अपना घर बचा नहीं पाईं और अब दिल्ली फतेह करने पहुंची कांग्रेस नेत्री मीना शर्मा

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रुद्रपुर – (एम सलीम खान ब्यूरो) उत्तराखंड निकाय चुनावों में कांग्रेस की जो हालत हुई है वो किसी से छुपी नहीं हुई है, कांग्रेस विधानसभा से लोकसभा और आम चुनावों में औंधे मुंह गिर गई है, कांग्रेस के खून में गद्दारी किटाणु वैवस्वत हो चुके हैं और खुद ऊंचे हौदो पर बैठे कांग्रेस के नेताओं द्वारा अपनी ही पार्टी के उम्मीदवार को चुनाव हारने का सिलसिला लंबे अर्से से जारी है अगर बात करें बीते विधानसभा चुनावों की तो कांग्रेस के गिने-चुने मठाधीशों ने इन चुनावों में अपनी ही पार्टी की महिला उम्मीदवार मीना शर्मा को विधानसभा चुनावों में हार की दहलीज तक पहुंचने में बड़ा षड्यंत्र रचा और मीना शर्मा को हरा कर ही दम लिया।

उसके बाद लोकसभा चुनावों में फिर एक बार कांग्रेस जयचंद और मीर जाफरो ने उसी साज़िश को अंजाम देते हुए कांग्रेस के सांसद उम्मीदवार को बर्दाश्त नहीं किया और उन्हें भी जमीनों जद करके दम लिया, और अब अपनी आबरु आम चुनावों में कांग्रेस नही बचा पाईं और फिर एक बार कांग्रेस का सूपड़ा साफ करने में भारतीय जनता पार्टी को बड़ी सफलता मिली, कांग्रेस के मेयर उम्मीदवार मोहन लाल खेड़ा ने जिस अंदाज़ में चुनावी सफर का आगाज किया था उससे ऐसा लगता था कि इस बार रुद्रपुर नगर निगम में परिवर्तन होने जा रहा है और मोहन लाल खेड़ा ने पूरी मेहनत की और उनके कंधों से कंधा मिलाकर किच्छा विधायक तिलक राज बेहड ने भी कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी।

लेकिन ऊधम सिंह नगर जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा सहित महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सीपी शर्मा ने फिर एक बार गहरी साज़िश रची और आम चुनावों में दूरी बनाकर रुद्रपुर में कांग्रेस के उम्मीदवार मोहन लाल खेड़ा को मेयर सीट से दूर रखने की एक गहरी साज़िश करते हुए बी टीम बनकर बीजेपी को मदद पहुंचाने का काम किया, मोहन लाल खेड़ा इन कथित जनप्रतिनिधियों और अपनों की साज़िश का शिकार हो गए और चुनाव हार गए, गौरतलब हो कि कांग्रेस ने जहां एक तरफ मेयर सीट की पर करारी हार को स्वीकार किया तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने जिन पार्षदों को टिकट दिया उनका भी प्रदर्शन खासा नहीं रहा और बड़ी मुश्किल से कांग्रेस 12 वार्डों में अपनी इज्जत बचाने में कामयाब हो पाईं, कांग्रेस ने एक मुस्लिम नेता के कहने पर जिन छह पार्षद उम्मीदवारों को टिकट दिया था उसमें से एक सीट ही कांग्रेस को मिल पाई बाकी पांच उम्मीदवारों को हार नसीब हुई सूत्रों की मानें तो इस मुस्लिम चेहरे को जमकर खरी-खोटी सुनाई गई है।

और उनकी दावेदारी को लेकर कांग्रेस हलकों में हलचल मच गई है, कांग्रेस का सूपड़ा साफ होने के बाद कांग्रेस के कर्मठ ईमानदार और झूझारु नेताओं का ग़ुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उन्होंने कांग्रेस के गिने-चुने मठाधीशों से इस्तीफा देने की मांग को बुलंद किया है, अल्पसंख्यक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता फरीद अहमद मसूरी ने उत्तराखंड में निकाय चुनावों में कांग्रेस की शर्मनाक हार के लिए पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा और प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को जिम्मेदार ठहराया है, उन्होंने कहा कि ऊधम सिंह नगर में कांग्रेस का अस्तित्व खत्म हो गया और इसके लिए प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश प्रभारी जिम्मेदार है क्योंकि उन्होंने स्थानीय लोगों को लूट खसोट का पूरा अवसर दिया और उन्होंने अपने हितों की पूर्ति करते हुए उम्मीदवारों को बिना किसी राय मशविरे के रूवेडी की तरह टिकटों का बंटवारा किया,जिसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस पार्टी उत्तराखंड से पूरी तरह खत्म हो गई है।

अपना घर बचा नहीं पाईं और दिल्ली में चुनाव में पहुंची मीना शर्मा

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की हार के बाद उत्तराखंड महिला कांग्रेस कमेटी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रीमती मीना शर्मा अब दिल्ली में आम जनता को रिझाने के लिए पहुंच गयी है और वहां कांग्रेस की विधायक उम्मीदवार अलका लांबा को चुनाव लडने में व्यस्त हैं लेकिन मीना शर्मा ने अपने घर बचाने में कोई सफलता हासिल नहीं की ओर दिल्ली में आम आदमी के बीच जा पहुंची ऐसे में सवाल उठता है कि जो कांग्रेसी नेता अपने घर को बचा नहीं पाए वो दिल्ली जैसे राजनीतिक गढ़ में क्या कुछ कर सकते हैं यह बड़ा सवाल है।


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