सिर्फ भाजपा नेता ही कर रहे भीड़ का दावा सीएम के संबोधन में सफा चट दिखाई दी कुर्सियां
सीएम सहित अन्य नेताओं के संबोधन के दौरान मोबाइल फोन में बिजी रही भाजपा की चंद महिला कार्यकर्ता
तो क्या इन चुनावों में अजय भट्ट को??
एम सलीम खान प्रभारी संपादक
रुद्रपुर – बीजेपी उम्मीदवार अंजय भट्ट ने दूसरी पारी में बल्लेबाजी करने के लिए बीतें रोज अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, उनके नामकान दाखिल के दौरान सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष महेन्द्र भट्ट, कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा तमाम विधायक खास कर रुद्रपुर के विधायक शिव अरोरा सहित तमाम दिग्गजों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन तमाम तामझाम के बीच बीजेपी ने इस नामांकन कार्यक्रम को एक रैली दिखाने की कोशिश की थी, वहीं भाजपाइयों ने इसे शक्ति प्रदर्शन की शक्ल देने की कोशिश की थी,बस इसी जगह भाजपा जरा मार खा गई, भट्ट के नामकान कार्यक्रम को भीड़ जुटाने के लिए सर से पैर तक का जोर लगाया गया था, विधायक शिव अरोरा सहित अन्य भाजपाइयों ने कमर तोड मेहनत की लेकिन इस के बावजूद भी गांधी पार्क में पड़ी कुर्सियां मुंह चिढ़ाती रहीं,जो कुछ लोग यहां पहुंचे थे वे मोबाइल फोन चलाने में व्यस्त रहें,खास महिलाएं भी सिर्फ फोटो शूट तक गांधी पार्क में रही, उसके बाद उन्होंने वहां से कनी काट ली,आलम यह था कि खुद भाजपाइयों द्वारा अपने मुख्यमंत्री और आला नेताओं को सही ढंग से नहीं सुना जा रहा था, वहां मौजूद कुछ महिलाओं ने सिर्फ इधर उधर की बातों के सिवा यह भी सुनन पसंद नहीं किया, उनके मुख्यमंत्री और संगठन मुखिया और लोक प्रिय सांसद उम्मीदवार क्या रणनीति बता रहे हैं,।
वहां मौजूद कुछ लोगों से पूछताछ की गई तो उन्होंने कहा हम किसी पार्टी से नहीं जुड़े हैं, सिर्फ यह देखने आए हैं कि मुख्यमंत्री और भट्ट हकीकत में दिखाई कैसे देते हैं, पंडाल में पड़ी अधिकांश कुर्सियां लोगों के आने का इंतेज़ार कर रही थी, लेकिन उन्हें बैठने वाला नसीब नहीं हुआ। चलिए आपको कुछ तस्वीरों के जरिए हकीकत दिखाने की कोशिश करते हैं।
भीड़ को लेकर दावे कोरे साबित
भाजपा ने अंजय भट्ट के नामकान कार्यक्रम में जिस भीड़ के उमड़ने का दावा किया है,वह पूरी तरह खोखला साबित हो गया, मसलन आम तौर पर जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी किसी कार्यक्रम में रुद्रपुर आते हैं तो उनकी बातों को सुनने के लिए अपार भीड़ जमा हो जाती है, लेकिन भाजपा के इस निजी कार्यक्रम में उमड़ी भीड़ का यह आलम था कि कुर्सियां धुल फाख रही थी।