
हल्द्वानी – मासूम काशिश हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट से मुख्य आरोपी अख्तर अली को सबूतों की कमी के आधार पर बरी किए जाने के बाद हल्द्वानी में जबरदस्त विरोध देखने को मिला। गुरुवार को शहर की सड़कों पर लोगों का गुस्सा साफ झलक रहा था।
बुद्ध पार्क से लेकर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय तक बड़ी संख्या में भीड़ जुटी, जहां महिलाओं, सामाजिक संगठनों, आम नागरिकों और उत्तराखंड के कई चर्चित लोक कलाकारों ने आरोपी को फांसी देने की मांग की।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला पीड़ित परिवार की उम्मीदों पर गहरी चोट है। उनका कहना था कि जब निचली अदालत और हाईकोर्ट दोनों ने आरोपी को दोषी मानते हुए सजा सुनाई थी, तो शीर्ष अदालत से भी न्याय की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन हालिया आदेश से जनता में आक्रोश और निराशा है।
धरने के दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच कई बार टकराव की स्थिति बनी। पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की लेकिन आंदोलनकारी सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय तक पहुंचने में कामयाब रहे और वहां राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि आरोपी को कठोर सजा नहीं दी गई तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।
इस प्रदर्शन को हल्द्वानी विधायक सुमित हृदयेश का भी समर्थन मिला। वहीं, लोकप्रिय लोक कलाकार श्वेता महरा, इंदर आर्य, प्रियंका मेहरा और गोविंद दिगारी भी धरना स्थल पर पहुंचे और जनता के साथ खड़े होकर आरोपी को सख्त से सख्त सजा दिलाने की मांग की। महिलाओं ने हाथों में तख्तियां और बैनर लेकर नारेबाजी की और कहा कि बेटियों की सुरक्षा से समझौता किसी कीमत पर स्वीकार नहीं।
गौर करने वाली बात यह है कि नवंबर 2014 में पिथौरागढ़ निवासी सात साल की काशिश काठगोदाम में एक शादी समारोह में शामिल होने आई थी। शादी के दौरान वह अचानक लापता हो गई और पांच दिन बाद उसका शव गौला नदी के किनारे जंगल से बरामद हुआ।
जांच में यह खुलासा हुआ कि बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या की गई थी। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से दो को पहले ही दोषमुक्त कर दिया गया था। मुख्य आरोपी अख्तर अली को निचली अदालत और हाईकोर्ट ने मौत की सजा दी थी, लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरी कर दिया। इस फैसले के बाद पूरे उत्तराखंड में गुस्सा भड़क उठा है।

