गजब पहले रचा अपने ही घर में डकैती का षड्यंत्र, फिर खुद कराईं रिपोर्ट दर्ज,एक महीने तक पुलिस को घूमाया फिर खुला राज और पहुंच गया जेल

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प्रभारी संपादक एम सलीम खान/शबाना कैफ की रिपोर्ट

(उत्तर प्रदेश क्राइम)

मिर्ज़ापुर – मिर्जापुर के रहने वाले रामधन मिश्रा का अच्छा कारोबार होने के साथ 11-12 एकड़ जमीन भी है, परिवार में किसी बात की कोई कमी नहीं है,एक बेटी है साक्षी जिसका उन्होंने दिल्ली में विवाह कर दिया है, और दो बेटे हैं, जिनमें से बड़ा बेटा वैभव उनके साथ कारोबार में हाथ बंटाता है, और छोटा बेटा रमेश दसवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहा है, यह तो रही परिवारिक जानकारी,

बीती 15 फरवरी को मिश्रा के घर में हुई डकैती की वारदात

बीती 15 फरवरी को परिवार के सभी लोग अपनी बेटी के देवर कोशल कुमार की शादी में शामिल होने दिल्ली गए हुए थे, लेकिन छोटा बेटा वैभव बोर्ड परीक्षाओं की बात कहकर घर पर ही रुक गया, जिसके बाद परिवार के अन्य सभी लोग दिल्ली चले गए, 15 फरवरी की देर शाम वैभव ने घर में ताला लगाकर पड़ोस में रहने वाले किशन चाचा से कहा कि वे पढ़ाई करने आपने एक दोस्त के घर जा रहा है, और देर रात तक वापस लौटेगा, लेकिन काफी रात होने तक वेभव घर नहीं लौटा, जिसके बाद गांव में सन्नाटा पसर गया, इसी दौरान अगली सुबह करीब 4.25 बजे वैभव घर लौटा तो उसके होश उड़ गए, उसके घर के दरवाजे का ताला टूट हुआं था, अंदर के कमरे के भी तीनों दरवाजे के ताले टूटे हुए थे, कमरे में रखी अलमारी खुली पड़ी थी, उसमें रखे सोने चांदी के गहने गायब थे, अलमारी में रखे करीब पौने तीन लाख रुपए की नगदी भी गायब थीं, वैभव ने आसपास के लोगों सहित किशन चाचा को बुलाकर घर में हुई डकैती की जानकारी दी, जिसके बाद गांव वालों ने इसकी सूचना वैभव के साथ जाकर मिर्जापुर थाने में दी, तो पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मुआयना किया, और वैभव की तहरीर पर मुकदमा दर्ज कर अज्ञात डकैतों की खोजबीन शुरू कर दी, इसी बीच मिश्रा को जब सूचना मिली तो वे भी दिल्ली से वापस आ गए, उन्होंने पुलिस को गहने और नगदी के बारे में सारी जानकारी दी,

पुलिस ने आसपास लगे कुछ सीसीटीवी कैमरे फुटेज को खंगाला, लेकिन उसके हाथ कोई सबूत नहीं लगा, पुलिस जिस दिशा में इस मामले को जांच पड़ताल करती उसे निराश हाथ लगती थी, दर्जनों संदिग्ध लोगों से पूछताछ की गई, लेकिन चोरों का कोई सुराग हाथ नहीं लगा, पुलिस की तमाम कोशिशों को आखिर में जाकर निराश ही दिखाई दे रही थी,

 मुखबिर तंत्र भी हो रहा था नाकाम

पुलिस ने इस मामले को अपने सभी मुखबिरों को सक्रिय किया था, उन्हें हर संदिग्ध व्यक्तियों पर नजर बनाए रखने को कहा गया था, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी मुखबिर तंत्र भी नाकाम साबित हो रहा था,

उपनिरीक्षक सुरेन्द्र सिंह को दी गई जांच पड़ताल

तमाम कोशिशों के बाद पुलिस महकमे ने इस मामले की जांच पड़ताल उपनिरीक्षक सुरेन्द्र सिंह को सौंपी, उन्होंने पूरे मामले में नये सिरे से जांच पड़ताल शुरू कर दी, इसी बीच उन्होंने मिश्रा के घर जाकर एक बार फिर से मौका मुआयना किया तो एक बात उनके दिमाग में घर गयी, दरअसल जिस कमरे में अलमारी थी,उस कमरे का ताला तोडा नहीं गया था, बल्कि उसे खोलने के चाबी का इस्तेमाल किया गया था, जिसके बाद उन्होंने मिश्रा को पूछताछ के लिए थाने बुलाया और पूछा कि घर की चाबियां कह थी जब आप दिल्ली गए हुए थे, उन्होंने तुरंत बताया कि चाबियां तो वैभव के पास थी,बस इसी बात ने उनके संदेह को और मजबूत कर दिया, जिसके बाद उन्होंने मुखबिर को वैभव पर नजर बनाए रखने को कहा,अब वैभव पुलिस की रडार पर था, उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि कोई उस पर चील की तरह नजर बनाए हुए हैं,

9 मार्च को वैभव ने चार दोस्तों के साथ की शराब और मुर्गा पार्टी

वैभव पर नजर बनाए हुए मुखबिर ने दरोगा सुरेन्द्र सिंह को बताया कि वैभव ने अपने चार दोस्तों को शराब और मुर्गा पार्टी दी है,यह सभी दोस्त संदिग्ध लग रहें हैं, पार्टी में पैसे पानी की तरह बहाए गए हैं, जिसके बाद पुलिस ने वैभव के सबसे नजदीकी दोस्त असलम और विजय को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू की तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया, दरअसल वैभव की नजर घर में रखे सोने चांदी और लाखों की नगदी पर पड़ गई थी, वैभव गलत संगत में पड़ गया था, इसलिए उसके पिता उसे सिर्फ जेब खर्च ही दिया करते थे, जबकि बड़े बेटे को उन्होंने बाइक महंगा मोबाइल फोन सभी कुछ खरीदने की छूट दी थी, मिश्रा उसकी हर बात में हामी भरते थे,यह बात वैभव को नागवारा लगती थी,

8 फरवरी को रचा था चोरी का षड्यंत्र चार दोस्तों को भी किया शामिल

वैभव को यह बात अच्छी तरह पता थी कि बहन के घर दिल्ली में शादी में शामिल होने घर के सभी लोग जरूर जाएंगे, इसलिए उसने 12 फरवरी को घर में चोरी का षड्यंत्र रचा, और घर से पढ़ाई करने जाने की बात कहकर उसने किशन चाचा को इसका गवाह बनाने की कोशिश की थी, वैभव ने घर से बाहर जाते ही घर की चाबियां अपने चारों दोस्तों के हवाले कर दी थी,इस दौरान उसने घर के सभी ताले तोड़ने को कहा था, मैंने कमरे का ताला नहीं टूट सका तो उसे चाबी से घोला गया था,बस यही गलती वैभव और उसके दोस्तों तक पुलिस को ले जा पहुंची,दरअसल वैभव और उसके दोस्त असलम , विजय, सन्नी, अनिल ने मिलकर चोरी की वारदात को अंजाम दिया था, वैभव ने उन्हें 30 -30 हजार रुपए नगद और सोना बेचकर आई रकम में से 5-5 हजार रुपए और दैने की बात कही थी,

राज खुलने के बाद शामिल होने से करता रहा इंकार

हैरान कर देने वाली बात यह कि वैभव के सभी दोस्तों ने सारा माजरा पुलिस को बताया दिया,इस सबके बावजूद भी वैभव चोरी में शामिल होने की बात से इंकार करता रहा, उसने बहुत बार पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया, कभी कहता इन लोगो ने चाबियां जबरन मेरी जेब से निकाली, कभी नशे देकर चाबी निकलने की बात कही, लेकिन पुलिस को सब कुछ समझ आ गया था, पुलिस ने पांचों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया।


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