सीपी मेयर मारपीट प्रकरण – कुछ तो राज है जिसकी पर्दारी है यू ही हाथ मिलने का सवाल क्या है

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(कांग्रेस कार्यकर्ता में समझौते को लेकर निराशा)

(अब भाजपा ने पैदा किया कांग्रेस में चौथा गुट)

(बीजेपी के आगे झूके सीपी शर्मा)

(तो क्या मेयर के जाति सूचक शब्दों के मुकदमे से घबराएं सीपी शर्मा)

(एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता के मुताबिक चंद कांग्रेसियों ने निपटा दिया पांच दिनों का हाई वोल्टेज ड्रामा)

 

रुद्रपुर – पांच दिनों से चल रहे कांग्रेस और भाजपा के बीच चल रहे हाई वोल्टेज ड्रामा बीते रोज अचानक थम गया, लेकिन इस ड्रामे के थम जाने के बाद कांग्रेस सहित आम जनता भी इस पर सवालिया निशान लगा रही है, सीपी शर्मा और भाजपा के निवर्तमान मेयर रामपाल सिंह के बीच हुए समझौते को लेकर कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा इससे बेहद सदमे में हैं, जिसके बाद इस समझोते को लेकर तरह तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं, कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का वर्जन है कि सीपी शर्मा ने मारपीट प्रकरण में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को ठगा है, उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं का सहयोग लेकर जिस तरह इस मामले में जमकर हो हल्ला मचाया उसके विपरीत शर्मा ने उन्हें बिना विश्वास में लिए इस मामले को बंद कमरे में निपटा दिया, जबकि उन्हें इससे पहले कांग्रेस कार्यकर्ताओं को विश्वास में लेकर उनसे राय मशविरा करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने मुठ्ठी भर कांग्रेस कमेटी के नेताओं को साथ लेकर इस मामले पर समझौता कर लिया,जो एक बड़ा सवाल है, एक वरिष्ठ कांग्रेसी नेता का कहना है कि सीपी शर्मा मेयर रामपाल सिंह का शिकार हो गए, इसके पीछे की वजह को बताते हुए उन्होंने कहा कि सीपी शर्मा और निर्वतमान मेयर रामपाल सिंह के बीच हुई गुत्थमगुत्था में मेयर ने सीपी शर्मा पर जाति सूचक शब्दों का इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए पुलिस को प्रार्थना दिया था, अगर पुलिस दोनों पक्षों की ओर से मुकदमा दर्ज करती तो मेयर की तरह से जाति सूचक शब्दों सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता, जबकि सीपी शर्मा की ओर से मारपीट की मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाता,बस यही बात शर्मा के लिए बड़ी नुकसानदायक साबित होती, इसलिए सीपी शर्मा ने भाजपा (मेयर) से समझौता करना ही बेहतर समझा, इसलिए उन्होंने कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा, सौरभ चिलाना, संदीप चीमा सहित गिने चुने कांग्रेसी नेताओं के हथियार डाल दिए,

भाजपा का मिशन सफल रहा

अगर विश्वसनीय सूत्रों की मानें जाए तो भाजपा अपने मकसद में फिर एक बार कामयाब हो गई है, भाजपा ने कांग्रेस को चौथे गुट में विभाजित करने में सफलता हासिल कर ली, उन्होंने कहा कि जहां कांग्रेस तीन गुटों में बंटी हुई है, वहीं अब कांग्रेस का एक गुट तैयार हो गया है, जिसमें समझौता करने वाले कांग्रेस के महारथी शामिल हैं, उनके मुताबिक कांग्रेस कमेटी के महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा भाजपा के षड्यंत्र के सामने कमजोर पड़ गये है,यह बात आगमी चुनावों में कांग्रेस के लिए बेहद नुकसानदायक साबित होगा

कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा पर सवाल

स्थानीय कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का मानना है कि कांग्रेस के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा पर पार्टी का दारोमदार है, उन्हें सबको साथ लेकर काम करना चाहिए ताकि पार्टी का संतुलन बना रहे हैं, लेकिन इस मामले में उन्होंने किसी भी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता से राय मशविरा करने की जरूरत नहीं समझी, बिना किसी विचार विर्मश उन्होंने अपना राजनैतिक भविष्य तडते हुए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को अंधेरे में रखते हुए चंद मिनटों में इस अहम प्रकरण को निपटा दिया, उन्होंने जरा भी इस बात को नहीं सोचा कि इसके निपटारे के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत करनी चाहिए,

पांच दिनों के हाई वोल्टेज ड्रामे को चंद मिनटों में कर दिया खत्म

मेयर और सीपी शर्मा के बीच हुई गुत्थमगुत्था को लेकर जहां कांग्रेसी नेताओं और कार्यकर्ताओं ने पूरे जोश से इस मामले को उठाने में अहम भूमिका निभाई थी वहीं इसके खत्म होने के बाद उन्हें बड़ा सदमा पहुंचा है, एक कांग्रेस कार्यकर्ता का कहना है कि हमनें सोचा था कि हमारे नेता के साथ मारपीट हुई है,कल हमारे साथ भी इस तरह की घटना हो सकती है यही सोच कर मैं अपनी दैनिक मजदूरी छोड़कर दो दिन लगातार धरने में शामिल हुआं, लेकिन पीड़ित कांग्रेस नेता सीपी शर्मा और जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा ने हमारी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया, जब राजीनामा ही करना तो उसी वक्त कर लेते इतना बड़ा ड्रामा करने की क्या जरूरत थी,अब मैं पार्टी के किसी भी तरह के कार्यक्रम में शामिल होने से बचाव करूंगा, कांग्रेस में कार्यकर्ताओं की मेहनत का कोई मोल नहीं है,

अगर सबसे राय मशविरा करते तो अच्छा होता

एक स्थानीय कांग्रेसी नेता का कहना है कि कांग्रेस जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा और महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा को इस बात पर पहले कांग्रेसी नेताओं से राय शुमारी करनी चाहिए थी, कुछ वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के साथ एक बैठक कर इस मामले को निपटाने पर विचार करने के लिए बुलाना चाहिए था, जिससे यह पता लगाता की कांग्रेस के साथ राय मशविरा कर इस मामले को निपटाया गया है, इससे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी राहत मिलती और बात खुलें मंच हो जाती,उनका कहना है इस तरह गुपचुप तरीके से मामले को निपटना कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ छलावा है।


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