से मित्रता निभाने वाले जिले के उप श्रमायुक्त केके गुप्ता कंपनी प्रबंधन प्रिंस धवन के दबाव में आकर मजदूरों को मौत के घाट उतारने का मन बना चुकें हैं।
उनके द्वारा जो सूची जारी की गई है उसमें आंदोलन कर रहे श्रमिकों के नाम मात्र शामिल हैं, जिन्हें दिखाकर श्रम आयुक्त के के गुप्ता जमकर कंपनी और प्रशासन की नजरों में खुद को साबित करने का प्रयास कर रहे हैं, वहीं ऊधम सिंह नगर के स्वास्थ्य महकमे की कलाई खुल कर सामने आ रही है,दर असल आमरण अनशन पर बैठी जिन महिलाओं को पुलिस ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया उन्हें उचित उपचार भी नसीब नहीं हो पा रहा है।
इन महिलाओं के देखरेख डॉ तिवारी से बातचीत करने के प्रयास किए गए लेकिन डॉक्टर साहब अस्पताल में मिल नहीं सके,जिसे लेकर जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मनोज कुमार शर्मा पर सवालिया निशान लगाएं जा रहे, फिलहाल अब इस मामले पर सर्वोच्च न्यायालय और उत्तराखंड उच्च न्यायालय का रूख का इंतजार है।