
देहरादून/पिथौरागढ़ – उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 11 साल पहले सात वर्षीय मासूम ‘नन्हीं परी’ से दुष्कर्म और हत्या के मामले में फांसी की सजा पाए आरोपी को सुप्रीम कोर्ट से दोषमुक्त कर दिया गया है। इस फैसले के बाद राज्य सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने न्याय विभाग को निर्देश दिए हैं कि इस जघन्य मामले में सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर की जाए और मजबूत पैरवी के साथ दोषी को सजा दिलाई जाए। सीएम ने स्पष्ट किया कि सरकार प्रदेश की बेटियों के साथ दरिंदगी करने वालों को किसी भी हाल में बख्शेगी नहीं।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पिथौरागढ़ समेत कई स्थानों पर प्रदर्शन हुए। बच्ची के परिजनों और स्थानीय लोगों ने राज्य सरकार पर मामले में सही ढंग से पैरवी न करने का आरोप लगाया।
सीएम धामी ने कहा कि सरकार पूरी तरह पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है और उन्हें न्याय दिलाने के लिए देश की सर्वश्रेष्ठ कानूनी टीम इस मामले में उतारी जाएगी। उन्होंने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड में इस तरह के कुकृत्य करने वालों की कोई जगह नहीं है।
गौरतलब है कि 20 नवंबर 2014 को पिथौरागढ़ की यह बच्ची अपने परिवार के साथ नैनीताल जिले के काठगोदाम में एक विवाह समारोह में शामिल होने आई थी, जहां से वह अचानक लापता हो गई। पांच दिन बाद उसका शव गौला नदी के पास मिला। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दुष्कर्म और हत्या की पुष्टि हुई थी।
मामले में पुलिस ने अख्तर अली समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। वर्ष 2016 में विशेष अदालत ने मुख्य आरोपी अली को फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे 2019 में हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। लेकिन हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सबूतों के अभाव में आरोपी को दोषमुक्त कर दिया।
अब सरकार इस प्रकरण को सर्वोच्च न्यायालय में पुनः चुनौती देकर न्याय सुनिश्चित करने की तैयारी कर रही है।

