थम गया सीपी और आर पी सिंह के बीच उपजा विवाद, रातों रात समझौता शर्मा का दावा मेयर ने मांगी माफी

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(शिव शक्ति बिहार कालोनी में शिलापट को लेकर हुई थी मारपीट)

(कांग्रेसियों लगातार दो दिन तक जिला पुलिस कार्यलय पर दिया था धरना)

(सीपी ने मेयर के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने पर दी थी अत्मादाह की चेतावनी)

(रातों रात बदल गये समीकरण सीपी बोलें हम हिंसा नहीं अहिंसा वादी है)

(कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा ने भी धरने प्रदर्शन में लगाई थी छलांग)

रुद्रपुर – बीते छह दिनों से कांग्रेस v/s भाजपा के बीच चल टूर्नामेंट आज अंतिम दौर में पहुंच गया, रुद्रपुर के अटरिया मंदिर रोड़ पर बनी शक्ति बिहार कालोनी में निर्मित द्वार के शिलान्यास को लेकर लगाई गई शिलापट्ट को लेकर उपजे इस विवाद में दोनों सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे पर संगीन आरोप लगाएं थे, मामला यह तक पहुंच गया था कि दोनों पक्षों ने मेडिकल परीक्षण करने के बाद एक दूसरे के खिलाफ पुलिस को तहरीर तक सौंपी थी, लेकिन पुलिस द्वारा कारवाई न करने पर पुलिस पर सत्ता पक्ष के दबाव में काम करने तथा तक के आरोप लगाएं गए थे,इस मामले को लेकर कांग्रेसियों ने एस एस पी कार्यालय के बाहर जमकर धरना प्रदर्शन किया, वहीं दूसरे दिन कांग्रेस के मुखिया करन मेहरा ने खुद रुद्रपुर पहुंचकर दूसरे दिन के धरना-प्रदर्शन में शिरकत दी, और उन्होंने सूबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस मामले जमकर खींचा था, वहीं कांग्रेस महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा ने कार्रवाई नहीं होने पर अत्मादाह तक की चेतावनी दे डाली थी। लेकिन आज इस घमासान पर उस समय विराम लगा गया जब सीपी शर्मा ने खुद मीडिया के सामने आ कर मामले में समझौता होने की बात कही,उनका दावा है कि मेयर रामपाल सिंह ने अपनी ग़लती मानते हुए क्षमा मांगी है, उन्हें अपनी ग़लती का एहसास हुआ है, उन्होंने कहा कि हम मोहब्बत की दुकान खोलते हैं न कि नफरत का करोबार, उन्होंने कहा हमारे कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी इसी का पक्ष करते हैं कि मोहब्बत की दुकान खोलो और नफ़रत के व्यापार पर अंकुश लगाओ, इसी बात को ध्यान में रखते हुए उनके और मेयर रामपाल सिंह के बीच हुई मारपीट के मामले में समझौता हो गया है, सीपी शर्मा का कहना है कि स्थानीय गणमान्य लोगों और पार्टी के आला नेताओं की राय के बाद इस मामले में कटाक्षेप खत्म हो गया है, उन्होंने कहा कि हम नफरत नहीं मोहब्बत में विश्वास रखते हैं,

तो क्या मीडिया की सुर्खियों में बनने के लिए रचा गया था सारा माजरा

इस मामले में हमने बहुत से गणमान्य लोगों की राय जानने की तो उन्होंने इस मामले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दी, एक स्थानीय कांग्रेसी नेता की मानें तो उनका कहना है कुछ लोगों ने मीडिया में बने रहने के लिए यह सब ड्रामा रचा था, अगर कांग्रेस महानगर अध्यक्ष के साथ मारपीट की गई है तो वह पीछे क्यों हट गए, उन्होंने तो अत्मादाह तक की चेतावनी दी थी, तो फिर बीती रात ऐसा क्या हो गया है कि सीपी शर्मा समझौते के लिए राजी हो गए, उन्होंने कहा कि अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना मजबूरी नहीं कर्तव्य है,

गणमान्य लोगों के समझने पर लिया गया यह निर्णय

कांग्रेस के कार्यकर्ता सुनील कुमार का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी ग़लती मानते हुए क्षमा याचना करें तो सभी बातों को भुलाकर उपजे विवाद को खत्म कर देना चाहिए, ऐसा ही मेयर रामपाल सिंह और सीपी शर्मा ने किया है, मेयर को जब अपनी ग़लती का एहसास हुआ तो अध्यक्ष सीपी शर्मा ने सभी बातों को दरकिनार करते हुए मनमुटाव खत्म कर दिया।

कांग्रेस कार्यकर्ता ख़ुद को ठगा हुआ महसूस कर है

कांग्रेस महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा के साथ हुई मारपीट को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गहरा सदमा पहुंचा था, जिसके बाद कांग्रेस के आव्हान पर उन्होंने धरने प्रदर्शन में बड चढ़ हिस्सा लिया था, लेकिन आज दोनों के बीच समझौते की बात सुनकर उन्हें फिर एक बड़ा सदमा पहुंचा है, दरअसल कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर सीपी शर्मा को इस मामले में समझौता ही करना तो उसी समय पर करना वाजिब था, लेकिन इतने हो हल्ला होने के बाद यह समझौता सवालों के घेरे में आ गया है, उन्होंने कहा हम तो खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं, सीपी शर्मा को समझौते के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी विश्वास में लेना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया, बंद कमरे में समझौता कर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ विश्वासघात किया है।

सीपी ने मेयर पर लगाए थे भ्रष्टाचार के आरोप

सीपी शर्मा ने कांग्रेस महानगर अध्यक्ष बनाने के बाद मेयर रामपाल सिंह पर शहर में बहुत से निर्माण कार्यों, टेंडरों सहित अन्य मामले को लेकर उन पर भ्रष्टाचार के बड़े आरोप लगाएं थे, यहां तक कि उन्होंने अनेक बार मेयर रामपाल सिंह का पुतला दहन कर विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके बाद मेयर और सीपी आमने-सामने आ गए थे, इसकी वजह से इस समझौते को शक की नजरों से देखा जा रहा है, विशेषज्ञों का कहना है कि उस दौरान मेयर को आइना दिखाने वाले सीपी शर्मा अब कैसे एका एक समझौते के तैयार हो गए, क्या उन्होंने विपक्ष में बैठने की नीति को खत्म कर दिया है, कांग्रेस और भाजपा में चोली दमन की आग का सिलसिला रहता है, तो फिर सीपी शर्मा इस आग पर पानी क्यों फेर रहें, समझौते के पीछे क्या वजह है यह तो नहीं पता लेकिन कांग्रेस और भाजपा दोनों एक मंच पर नहीं आ सकते हैं।


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