उप विधानसभा चुनावों में दो सीटें पर जीत हासिल कर कांग्रेस के ज़ख्मों पर लगा मरहम भाजपा को गहरा घाव दिया

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उप विधानसभा चुनावों में दो सीटें पर जीत हासिल कर कांग्रेस के ज़ख्मों पर लगा मरहम भाजपा को गहरा घाव दिया

कांग्रेसियों ने इस जीत को बताया बड़ी उपलब्धि तो भाजपा के गसरा जख्म

सूब के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी नहीं पटा पाएं मतदाताओं को मैंगलोर सहित बद्रीनाथ विधानसभा चुनावों में कांग्रेस में खुशी तो भाजपा में मायूसी

एम सलीम खान ब्यूरो प्रमुख ऊधम सिंह नगर उत्तराखंड

उत्तराखंड राज्य की दो विधानसभा सीटों के लिए हुए उप चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को जोर का झटका धीरे से लगा है,इस करारी हार को जहां भाजपा के दिग्गज नेताओं में मायूसी छाई हुई तो वहीं कांग्रेस को लोकसभा चुनावों में मिले ज़ख्मों को भरने के मरहम मिल गया, कुछ हद कांग्रेस की दुर्दशा पर आंसू बहाने वाले कांग्रेसियों को राहत मिली लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं की कांग्रेस को बड़ी चुनौतियों से छुटकारा मिल गया है कांग्रेस के सामने आज बड़ी चुनौतियां विकराल रूप धारण कर खड़ी हैं।

बद से बद्तर हालत में पहुंच चुकी कांग्रेस को उत्तराखंड में और मजबूत बनाने की दिशा में काम करना होगा,जो कांग्रेस ढोंगी मठाधीशों ने नकाब पहन रखी है उसे उनके चेहरों से खींच कर उतरना होगा, बीते रोज कुछ तथा कथित मठाधीशों ने विधानसभा उप चुनावों में कांग्रेस की जीत का जश्न तो बड़े जोर शोर से मनाया लेकिन उन्होंने अभी अपने गिरेबान में झांक कर नहीं देखा है कुछ कांग्रेसियों ने दौलत और शोहरत के बल महत्वपूर्ण पदों पर कब्जा कर अपने हितों को अहमियत दी है।

 

फिर चाहे संगठन का दशा कुछ भी हो उन्हें तो महज फोटो खींचने से सरोकार है, हकीकत में जो जमीनी कांग्रेसी है उनको नज़र अंदाज़ करने फिर एक बार कांग्रेस को बड़ी मुश्किल में डाल सकता है,मगर तथा कथित मठाधीश अपने आगे उन्हें महज बुजुर्ग समझकर नज़र अंदाज़ कर रहे हैं, लेकिन उनके तजुर्बे को साझा करने की जगह खुद को पेश करने के प्रयास कर रहे जिसका नतीजा बीते लोकसभा चुनाव में जगजाहिर हो गया है।

सीएम धामी भी नहीं बचा पाए उप विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत

उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों पर हुए उप विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिलने के कांग्रेस के दिग्गज नेता सूबे की धामी सरकार को भी अपने निशाने पर ले रही है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तो यहां तक कह दिया कि वोटों पर डाका डालने वालों को बाबा बद्रीनाथ भी नहीं चाहते इसलिए जनता ने भाजपा को सिरे से नकार दिया और कांग्रेस पर भरोसा जताया जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को गर्त में धकेल दिया और राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर प्रचंड जीत हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन इन उप विधानसभा चुनावों में सीएम धामी ने कहा गलती कर दी।

 

जिससे उनकी पार्टी के दोनों उम्मीदवारों को कांग्रेस के हाथों करारी हार मिली, राजनीति जानकारों की मानें तो कांग्रेस की यह जीत भाजपा के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकती है जिसकी वजह यह है कि कुछ महीनों बाद उत्तराखंड में निकाय चुनावों को सम्पन्न कराने की तैयारियां शुरू कर दी गई है, और इन निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को फिर एक बार बड़ा नुक्सान हो सकता है, क्योंकि यह चुनाव व्यक्तिगत दृष्टिकोण से बड़े मायने रखतें हैं

 

और कांग्रेस ने इन निकाय चुनावों में जमीनी स्तर से जुड़े कांग्रेसियों को मैदान में उतारा और भाजपा ने दावेदारों पर गौर किया तो यह उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है। आपको बता दें उत्तराखंड की दो विधानसभा सीटों पर हुए उप विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिलने के कांग्रेस के दिग्गज नेता सूबे की धामी सरकार को भी अपने निशाने पर ले रही है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने तो यहां तक कह दिया कि वोटों पर डाका डालने वालों को बाबा बद्रीनाथ भी नहीं चाहते इसलिए जनता ने भाजपा को सिरे से नकार दिया और कांग्रेस पर भरोसा जताया।।

 

जबकि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बीते लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को गर्त में धकेल दिया और राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर प्रचंड जीत हासिल करने में अहम भूमिका निभाई थी लेकिन इन उप विधानसभा चुनावों में सीएम धामी ने कहा गलती कर दी जिससे उनकी पार्टी के दोनों उम्मीदवारों को कांग्रेस के हाथों करारी हार मिली, राजनीति जानकारों की मानें तो कांग्रेस की यह जीत भाजपा के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकती है।

 

जिसकी वजह यह है कि कुछ महीनों बाद उत्तराखंड में निकाय चुनावों को सम्पन्न कराने की तैयारियां शुरू कर दी गई है, और इन निकाय चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को फिर एक बार बड़ा नुक्सान हो सकता है, क्योंकि यह चुनाव व्यक्तिगत दृष्टिकोण से बड़े मायने रखतें हैं और कांग्रेस ने इन निकाय चुनावों में जमीनी स्तर से जुड़े कांग्रेसियों को मैदान में उतारा और भाजपा ने दावेदारों पर गौर किया तो यह उसके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।


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