कांग्रेस के सिपाहसलार कही भाजपाइयों का किला तो नहीं कर रहें मजबूत,अपनी नीवें खोद कर कांग्रेस ब्रांड मार्क की ईंटों से हो रही है अंदरुनी चुनाई

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एम सलीम खान ब्यूरो

लोकसभा चुनाव 2024 में सत्तारुढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच कडा मुकाबला है, भाजपा और कांग्रेस के बहुत से दिग्गजों ने इन चुनावों में अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी कर ली, भाजपा ने अपनी सरकार की बड़ी योजनाओं को जनता के बीच रखते हुए तीसरी बार केन्द्र में सरकार बनाने के लिए मतदाताओं के सामने दामन फैलया दिया, वहीं कांग्रेस भाजपा के दामन में कांटे बिछाने का हर मंसूबा सफल करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखी है, कांग्रेस भाजपा को हर उस मुद्दे घेर रही है,जो भाजपा की कमजोरियां को दर्शाता है, जैसे की नोट बंदी, किसानों की मांगों को लेकर मोदी सरकार का सौतेले रवैया,हाल ही महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार जैसे मुद्दे कांग्रेस की टाप लिस्ट में शामिल हैं। लेकिन जहां एक तरफ कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा जैसे बड़े चेहरे इन चुनावों में जीत हासिल करने के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं, तो वहीं उत्तराखंड में कांग्रेस में खलबली मची हुई है, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा की तमाम कोशिशें उस जगह आ कर खत्म हो जाती है, जहां मेहरा कांग्रेस में पनपीं गुटबाजी पर लगाम लगाने में असफल साबित हुई है।

ऊधम सिंह नगर में कांग्रेस के कई खेमे जिलाध्यक्ष पर बंद जुबान से हमला

उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी में सबसे अधिक गुटबाजी जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में सामने आई है, जहां कांग्रेस छोटे छोटे गुटों में बंटी हुई है, इसके लिए स्थानीय वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं ने जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा और महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा को जिम्मेदार ठहराया है, दरअसल जब जिला कांग्रेस कमेटी की ताजपोशी की गई तो हिमांशु गावा ने भरसक प्रयास कर जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद उनके सामने एक मजबूत संगठन खड़ा करने की जिम्मेदारी थी, लेकिन उन्होंने संगठन के विस्तार के दौरान उन नेताओं को नजरंदाज कर दिया जो जमीनी तौर पर कांग्रेस से जुड़े हुए थे, मिसाल के तौर कांग्रेस के वरिष्ठ डा अंजय सिंह, अमरनाथ जैन, पुष्कर राज जैन, अनिल शर्मा, पप्पू शाही, साजिद खान, सलीम अहमद खां, जैसे नेताओं को दर किनार कर ऐसे चेहरों को अपनी टीम में जगह दी जिनकी हकीकत में पहचान भी नहीं है,यह कहना ग़लत नहीं होगा कि जिला कांग्रेस कमेटी के वयैवृद और तजुर्बेकार कांग्रेसी नेताओं की भारी किल्लत है, जिसके चलते जिला अध्यक्ष हिमांशु गावा किसी तरह का ठोस फैसला में पीछे है, अगर उनकी टीम में कोई तजुर्बेकार कांग्रेसी होता तो यह उनके और संगठन के लिए बेहतर होता, लेकिन गावा ने उस कहावहत को पूरा कर दिया कि अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपने को उनको ओर न कोई सुहाय, वहीं गावा ने ऐसे लोगों को संगठन में जगह दी जिन्हें चुनावी रणनीति बनाने का सही से सलीका भी नहीं आता है, जिला अध्यक्ष हिमांशु गावा ने हा इतना जरुरी क्या की चंद मिनटों के सड़कों पर उतरकर सरकार विरोधी प्रदर्शन पुतलों का दहन कर फोटो जरुर खिंचवामा और मीडिया के सामने खुद को साबित करने का प्रयास किया। मौजूदा समय में जिला कांग्रेस कमेटी बेहद कमजोर है।

यह दोहराइ फिर एक और गलती

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जिला कांग्रेस अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिलते ही अध्यक्ष हिमांशु गावा ने फिर एक बार बड़ी ग़लती दोहरते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की राय शुमरी के बिना ख़ुद को आगे बढ़ते हुए महानगर कांग्रेस कमेटी का विस्तार करते हुए पूर्व महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा को बाहर का रास्ता दिखाते हुए महानगर अध्यक्ष की कुर्सी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मजदूरों के हकों के संघर्ष करने सीपी शर्मा के हवाले कर दी, हालांकि इस बात में कोई दो राय नहीं है कि पूर्व महानगर अध्यक्ष जगदीश तनेजा ने अपने होटल में बैठकर महानगर कांग्रेस कमेटी को संचालित किया, उन्होंने भी संगठन के लिए कोई खास मेहनत नहीं की इसकी वजह से उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया गया था, वहीं कांग्रेस में सक्रिय भूमिका निभाने सीपी शर्मा को जब महानगर कांग्रेस की कुर्सी सौंपी गई तो अंदाजा लगाया जा रहा था कि कांग्रेस अब महानगर स्तर पर मजबूत हो जाएगी, लेकिन हकीकत इससे परे हो गई, सीपी शर्मा ने महानगर अध्यक्ष बनाने के बाद सिर्फ नये चेहरों को अपनी टीम में बल्लेबाजी के लिए शामिल किया, जबकि उन्होंने भी जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा की राह पकड़कर पुराने खिलाड़ियों को पीछे धकेल दिया, इतना ही सीपी शर्मा ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री किच्छा विधायक तिलक राज बेहड के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और बागी तेवरों के साथ जमकर उन पर निशाना साधते हुए बड़ी बड़ी बाते कही, इसके जवाब में कांग्रेस नेता तिलक बेहड भी खुल कर मैदान में आ गए थे, उन्होंने भी सीपी के हर ज़ुबानी हमले का कड़ा जवाब दिया, महानगर कांग्रेस कमेटी में तजुर्बे की बेहद कमी है।

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यह कांग्रेसी गुट

1- कांग्रेस का एक बड़ा गुट पूर्व मंत्री किच्छा विधायक तिलक राज बेहड का है, जिसमें पुराने कांग्रेसियों भी जगह ले रखी है,इस गुट में कांग्रेस के बहुत से पुराने नेताओं की हाजिरी रजिस्टर में दर्ज है।

2- दूसरा गुट जिला कांग्रेस कमेटी और महानगर कांग्रेस कमेटी का है,इस गुट में नये नये चेहरों की भर्ती की गई है, सबसे बड़ी बात है यह की जिला स्तरीय कांग्रेस कमेटी में मीडिया के लिए किसी भी सिपाहसलार को तैनात नहीं किया गया।

3- वहीं अगर तीसरी आंख से देख जाएं तो एक गुट और भी है,जो पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता हरीश रावत के खेमे में शामिल हैं, लेकिन यह गुट खास तौर पर सक्रिय नहीं है, जब जब हरीश रावत यहां मतलब ऊधम सिंह नगर के किसी भी शहर में आते हैं तो इस गुट की सक्रियता दिखाई पड़ती है।

प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा ने की तमाम कोशिशों पर पानी फिरा

उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा ने कांग्रेस में ऊपजी गुटबाजी को खत्म करने के लिए ख़ासे प्रयास किए, लेकिन उसकी सारी कोशिशें असफल साबित हो गई, हालांकि करन मेहरा इस बात का दावा करते रहे हैं कि कांग्रेस में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है, लेकिन हकीकत जग जाहिर है।

प्रकाश जोशी के सामने खड़ा हैं मुसीबतें का पहाड़

नैनीताल ऊधम सिंह नगर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश जोशी के सामने बहुत सी चुनौतियां हैं, सबसे पहले उनके चुनावी प्रचार को धार देने के लिए उन्हें जमीन से जुड़े कांग्रेसियों की जरूरत है, उसके बाद कांग्रेस के बिखरे पड़े कार्यकताओं को एक सूत्र में पिरोकर उन्हें एक मंच पर लाना,ताश के पत्तों के तरह बिखरे पुराने कांग्रेसियों तक अपनी पकड़ को बनाना,आम जनता को खुद पर विश्वास में लेना, लेकिन यहां कहना ग़लत नहीं होगा कि जोशी अकेले दम पर इतना सब कुछ कर पाएंगे, इसके लिए उन्हें टिकाऊ और समर्पित कांग्रेसियों की बेहद जरूरत पड़ेगी।

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बेहड, आर्या कापड़ी जैसे दिग्गज नेताओं को समझना होगा

लोकसभा चुनाव में सक्रियता निभाने वाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और किच्छा विधायक तिलक राज बेहड,सदन में नेताप्रतिपक्ष यशपाल आर्या,उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी सहित कांग्रेस कमेटी के उत्तराखंड हाईकमान करन मेहरा को इन सभी मुद्दों पर गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है, क्योंकि अगर चुनाव में इन बातों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया तो कांग्रेस को बड़ा नुक्सान हो सकता है,हम किसी संगठन या किसी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं कर रहें हैं, बल्कि मौजूदा समय में उत्तराखंड में सक्रिय राजनीतिक दलों का वर्णन आम जनता के सामने रखने का प्रयास कर रहे हैं।


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