
नैनीताल – (एम सलीम खान संवाददाता) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हजारों उपनल कर्मियों को आज तक स्थाई नहीं किए जाने के मामले सख्त रुख अख्तियार किया, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से सवाल किया कि आदेश के बाद भी उपनल कर्मियों को अब तक पक्का क्यों नहीं किया?
उन्हें सम्मान कार्य के लिए समान वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा, उच्च न्यायालय ने इस मामले में आगामी 20 नवंबर तक सरकार से स्पष्ट जवाब देने पर आरोप तय करने जाने पर सख्त टिप्पणी भी की है उपनल कर्मियों का स्थाई करने का यह मामला उच्च न्यायालय जा पहुंचा है।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पहले ही प्रदेश सरकार को आदेश दिए थे कि उपनल कर्मियों को स्थाई किया जाए, राज्य में उपनल कर्मियों के संगठन की अवमानना याचिका पर सुनवाई की करते हुए न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी की खंडपीठ में सुनवाई हुई,इस दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील ने अदालत को बताया कि साल 2018 में अदालत ने आदेश दिया था कि छह महीने में न्यूनतम वेतन दिए जाने के आदेश दिए थे।
उन आदेशों का राज्य सरकार ने आज तक अनुपालन नहीं किया है, इससे उपनल कर्मी संदेह में है और सरकार की तरफ से हाईकोर्ट में बताया गया कि इस मामले में सात सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
कर्मचारियों का सम्पूर्ण विवरण जुटाया जा रहा है,साल 2018 में उच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि उपनल कर्मियों को एक साल में चरणबद्ध तरीके से स्थाई किया जाए, सर्वोच्च न्यायालय ने 2024 अक्टूबर में इस आदेश की पुनः पुष्टि करते हुए प्रदेश सरकार की दायर की गई याचिका को अस्वीकार कर दिया था सरकार ने समिति का गठन कर उपनल कर्मियों को स्थाई करने के मामले को एक अरसे से लटका दिया रखा है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की घोषणा के मुताबिक प्रदेश में उपनल कर्मियों के नियमितीकरण के लिए भी नीति भी बनाई जा रहा है प्रदेश के सचिव मुख्यमंत्री आरके सुधांशु की अध्यक्षता में गठित एक उच्च स्तरीय समिति नीति को अमली जामा पहनाने की तैयारी कर रही है, सूत्रों के मुताबिक समिति नीति बनाने के लिए उपनल कर्मियों तैयार करने के साथ साथ कार्मिकों का डाटा भी जुटा रही है और विनियमितिकरण नियमावली को लागू किए जाने की प्रतीक्षा की जा रही है।


