रुद्रपुर – (एम सलीम खान ब्यूरो) आखिकार लंबे समय के इंतजार के बाद सरकार ने निकायों की अधिसूचना जारी कर दी, करीब 15 साल बाद रुद्रपुर नगर निगम की मेयर सीट को समान्य घोषित किया गया है, जिसके अधिसूचना जारी कर दी गई है, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड में निकाय चुनावों को गहमागहमी का माहौल पैदा हो गया है।
रुद्रपुर नगर निगम की मेयर सीट के लिए विभिन्न राजनीतिक दलों में दावेदारों की लंबी चौड़ी फेहरिस्त है, अगर बात करें सत्तारूढ़ भाजपा की इस सीट के लिए भाजपा में लंबी चौड़ी कतारें लगी हुई है, वहीं विपक्षी दल कांग्रेस में भी दावेदारों की लंबी चौड़ी फौज सीना तान कर खड़ी हैं, अगर भाजपा रुद्रपुर की मेयर सीट को कब्जने की रणनीति तैयार करती है तो उसे एक मजबूत उम्मीदवार को मैदान में उतरने की जरूरत है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल कांग्रेस भी इस मामले में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेगी और कांग्रेस भी एक दमदार उम्मीदवार को मैदान में लाने की भरपूर कोशिश करेगी।
क्योंकि रुद्रपुर नगर निगम की मेयर सीट खुद में बड़े मायने रखती है, रुद्रपुर में विधायक की कुर्सी पर भाजपा का कब्जा है और जिस तरह सटीक रणनीति से विधायक शिव अरोरा ने विधानसभा चुनावों में अपना महत्वपूर्ण प्रदर्शन दिखाया था उसी तरह इन निकाय चुनावों में भी उन्हें ऐडी से चोटी का जोर लगाने की आवश्यकता है, चलिए आपको बताते हैं किस राजनीतिक दल से कौन है मेयर का दावेदार, भाजपा से सबसे पहले संगठन के प्रदेश मंत्री विकास शर्मा का नाम खासी चर्चाओं में हैं, सूत्रों की मानें तो जहां विकास शर्मा की पहुंच प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक है।
तो वहीं संगठन में उनकी पकड़ मजबूत हैं,अगर इस वजह से पार्टी उन्हें मेयर का टिकट देती है तो शर्मा इस सीट के लिए कांटे की टक्कर देंगे, इस क्रम में दूसरा नाम आता है भाजपा नेता उपेन्द्र सिंह चौधरी का चौधरी भी मेयर की कुर्सी तक पहुंचना चाहते हैं लेकिन नगर की सक्रिय राजनीति में उनका नाम धुंधला सा है और आम जनता भी बाखूबी नहीं जानती है अगर पार्टी उन पर दांव लगतीं हैं तो भाजपा हौदे मुंह लूढक जाएंगे और माहौल कांग्रेस के पक्ष में चला जाएगा, तीसरे स्थान पर नाम आता है बंगाली समाज और सरकार में दर्जा मंत्री उत्तम दत्ता का उत्तम दत्ता पर पार्टी पूरे भरोसे से दांव लगाने से हिच किच सकतीं हैं।
क्योंकि उनकी किसी तरह की मजबूत पकड़ अब तक दिखाई नहीं दी है और अगर पार्टी उन्हें बंगाली समाज का बड़ा चेहरा देखकर टिकट देने की कोशिश करेगी तो एक विशेष समुदाय इस बात को बमुश्किल पंचा पाएगा, यही बड़ी वजह होगी कि पार्टी उन्हें दर किनार कर सकती हैं, अब बात करते हैं विपक्षी दल कांग्रेस की कांग्रेस के सुरामाओ पहले से ही अलग थलग पड़े हैं और संगठन की आपसी खींचतान का दौर अभी तक खत्म नहीं हो पाया है, कांग्रेस में आपसी समन्वय की बड़ी कमी है और आम जनता इस बात से अच्छी तरह वाकिफ हैं।
इसलिए कांग्रेस को मेयर की कुर्सी के लिए बहुत सोच-समझकर किसी सशक्त उम्मीदवार का चयन करना होगा, यहां सबसे बड़ी बात यह है कि कांग्रेस में मेयर की कुर्सी को लेकर बड़े दावेदारों की फौज हाथ में एके 47 लेकर खड़ी हुई है,इस मे सबसे पहले नंबर पर नाम आता है कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा का सीपी शर्मा मौजूदा वक्त में महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मनोनीत है और एक मामले को लेकर उनके और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और किच्छा विधायक तिलक राज बेहड के विवादों का दौर जमकर सड़कों पर आ गया था,जब से अब तक दोनों दरमियान के तलवारें म्यान में नहीं गयी है, सीपी शर्मा के रास्ते में अगर कोई सबसे बड़ी अड़चन बन सकता है तो वो है।
विधायक तिलक राज बेहड, वहीं दूसरी तरफ अगर बात करें तो पूर्व पालिकाध्यक्ष और उत्तराखंड महिला कांग्रेस कमेटी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती मीना शर्मा की तो मीना शर्मा ने अपने पहले ही चुनाव में नगर पालिका परिषद रुद्रपुर की चैयरमेन की कुर्सी पर कब्जा करने में सफलता हासिल की उन्होंने यह चुनाव कांग्रेस के टिकट के पर लडा था, जिसके बाद कांग्रेस ने उन्हें बीते विधानसभा चुनावों में रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनाव लडने का मौका दिया लेकिन इन चुनावों में उन्हें हार मिली और विधायक के कुर्सी पर शिव अरोरा ने कब्जा करने में सफलता हासिल की, उनके अलावा तीसरे स्थान पर नाम पर आता है विवादों घिरे पूर्व पार्षद मोहन खेड़ा का मोहन खेड़ा पार्षद बनाने के बाद बहुत से विवादों में घिर गए, यहां तक कि उनके खिलाफ कोतवाली पुलिस मे महेंद्र सिंह नामक व्यक्ति ने मारपीट जैसी वारदातों में शामिल होने का आरोप लगाया पुलिस ने उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया था लेकिन खेड़ा ने दो चार कर अपना नाम इस रिपोर्ट से हटवा दिया और जिसके बाद महेंद्र सिंह ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय की शरण ली अगर कांग्रेस खेड़ा को मेयर का टिकट देती है कांग्रेस का सफर और भी कांटों भरा हो सकता है।
हालांकि अभी तक मेयर की कुर्सी के लिए किच्छा विधायक तिलक राज बेहड ने अपने पत्तों को शो नहीं किया है, उनके दिमाग में किस उम्मीदवार का नाम चल रहा है यह अभी बड़ा विकल्प है, वहीं दूसरी ओर पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल भी मेयर के चुनाव में कूदने की जुगत भिड़ा रहे हैं, उनके अलावा उनके भाई संजय ठुकराल भी मेयर की कुर्सी के प्रबल दावेदार है और कायस लगाएं जा रहें हैं कि अगर कांग्रेस की नजर उन पर पड़ गई तो कांग्रेस की नैया पार हो सकती है।
लेकिन मौजूदा वक्त में कांग्रेस की ओर से एक प्रकरण में पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल और कांग्रेस के बीच गहरी खाई खोद गई है,जिसे कैसे भरा जाए यह गर्भ में है, वहीं अगर बात करें रुद्रपुर व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा की तों उन्होंने भी मेयर की कुर्सी तक पहुंचने का दावा पेश किया है, जुनेजा ने कांग्रेस से दावेदारी पेश की थी,उन पर अगर कांग्रेस दांव लगाती है तो कांग्रेस का प्रदर्शन अच्छा रहा सकता है। फिलहाल मेयर की कुर्सी के गहमागहमी का माहौल शुरू हो गया है, ऊंट किस करवट बैठेगा यह तो आने वाले वक्त में साफ हो जाएगा।