भाजपा के मुकाबले चुनावी प्रचार के रण में बिछड़ रही कांग्रेस, कांग्रेस के जिम्मेदार सिर्फ पार्टी के कार्यकर्ताओं के घर तक सीमित

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एम सलीम खान ब्यूरो

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव पूरे शबाब पर है, सत्तारुढ़ भाजपा चुनावी प्रचार के लिए हर हथकंडे का इस्तेमाल रही है, दिग्गज नेताओं सहित स्टार प्रचारकों को भी जनता के बीच लाने की रणनीति को अंजाम दिया जा रहा,देश के प्रधानमंत्री और बीजेपी के लिए जीताऊ सबसे बड़ा चेहरा यानी नरेंद्र मोदी ने ऊधम सिंह नगर के रुद्रपुर में चुनावी रैली को संबोधित भी कर दिया है, और फिर उनके उत्तराखंड आने की संभावना है, वहीं भाजपा के आला कमान जेपी नड्डा सहित यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव को धार देने आ रहें हैं, इसके अलावा अन्य बड़े भाजपा नेता भी उत्तराखंड का रुख अपनाने की जोर शोर से तैयारियां कर रहे हैं, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा जा सकता कि कांग्रेस भाजपा के मुकाबले में चुनावी प्रचार में पीछे खिसक गई है, कांग्रेस फिर एक बार विधानसभा चुनावों की चूक को दोहरा रहीं,जिसका नतीजा यह हुआ था कि कांग्रेस ने भाजपा के हाथों मुंह की खाईं थी,उस समय भी कांग्रेस के जिम्मेदार चेहरों ने एयर कंडीशनर में बैठकर जीत के दावे किए थे या यूं कहें कि इन सभी जिमेदारन लोगों ने महज़ दिखावा ही किया था, जिसके बाद कांग्रेस निगम चुनावों में मेयर और विधानसभाओं चुनाव में करारी हार का मुंह देखना पड़ा था।

आपसी सहमति की सबसे बड़ी कमी कांग्रेस के बीच उपजी है गुटबाजी

दरअसल जिले में कांग्रेस एक मंच पर नहीं है, कांग्रेस लगभग तीन गुटों में बंटी हुई है, जिसमें एक गुट कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा का है,इस गुट में महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सीपी शर्मा, सहित युवा कांग्रेसी नेता सौरभ चिल्लाना, जैसे लोग शामिल हैं, जबकि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा को सभी भेदभाव को समाप्त करते हुए कांग्रेस उम्मीदवार प्रकाश जोशी को चुनाव जीतने के लिए सभी को साथ लेकर ठोस कदम उठाने चाहिए, लेकिन उनकी लापरवाही का आलम यह है कि वे सिर्फ मीडिया से बड़ी बड़ी बाते करने में माहिर हैं, इसके लिए गावा अपने एयर कंडीशनर आफिस में छुट मुट कार्यक्रम का आयोजन कर मीडिया की सुर्खियों बटोर लेते हैं, फिर चाहे संगठन का बुरा हाल हो या फिर उसे हार मिलें उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता है, यही आलम है महानगर कांग्रेस कमेटी के महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा का लोकसभा चुनावों को लेकर उनकी भी कोई सक्रिय भूमिका नहीं दिखाई दे रही है, सीपी ने निकाय चुनावों को जीतने के लिए बड़ी बड़ी बाते तो जरूर की लेकिन मेयर रामपाल सिंह और उनके बीच हुई भिड़ंत के बाद शर्मा ने भी अपने हथियार ठंडे बस्ते में पैक कर लिए हैं।

कैसे होगी कांग्रेस की नैया पार

कांग्रेस के जिम्मेदार लोगों की यह लापरवाही कांग्रेस के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है, कहीं ऐसा न हो कि विधानसभा चुनाव की कहानी फिर से एक बार वापसी कर ले, ऐसे में उत्तराखंड कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा सहित कांग्रेस के आला नेताओं को इस पर विचार करना बेहद जरूरी है, अगर ऐसा नहीं किया गया तो कांग्रेस फिर एक बार हाशिए पर पहुंच जाएगी।


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