
रुद्रपुर – (एम सलीम खान ब्यूरो) आप इस बात से अच्छी तरह वाकिफ होंगे कि सत्ता पक्ष के एक विधायक की बात खुद में कितने बड़े मायने रखती है वो दर्जनों कलम नवीसों के बीच में कहीं गई बात, लेकिन रुद्रपुर में सत्ता पक्ष के विधायक शिव अरोरा की बात को ओर किसी ने नहीं बल्कि जिला मुख्यालय के कुछ लापरवाह अफसरों ने ही खोखला साबित कर दिया, दर असल पिछले लंबे अर्से से शहर के गांधी पार्क में डोल्फिन कंपनी के मजदूर कंपनी में श्रम कानूनों को लागू कराने के आमरण अनशन पर बैठे हुए हैं।
इस आमरण अनशन को करीब 34-35 दिन पूरे हो गए, इसी दौरान बीते रोज अचानक शहर के विधायक शिव अरोरा देर शाम इन मजदूरों के जा पहुंचे, विधायक शिव अरोरा को आया देख इन मजदूरों का चेहरे खिल उठे और इन्होंने उम्मीद जताई कि अब उन्हें न्याय मिल जाएगा, खुद विधायक शिव अरोरा ने भी इन श्रमिकों को इस बात का भरोसा दिलाया कि उनका लंबा चलाने वाला आमरण अनशन अब खत्म हो जाएगा, और वो खुद समझौते के लिए जिला प्रशासन और श्रम विभाग के अफसरों को कंपनी प्रबंधन को बातचीत करने के लिए बुलाने के निर्देश देंगे।
जिसके बाद दोनों पक्षों समझौते पर हस्ताक्षर कर देंगे और इस मामले का निस्तारण हो जाएगा, इस पूरे मामले को लेकर डोल्फिन कंपनी मजदूर संगठन के अध्यक्ष ललित कुमार का कहना है कि विधायक शिव अरोरा धरना स्थल पर पहुंचे और महिलाओं की नाज़ुक हालत देखते हुए 21 नवंबर को हुई वार्ता के क्रम में समझौते पर सहमति बनी थी, प्रबंधन पक्ष और मजदूर पक्ष दोनों पक्षों द्वारा समझौते से पूरी तरह सहमत थे विधायक शिव अरोरा ने ने अपर जिलाधिकारी नजूल/प्रशासन पंकज उपाध्याय को फोन कर समझौते पर हस्ताक्षर के लिए कहा था।
जब मजदूर पक्ष जिला मुख्यालय पहुंचे तो वहां अपर जिलाधिकारी नजूल प्रशासन पंकज उपाध्याय और उप श्रमायुक्त केके गुप्ता ए एल सी मौजूद थे लेकिन प्रबंधन पक्ष मौजूद नहीं था एडीएम प्रशासन पंकज उपाध्याय ने कहा कि प्रबंधन पक्ष अभी अभी आने में असमर्थ हैं इसलिए आज समझौते पत्र पर हस्ताक्षर नहीं हो सकतें और अब यह वार्ता कल दोपहर को 12 बजे हो पाएंगी फिर कहा इसके लिए फोन द्वारा मैसेज कर दिया जाएगा इस तरह यह समझौता फिर एक बार टल गया, जबकि अस्पताल में भर्ती चार महिलाओं की हालत नाज़ुक बनी हुई है और किसी भी समय कोई अप्रिय घटना घटित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि ऐसा किस लिए क्या किया जा रहा है यह उनकी समझ से परे है आखिर क्यों प्रशासन और कंपनी प्रबंधन वार्ता को बढ़ने में तुला हुआ है वहीं दूसरी तरफ संगठन की उपाध्यक्ष सुनीता ने कहा कि चारों महिलाओं की 34 दिनों बाद आमरण अनशन के चलते स्थिति नाज़ुक है, इस मामले को क्यों लबा खींचा जा रहा है।

