मज़दूरी का तंज झेल रहा मासूम, बचपन जिम्मेदार अधिकारियों की बड़ी लापरवाही, उड़ रही है श्रम कानूनों की धज्जियां

ख़बर शेयर करे -

उधम सिंह नगर – जिस उम्र में मासूम के हाथों में बस्ता और कापी किताबें होनी चाहिए उस उम्र में इन मासूमों की पेट की आग बुझाने का जमकर फायदा उठाया जा रहा है।जिले भर में संचालित होटलों रेस्टोरेंट और ठेलो पर काम करने वाले इन मासूमों से कमर तोड मेहनत ली जा रही है।खास जिला मुख्यालय रुद्रपुर में अधिकांश यह मासूम झूठे बर्तन सहित ढाबों और होटलों सहित ठेलो इत्यादि पर साफ सफाई करते देखे जा सकते हैं। इसके लिए उच्च पदों पर बैठे अधिकारी भी कही न कही जिम्मेदार है।श्रम कानूनों को सख्ती से लागू न करना इसका बड़ा कारण है। दरअसल संबंधित विभाग को अगर इन मामलों में कोई शिकायत मिलती है तो वह खाना पूर्ति कर अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह कर देते हैं।अगर इन मामलों में संबंधित विभाग सख्ती दिखाएं तो बाल श्रम पर रोक लगाने में मदद मिलेगी। आपकों बता दें कि गांधी पार्क रोड पर एक ठेली पर काम करने वाले राजू पर जब हमारी नजर पड़ी तो उसके शरीर पर गर्म कपड़ों के नाम पर एक जर्सी जो करीब क ई जगह से फटी हुई थी और एक पेंट जिसमें छेद थे।राजू इन्हीं कपड़ों में झूठे बर्तन पूरी मेहनत से धो रहा था। वहीं बीच बीच में ठेला स्वामी उसे झाड़ू लगाने का आदेश भी दे रहा था। इतना ही नहीं ठेले पर आए ग्राहकों को राजू पानी भी पिला रहा था।इस सबके बावजूद भी ठेला स्वामी उससे गलिया देकर कह रहा था जल्दी जल्दी हाथ चला वरना पीट दूंगा। हमने राजू को अलग बुलाकर पूछा कि उसे इस काम के कितने पैसे मिलते हैं तो उसने मासूमियत से कहा जी 70 रुपए रोज यहां सुनकर हम दंग रह गए।राजू से सुबह नौ बजे से शाम सात बजे तक कमर तोड मेहनत कराई जाती है और उसे मेहनताने के तौर पर सिर्फ 70 रुपए प्रति दिन दिए जाते हैं। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात यह है हमारे समाज के वह लोग जो आला पदों पर बैठे हैं उनकी नजर भी इस ओर पड़ती है।राजू की उम्र 11 साल है जिस उम्र में राजू को स्कूल जाना था लेकिन उसकी मजबूरी उससे झूठे बर्तन साफ करा रही है।अब आप ही फ़ैसला कीजिए राजू की इस हालत के लिए क्या हमारा स्सिटम हमारे जन प्रतिनिधि हमारा शासन प्रशासन जिम्मेदार नहीं हैं।

संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट


ख़बर शेयर करे -