काकोरी काण्ड के अमर शहीदों को याद करते हुए अशफाक उल्ला खां पार्क में आयोजित हुआ कार्यक्रम

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रुद्रपुर – (एम सलीम खान संवाददाता) काकोरी कांड के अमर शहीदों की याद में आज दोपहर 2:30 बजे से शहीद अशफाक उल्ला खाँ पार्क, खेड़ा कॉलोनी, रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर,(उत्तराखंड ) में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। तत्पश्चात् खेड़ा कॉलोनी में शहीदों की फोटोफ्रेम क़ो हाथ में लेकर, जोशीले नारे और क्रांतिकारी गीत गाते हुए जुलुस निकाला गया। कार्यक्रम की शुरूआत अमर शहीदों क़ो पुष्प अर्पित करते हुए, उन्हें क्रांतिकारी सलाम पेश करते हुए हुई।

इसके पश्चात् हुई सभा क़ो सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में काकोरी कांड के नाम से घटित इस महान ऐतिहासिक घटना क़ो 9 अगस्त 2025 क़ो सौ साल पूरे हो चुके हैं।कि 9 अगस्त 1925 क़ो क्रांतिकारी नौजवानों ने काकोरी नामक स्थान पर ट्रेन से ले जाये जा रहे ब्रिटिश सरकार के खजाने क़ो सफलता पूर्वक लूट लिया। तांकि इस खजाने का प्रयोग आजादी के लिए लड़े जा रहे क्रांतिकारी आंदोलन के लिए हथियार और अन्य संसाधन जुटाने में किया जाये।

गाँधी जी द्वारा मनमाने तरीके से असहयोग आंदोलन वापस लिये जाने पर पूरा देश भयंकर हताशा- निराशा के समुद्र में डूब चुका था। काकोरी कांड नामक इस घटना ने पूरे देश क़ो आजादी क़ो लेकर जोश और जूनून से भर दिया। असहयोग आंदोलन से उपजी पस्तहिम्मती की बर्फ क़ो हमेशा के लिए पिघला दिया।इससे ब्रिटिश हुकुमत बौखला उठी।ब्रिटिश हुकुमत ने चंद्रशेखर आजाद क़ो छोड़कर घटना में शामिल अन्य क्रांतिकारी नौजवानों क़ो गिरफ्तार कर लिया। चंद्रशेखर आजाद क़ो पुलिस जीते जी गिरफ्तार नहीं कर पाई।

ब्रिटिश हुकुमत ने राजेंद्र नाथ लाहिड़ी क़ो 17 दिसंबर 1927 क़ो और पंडित रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खान और ठाकुर रोशन सिंह क़ो 19 दिसंबर 1927 क़ो फांसी के फंदे पर लटका दिया।ये चारों क्रांतिकारी नौजवान भारतीय स्वतन्त्रता आंदोलन के इतिहास में और देश की जनता के दिलों में काकोरी कांड के अमर शहीदों के रूप में हमेशा के लिए अंकित हो गये,अजर अमर हो गये।

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वक्ताओं ने आगे कहा कि जिस समय ब्रिटिश हुकुमत देश की जनता क़ो हिन्दू- मुस्लिम के नाम पर बाँटने क़ो सांप्रदायिक दंगे करवा रही थी।अंग्रेजों की एजेंट फिरकापरस्त ताकतों द्वारा आजादी की लड़ाई क़ो कमजोर किया जा रहा था। ठीक उसी समय पंडित रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खाँ ने कॉमी एकता के नारे क़ो बुलंद किया। देशप्रेम,दोस्ती,

भाईचारे और कॉमी एकता की ऐसी मिशाल पेश की कि एक ही दिन दोनों दोस्त देश की आजादी के संघर्ष में जिंदादिली से फांसी के फंदे पर झूल गये।अशफाक -बिस्मिल की यारी अजर- अमर हो गईं।देश के लिए यह सन्देश छोड़ गये कि जो देश की जनता क़ो हिन्दू – मुसलमान – शिख और ईसाई के नाम पर बाँटेगा,वह देश और समाज का सबसे बड़ा गद्दार होगा। समाज में जो भी ताकतें सांप्रदायिकता का जहर घोलेंगी,वो ताकतें इंसानियत की सबसे बड़ी दुश्मन होंगी। मजदूर वर्ग के नेतृत्व में समाजवादी भारत का निर्माण करना इनका सपना था।

वक्ताओं ने कहा कि आज संघ-भाजपा और अडानी- अम्बानी जैसे बड़े पूँजीपतियों के गठजोड़ ने जनता के हर हिस्से के खिलाफ काले कानून बना दिए हैं।यह गठजोड़ मजदूरों – किसानों -छात्रों -महिलाओं -आदिवासियों -दलितों और अल्पसंख्यकों के हक अधिकारों और आजादी क़ो छीन रहा है।

देश के हर जिले में आलिशान हेडक्वाटर स्थापित कर चुकी भाजपा की सरकार मजदूरों – गरीबों के घरों पर बेरहमी से बुल्डोजर चला रही है। इन जालिमों क़ो ना तो ठंड में रोते बिलखते बच्चों और असहाय बुजुर्गो के आंसू दिखाई व बेबसी दिखाई दे रही है,ना इनकी चीख चित्कार सुनाई दे रही है। मुस्लिम अल्पसंख्यक आबादी क़ो सबसे ज्यादा निशाना बनाया जा रहा है।

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मजदूर, किसान और आम जनता अपने छिनते अधिकारों के लिए, अपने बच्चों की शिक्षा के लिए, बेहतर रोजगार रोजगार के लिए,स्वास्थ्य,परिवहन,मंहगाई व बेरोजगारी जैसे बुनियादी मुद्दों पर एकजुट ना हो, संघर्ष ना करे, इसके लिए समाज में सांप्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है। आम जनता क़ो हिन्दू – मुसलमान के नाम पर आपस में लड़ाया जा रहा है। समाज में सांप्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है। मुस्लिम आबादी के खिलाफ हिंसा और नफ़रत क़ो बढ़ावा दिया जा रहा है।

आम जनता की एकता, भाईचारे और संगठन क़ो कमजोर करने की साजिश क़ो परवान चढ़ाया जा रहा है। अशफाक-बिस्मिल जैसे क्रांतिकारी शहीदों की विरासत क़ो नष्ट किया जा रहा है। ऐसे में हमें अशफाक- बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों की विरासत और हिन्दू, मुस्लिम, शिख, ईसाई आपस में हैं भाई भाई का उनका सन्देश ही सही मार्ग दिखा सकता है।

आज जनता के हर हिस्से क़ो जाति-धर्म और क्षेत्र के भेदभाव क़ो भुलाकर एकजुट और एकमुठ होने की जरूरत है। अशफाक – बिस्मिल की यारी, साझी विरासत है हमारी,नारे पर अमल करके ही हम अपने साझे संघर्ष क़ो आगे बढ़ा सकते हैं। इन काली शैतानी ताकतों क़ो नेस्तनाबूत कर सकते हैं।

कार्यक्रम क़ोक्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह,राजेश,दुर्गाप्रसाद, लक्ष्मण, सामाजिक कार्यकर्ता साजिद खान, सी एस टी यू के मुकुल, महेंद्र, इंक़लाबी मज़दूर केंद्र के कैलाश भट्ट,सुरेंद्र,फिरोज, सामाजिक कर्मी अज़ीज खान, इंट्रर्क मज़दूर संगठन के सौरभ,वीर सिंह व ह्रदयेश कुमार, भाकपा माले के ललित मटियाली, सुरेंद्र सिंह,डॉल्फिन मज़दूर संगठन की सुनीता,

प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की रविन्द्र कौर, यजाकि वर्कर्स यूनियन के समी अहमद,समता सैनिक दल के गोपाल गौतम,काकोरी शहीद यादगार कमेटी के उमर अली, पार्षद अशफाक व परवेज कुरेसी, एड.असगर रज़ा आदि ने सम्बोधित किया, यह जानकारी प्रेस को जारी एक विज्ञप्ति में शिवदेव सिंह ने दी।

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