डीएफओ व अन्य अधिकारियों को कार्यालय में बैठकर जंगल की आग पर काबू पाने के बजाय ग्राउंड जीरो पर करना चाहिए काम

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उत्तराखंड सदन, नई दिल्ली में वनाग्नि की रोकथाम के लिए किये जा रहे कार्यों की समीक्षा करते हुए वर्चुअली जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों को वनाग्नि पर यथाशीघ्र पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करने और सभी वन प्रभागों के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त कर जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये। डीएफओ व अन्य अधिकारियों को कार्यालय में बैठकर जंगल की आग पर काबू पाने के बजाय ग्राउंड जीरो पर काम करना चाहिए।

इसके साथ ही अधिकारियों को शीतलाखेत मॉडल या अन्य प्रभावी तंत्र को गंभीरता से अपनाने और दीर्घकालिक रूप से इस पर काम करने का निर्देश दिया ताकि जंगल की आग पर स्थायी रूप से नियंत्रण किया जा सके। फायर वॉचरों का बीमा करने के भी निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिये गये। वनाग्नि की घटनाओं में संलिप्त लोगों के विरूद्ध सख्त से सख्त कार्यवाही सुनिश्चित की जाय।

जलापूर्ति के लिए बेहतर स्थायी व्यवस्था बनाने के साथ-साथ जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन के लिए प्रखंड स्तर पर कार्य करने का निर्देश अधिकारियों को दिया गया. पर्वतीय क्षेत्रों में पुराने तालाबों को पुनर्जीवित करने तथा पेयजल लाइनों की मरम्मत करने के निर्देश दिये।

चारधाम यात्रा 2024 के सम्बन्ध में सड़कों की मरम्मत के साथ ही यात्रा मार्गों पर विद्युत, पेयजल एवं स्वच्छता की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिये गये। सभी उत्तराखंडवासियों का दायित्व है कि श्रद्धालु देवभूमि उत्तराखंड से अच्छा संदेश लेकर जाएं।

दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उत्तराखंड आपदा की दृष्टि से एक संवेदनशील राज्य है, आगामी मानसून को देखते हुए आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को पहले से ही समुचित तैयारी करने और इससे निपटने के लिए हर स्तर पर तैयार रहने के निर्देश दिए गए।


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