कैसे क्या काम करता है राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और कितनी है मुसलमानो की चिंता

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अल्पसंख्यकों में कौन कौन से समुदाय के लोग शामिल हैं पढ़ाए यह खास रिपोर्ट

भारत – (एम सलीम खान संवाददाता) भारत में अपनी भाषाओं, धर्मों और इस विविधता के लिए जाना जाता है और इस विविधता की रक्षा और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा करने के लिए लोकतंत्र की सबसे बड़ी जिम्मेदारियां में एक हैं देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने के मकसद से और उनके खिलाफ भेदभाव पर कड़ी निगरानी रखने के लिए सरकार जवाबदेही बनाने के लिए एक खास संवैधानिक और कानूनी ढांचा बनाया गया है।

इस ढांचे का एक अहम और प्रभावशाली स्तंभ राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एन सी एम है,जब भी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा धार्मिक स्वतंत्रता या समान अधिकारों के बारे में सवाल उठते है तो यह आयोग एक संस्थागत मंच के तौर पर काम करता है, इसलिए यह समझना बेहद जरूरी है कि नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी कब बनाया गया था और इसकी क्या भूमिका है और यह किस तरह से काम करता है और इसका स्ट्रक्चर कैसा है? चलिए हम आपको बताते हैं कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का किस स्तर पर काम करता है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का गठन अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम 1992 के तहत किया गया था और यह अधिनियम भारतीय संसद द्वारा 1992 में पारित किया था राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की औपचारिक स्थापना 17 म ई 1993 में हुई थी, प्रारंभिक तौर में यह आयोग एक गैर संवैधानिक निकाय के तौर पर काम किया करता था, लेकिन 1992 के अधिनियम के लागू होने के बाद इसे सांविधानिक दर्जा मिल गया इस आयोग का उद्देश्य देश में रहने वाले धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करना और नीतिगत मसलों पर सरकार को परामर्श (सलाह) देना है।

भारत में कौन कौन है अल्पसंख्यक समुदाय से ताल्लुक रखने वाले

भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक शब्द की कोई साफ परिभाषा नहीं दी गई है लेकिन केन्द्र सरकार ने समय समय पर अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान करने के लिए नोटीफिकेशन जारी किए हैं बरहाल भारत में मुस्लिम, ईसाई,सिख, बौद्ध, जैन और पारसी को राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक का दर्जा दिया गया है इन समुदायों को धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान की सुरक्षा के लिए खास संवैधानिक सुरक्षा मिलती है, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग इन समुदायों के अधिकारों, शिकायतों और हितों की निगरानी करता है और भेदभाव उत्पीड़न और संवैधानिक अधिकारों के उल्लघंन से जुड़े मामलों पर सरकार को समय-समय पर अपने सुझाव और सलाह व सिफारिशे देता है।

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नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी का मुख्य मकसद?

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग का मुख्य मकसद देश में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदायों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना और उन पर नजर रखना है,आयोग यह सुनिश्चित करता है कि अल्पसंख्यकों को संविधान द्वारा गारंटी दिए गए धार्मिक शैक्षिक और सांस्कृतिक अधिकारों का पूरा लाभ मिले और उनके साथ किसी भी स्तर पर भेदभाव न हो आयोग धार्मिक स्वतंत्रता शिक्षा पहचान और गरिमा से जुड़े मुद्दों पर विशेष ध्यान देता है यह अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए केन्द्र और राज्य सरकारों द्वारा शुरू की गई योजनाओं के प्रभावी कार्यान्वयन की भी समय-समय पर समीक्षा करता है आयोग अल्पसंख्यकों द्वारा सामना की जाने वाली समस्याओं को सरकार के ध्यान में लाकर और उनके समाधान की दिशा में काम करके उनका निस्तारण करने में अहम किरदार निभाता है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग कैसे काम करता है?

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एक अर्ध न्यायिक निकाय के तौर पर काम करता है इसका मतलब है कि यह न तो सिर्फ सिफरिशें करता है बल्कि जांच और सुनवाई की प्रक्रिया का भी पालन भी करता है, शिकायतों की जांच करना, कोई भी शख्स संस्था या संगठन अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों के बारे में कमीशन में शिकायत दर्ज करा सकता है धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लघंन शिक्षा या फिर रोजगार में भेदभाव अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों के उल्लघंन और सांप्रदायिक हिंसा या उत्पीड़न के बारे में शिकायतें दर्ज कराई जा सकती है, कमीशन इन शिकायतों की जांच करता है और संबंधित राज्य या केंद्र सरकार से रिपोर्ट मांगता है।

2- स्वत संज्ञान लेते हुए कारवाई?

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अगर मीडिया रिपोर्टों या सार्वजनिक जानकारी के मुताबिक ऐसा लगता है कि अल्पसंख्यकों के अधिकारों का उल्लघंन हुआ है तो आयोग स्वत संज्ञान ले सकता है इसके लिए किसी औपचारिक शिकायत की आवश्यकता नहीं होती है।

सरकार सिफारिशे

अपनी जांच के बाद आयोग केंद्र और राज्य सरकारों को सिफरिशें भेजता है इनमें कानूनों में बदलाव नीति सीधार या प्रशासनिक कारवाई के सुझाव शामिल होते हैं, हालांकि आयोग के पास सीधे दंड प्रक्रिया की शक्ति नहीं होती है, लेकिन उसकी सिफारिशों को गंभीरता से लिया जाता है।

योजनाओं की निगरानी

नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी यह भी मानिटर करता है कि अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी योजनाओं जैसे स्कालरशिप शिक्षा स्किल डेवलपमेंट और फाइनेंशियल मदद ठीक हो रही या नहीं इसकी निगरानी की जाती है ।

आयोग की शक्तियां क्या है?

नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी के अधीन अपनी जांच के दौरान सिविल कोर्ट के समान शक्तियां होती है,इन शक्तियों में लोगों को अपने सामने पेश होने के लिए बुलाना शपथ दिलाकर बयान दर्ज करना सरकारी दस्तावेजों मांगना गवाहों की जांच करना और किसी सरकारी अधिकारी से रिकार्ड हासिल करना शामिल है ये शक्तियां कमीशन को निष्पक्ष जांच करने में अहम भूमिका निभाती है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग में कितने सदस्य हैं और किस किस समुदाय से ताल्लुक रखते हैं।

नेशनल कमीशन फॉर माइनॉरिटी में कुल सात सदस्य होते हैं इसमें एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और पांच मिबर शामिल होते हैं इन सभी को केंद्र सरकार नियुक्त करती है आमतौर पर कमीशन के सदस्यों को सभी समुदायों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग अल्पसंख्यक समुदायों से चुना जाता है।

सदस्यों की कार्य अवधि

कमीशन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष और सदस्यों को आमतोर पर तीन सालों के कार्यकाल के लिए काम करना होता है,उनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद उन्हें दोबारा नियुक्त किया जा सकता है।

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कमीशन की अहम भूमिका कितनी असरदार है?

बहुत से लोगों का दावा है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अल्पसंख्यकों की आवाज सरकार तक पहुंचाने के लिए एक महत्वपूर्ण संस्थान है, कई मामलों में कमीशन के दखल से पीड़ितों को बड़ी राहत मिली है, हालांकि आलोचक यह बताते हैं कमीशन के पास सीमित शक्तियां हैं और उसकी सिफारिशों बाध्यकारी नहीं है, इसके बावजूद एक लोकतंत्रिक व्यवस्था में कमीशन की नैतिक और संवैधानिक भूमिका को नज़र अंदाज़ नहीं किया जा सकता है।

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग क्यों है जरूरी

जब भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकारों स्वतंत्रता या भेदभाव के बारे में सवाल उठते है तो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एक संस्थागत सुरक्षा कवच के तौर पर सामने आता है यह कमीशन न सिर्फ शिकायते सुनता है बल्कि सरकार और समाज को याद दिलाता है कि संविधान सभी नागरिकों को समानता और गरिमा के साथ जीवन जीने का मौलिक अधिकार देता है।

राज्य सरकारों को अल्पसंख्यकों को सुरक्षा के लिए सिफारिश?

राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने समय-समय पर समीक्षा करते हुए राज्यों सरकारों को अल्पसंख्यकों के अधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दर्शाते हुए अल्पसंख्यकों के अधिकारों के प्रति अपने कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सिफारिश करते हुए उन्हें सुरक्षा दिए जाने के लिए सिफारिश करना है और उनके मरकजी धार्मिक स्थलों शिक्षण संस्थानों को राज्य सरकार से जोड़ते हुए वहां शिक्षा ग्रहण कर अल्पसंख्यक समुदाय के बच्चों को स्कूल शिक्षा के लिए सहायता प्रदान करने की सिफारिश की है इसलिए सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अल्पसंख्यक बच्चों को अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति उपलब्ध कराई जाती है।

नोट- यह लेख राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग द्वारा जारी पुस्तक समीक्षा पर आधारित है और विश्व अल्पसंख्यक आयोग पर विशेष है


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