
रुद्रपुर – (एम सलीम खान ब्यूरो) बार बार एक खबर लिखते हुए हमें भी बेहद अफसोस होता है, लेकिन किया जाए जमीर को भी बचाना है,दर असल जनपद ऊधम सिंह नगर के जिला मुख्यालय रुद्रपुर में इस समय एक बेहद संगीन मामला मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है, और यह संगीन मामला और कोई नहीं बल्कि उन चार महिलाओं से जुड़ा है जो पिछले 32 दिनों से लगातार भूखे पेट जिंदगी और मौत की दहलीज पर खड़े होकर सरकार, प्रशासन और सरकार के सिपाहसलारो से इंसाफ की गुहार लगा रही है।
शायद आप समझ ही गए होंगे नहीं समझें चलों हम समझा देते हैं हम बात कर रहे डोल्फिन कंपनी के मजदूरों की उस आंदोलन कि जो लंबे समय गांधी पार्क में चल रहा है, इस आंदोलन में चार महिलाएं अपने न्यायहित मांगों को लेकर रुद्रपुर के जिला अस्पताल में जिंदगी और मौत से जंग लड रही है,जरा ठहरो सबसे हैरतअंगेज बात यह है कि उत्तराखंड के यश्वी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के गृह जनपद में महिलाओं की यह दशा है, जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का आगमन होता रहता है,अब यहां ये भी बता दें कि रुद्रपुर के विधायक शिव अरोरा खुद भी सत्ता पक्ष के बड़े जनप्रतिनिधि है।
और हां हमारे सांसद अजय भट्ट भी डबल इंजन सरकार के बड़ा पहिया है, इसके अलावा जिला मुख्यालय रुद्रपुर में भारतीय जनता पार्टी के बहुत से सुरमा भी सत्ता पक्ष के ही जन प्रतिनिधि हैं, लेकिन इन जन प्रतिनिधियों ने अस्पताल में तड़प रही है इन चार महिलाओं की सुध लेने उचित नहीं समझा, इसके अलावा हमारे प्रशासन की बात करना ही करना बेकार है क्योंकि प्रशासन ने तो आंखों पर पट्टी बांध कर और कानों में रुई डाल रखी है, यहां सबसे बड़ी हैरानी वाली बात यह है हर मोर्चे पर कमान संभालने वाले जिले के मुखिया उदयराज सिंह भी इस मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं।
जबकि उन्होंने जिले की कमान संभालते ही बहुत से ऐसे जटिल मुद्दों को चुटकी बजाकर निपटा दिया जिन्हें बहुत से आला अफसरों ने निपटने में सालों लगा दिए, चलों शायद डीएम उदयराज सिंह को उन्ही के अधीनस्थों द्वारा गुमराह किया जा रहो, लेकिन इस मामले में इन श्रमिकों ने एक नहीं बल्कि बहुत सी उन्होंने मिलने का प्रयास किया लेकिन जिला मुख्यालय को छावनी में तब्दील कर दिया गया, अब सवाल यह है कि क्या सरकार और प्रशासन एक ऐसी अनहोनी घटना का इंतजार कर रहा है जो ऊधम सिंह नगर के माथे का कलाक बन जाएं, देवभूमि उत्तराखंड के सीने पर एक ऐसा धब्बा लग जाएं कि जब राज्य की आम जनता उसे याद करें तो मौजूद सरकार और उसके जन प्रतिनिधियों को कोसना शुरू कर दें।

सरकार क्यों मासूम बच्चों और इन मजदूरों की हाय लेने का प्लान बना रहीं हैं, क्या इन्हें अपने अधिकारों को मांगने का अधिकार नहीं है, बल्कि सरकार को इस मामले में पहल कर अब जल्द से जल्द इस मामले का उचित हल निकलने की पहल करनी चाहिए,कही ऐसा ना हो कि देश की अबला नारी शक्ति पर हो अत्याचारों का कलक उत्तराखंड देवभूमि के माथे पर हमेशा हमेशा के लग जाएं।

