रुद्रपुर-भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट ने चुनाव प्रचार तेज कर दिया है। जान संपर्क अभियान के दौरान उपलब्धियां गिनाते हुए अजय भट्ट ने कहा कि अलग उत्तराखंड राज्य गठन के बाद नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र विकास की दौड़ में हमेशा पीछे रहा, लेकिन 2019 में जब वह लोकसभा पहुंचे तो डबल इंजन की सरकार ने विकास के घोड़े दौड़ा दिए। लोकसभा क्षेत्र में एक के बाद एक केेंद्र की योजनाएं परवान चढऩे लगी। नैनीताल जिले में जल जीवन मिशन के तहत केंद्र सरकार ने 929 करोड़ रुपये की योजनाओं को स्वीकृति दी। नैनीताल जिले में जल जीवन मिशन के कार्यों के लिए पेयजल निगम को नोडल एजेंसी के रूप में चुना गया है, जिसमें 6 डिवीजन कार्य कर रहे है। इनमें भीमताल डिवीजन को 133 करोड़ रुपये, नैनीताल को 288 करोड़ रुपये, हल्द्वानी को 136 करोड़ रुपये, लालकुआं को 162 करोड़ रुपये, रामनगर प्रथम को 84 करोड़ रुपये व रामनगर द्वितीय डिवीजन को 124 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत हुई है। केेंद्र सरकार की जिन पेयजल योजनाओं पर जिले में कार्य किया जा रहा है। लगातार समीक्षा की गई जिससे अधिकारियों में आपसी समन्वय बना रहा और काम तेजी से हो रहा है। उत्तराखंड राज्य के लिए जल जीवन मिशन महत्वपूर्ण योजना है। इसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण इलाकों में पानी की सुविधा उपलब्ध कराना है। बढ़ती जनसंख्या के साथ पानी जैसी समस्या भी बढ़ रही है, ऐसे बहुत से ग्रामीण क्षेत्र पानी किल्लत का सामना कर रहे हैं। लोगों को कई मील दूर पैदल चल कर पानी लाना पड़ता है। पानी की कमी से किसानों को खेती करने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। इन सभी परेशानियों को देख कर केेंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन योजना की शुरुआत की है। इस मिशन के तहत जिन इलाकों में पानी नहीं है वहां हर घर में पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जा रहा है। इस योजना के शुरू होने से पहले 15 अगस्त, 2019 तक 24910 घरों में पानी के कनेक्शन थे जो इस योजना के लागू होने के बाद 30 सितंबर 2022 तक 67132 घरों तक नल से जल पहुंच चुका है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत नैनीताल जिले के 1289 स्कूल 979 आंगनबाडी केंद्र में भी पेयजल की किल्लत दूर हो चुकी है।
नैनीताल-ऊधमसिंह नगर लोकसभा क्षेत्र में 1003.77 लाख रुपये की लागत से खैरना-रानीखेत मोटर मार्ग पर कोसी नदी पर 70 मीटर लम्बे पुल का निर्माण कराया गया। इस महत्वपूर्ण खैरना-रानीखेत पुल के बनने से उत्तराखंड के लोगों के साथ ही पर्यटकों को इसका लाभ मिल रहा है। यह पुल नैनीताल जिले से रानीखेत होते हुए चारधाम में एक महत्वपूर्ण धाम बद्रीनाथ को जोड़ता है। अंग्रेजों के जमाने में यानी 1837 में बना खैरना पुल काफी जर्जर हो चुका था, इसलिए सामरिक दृष्टि से इसकी पैरवी केेंद्र सरकार में की जिससे पुल के लिए धनराशि स्वीकृत हुई। पुल बनने से आवागमन सुगम हो गया है और आए दिन लगने वाले जाम से लोगों को निजात मिल गई है। खैरना पुल के निर्माण से पर्यटन व्यवसाय को भी गति मिलने लगी है।