रुद्रपुर – राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही प्रदेश में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं का ढिंढोरा पीटे लेकिन स्थिति इसके विपरित है, आलम यह है कि जनपद ऊधम सिंह नगर के स्वास्थ्य महकमे के मुखिया सीएमओ डॉ मनोज कुमार शर्मा खुद ही राज्य सरकार के उन दावों को दीमक की तरह खोखला कर रहे जिन पर सरकार और उसके नुमाइंदे जोर से जोर ढोल पीटते दिखाई देते हैं।
दर असल शहर के गांधी पार्क में आमरण अनशन कर रहे डोल्फिन कंपनी के मजदूरों की हालत बिगड़ने पर स्वास्थ्य महकमे के मुखिया मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मनोज कुमार शर्मा नींद से जागे और उन्होंने अनन फनन में जिला अस्पताल की टीम को मौके पर भेजा और इस टीम ने आमरण अनशन पर बैठी हुई दो महिलाओं का स्वास्थ्य परीक्षण किया तो पता चला कि इन दोनों महिलाओं का स्वास्थ्य बेहद गंभीर है और उनका ब्लड प्रेशर तथा शुगर बेहद बड़ी पाई गई।
मौके पर मौजूद बाजार पुलिस चौकी प्रभारी दिनेश सिंह खत्री ने इस मामले से कोतवाली पुलिस को अवगत कराया तो कोतवाली के वरिष्ठ उप निरीक्षक ललित मोहन रावत, और महिला उप निरीक्षक नेहा राणा मौके पर पहुंची जहां उन्होंने दोनों महिलाओं को जिला अस्पताल में भर्ती कराने की बात कही तो वहां मौजूद श्रमिक भड़क गए और उन्होंने कहा हमें मरना ग्वारा है लेकिन हम आमरण अनशन से नहीं उठेंगे।
जिसके बाद पुलिस महकमे ने रुद्रपुर के तेहसीलदार/मजिस्ट्रेट दिनेश कटौला को मामले से अवगत कराया और तेहसीलदार दिनेश कटौला मौके पर पहुंचे और उन्होंने इन श्रमिकों को समझने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने उनकी एक नहीं सुनी बल्कि अपनी बात अंडे रहें, जिसके बाद तेहसीलदार दिनेश कटौला ने इस मामले से उच्च अधिकारियों को अवगत कराने की बात कह कर वहां से नौ दो ग्यारह हो गये, आमरण अनशन कर रही महिला श्रमिक पिंकी गंगवार ने कहा कि मुझे मरना ग्वारा है।
लेकिन मैं किसी भी सूरत में अस्पताल नहीं जाऊंगी उन्होंने कहा कि अगर मेरे मर जाने से डोल्फिन कंपनी के मजदूरों को न्याय मिलता है इससे ज्यादा बेहतर कुछ नहीं हो सकता, वहीं श्रमिक नेता हरीश कुमार शर्मा ने कहा कि बीते चार दिनों के बाद मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मनोज कुमार शर्मा को हमारी याद आ रही है सीएमओ बताएं तीनों दिनों से स्वास्थ्य विभाग सोया हुआ था, यहां बताते चलें कि आमरण अनशन के दौरान स्वास्थ्य विभाग पर बड़ी जिम्मेदारी निर्भर होती है।
भारतीय संविधान के मुताबिक आमरण अनशन के पहले दिन से स्वास्थ्य विभाग को आमरण अनशन पर बैठे हुए लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण करने होता है और दिन में लगभग दो बार आमरण अनशन पर बैठे हुए लोगों की स्वास्थ्य की जानकारी शासन और प्रशासन को देनी होती है, मजदूरों का कहना था कि आमरण अनशन से पहले उन्होंने जिले के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ मनोज कुमार शर्मा को इस मामले में पत्र लिखकर अवगत कराया था जिसके एक प्रति उनके पास उपलब्ध है, यहां सवाल यह उठता है कि क्या सीएमओ डॉ मनोज कुमार शर्मा किसी बड़ी अनहोनी का इंतजार कर रहे थे।
जो उन्होंने चार दिनों बाद चिकित्सकों की टीम को मौके पर भेजा, सवाल यह है कि स्वास्थ्य महकमे के जिम्मेदार अफसरों की इस बड़ी लापरवाही का आखिर कौन जिम्मेदार है, सीएमओ डॉ मनोज कुमार शर्मा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस दावे को पलीता लगा रहा है जिससे सीएम धामी उत्तराखंड में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं का ढिंढोरा पीटते हैं, अब सरकार सीएमओ डॉ मनोज कुमार शर्मा की बड़ी लापरवाही क्या एक्शन लेगी यह तो गर्भ है।
एम सलीम खान ब्यूरो