
लालकुआँ -(ज़फर अंसारी) लालकुआँ क्षेत्र के तराई केंद्रीय वन प्रभाग, रुद्रपुर डिवीजन की टांडा रेंज इन दिनों गंभीर पर्यावरणीय चुनौती का सामना कर रही है। जंगल के भीतर लगातार बढ़ते कूड़े के ढेर ने न केवल प्राकृतिक सौंदर्य को प्रभावित किया है, बल्कि वन्यजीवों की सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं बढ़ा दी हैं।
स्थानीय निवासियों के अनुसार, जवाहर नगर वार्ड नंबर तीन से प्रतिदिन बड़ी मात्रा में कूड़ा जंगल की ओर पहुंच रहा है, जिसके चलते करीब दो बीघा क्षेत्र कूड़े के ढेर में बदल चुका है। प्लास्टिक, सड़ी-गली सामग्री और अन्य अपशिष्ट पदार्थों के कारण आसपास के पेड़-पौधे सूखने लगे हैं और क्षेत्र में दुर्गंध फैलने लगी है।
ग्रामीणों का कहना है कि जिस स्थान पर कूड़ा फेंका जा रहा है वहां वाहनों की आवाजाही के निशान दिखाई देते हैं। लोगों ने इस मामले पर चिंता जताते हुए कहा कि जंगल क्षेत्र में कूड़े की बढ़ती मात्रा पर्यावरण और वन्यजीवों के लिए बड़े खतरे का कारण बन सकती है।
पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि यदि समय रहते इस गतिविधि पर रोक नहीं लगी, तो आने वाले समय में यह इलाका अपनी प्राकृतिक हरियाली खो सकता है। कूड़े के कारण मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है और भूमिगत जलस्तर पर भी प्रतिकूल असर पड़ने की आशंका है।
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, जंगल में फैला प्लास्टिक और अन्य हानिकारक पदार्थ जंगली जानवरों के लिए अत्यंत घातक साबित हो सकते हैं, क्योंकि कई बार जानवर इन्हें भोजन समझकर खा लेते हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य पर गंभीर खतरा उत्पन्न हो जाता है।
स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि संबंधित विभाग इस समस्या को गंभीरता से लेते हुए जल्द ही समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाएंगे। पर्यावरण संरक्षण सभी की साझा जिम्मेदारी है, और समय रहते जागरूकता तथा उचित प्रबंधन से जंगल को इस संकट से बचाया जा सकता है।


