इंकलाबी मजदूर केन्द्र, प्रगतिशील महिला एकता केन्द्र इटारार्क मजदूर संगठन ने महिला दिवस पर संयुक्त रूप से कहीं यह बड़ी बातें

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रुद्रपुर –8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय श्रमिक महिला दिवस के अवसर पर रुद्रपुर गांधी पार्क में विगत 20 दिनों से धरनारत आंगनबाड़ी कार्यकर्ती/सहायिका व लुकास टीवीएस के 99 दिनों से संघर्षरत मजदूर साथियों और इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, इंटरार्क मजदूर संगठन के साथियों ने संयुक्त तौर पर बनाया गया।

आँगनबाड़ी कार्यकर्तियों,सहायिकाओं के धरनास्थल पर हुई संयुक्त सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि महिला दिवस केवल महिलाओं को गिफ्ट देने या दिखावटी रूप से सम्मान करने का दिन नहीं है बल्कि यह महिलाओं के बराबरी के अधिकार समेत तमाम सारे लोकतांत्रिक अधिकारों को हासिल करने के लिए संघर्षों को याद करने का दिन है। बल्कि इससे भी आगे बढ़कर महिलाओं की वास्तविक मुक्ति के लिए पूँजीवादी ब्यवस्था के खात्मे और मजदूर मेहमनतकश जनता के राज समाजवाद की स्थापना के लिए संकल्प लेकर संघर्षो को आगे बढ़ाने का दिन है |तांकी दुनिया से अमीर -गरीब, जाति, धर्म, लिंग, रंग,नस्ल और क्षेत्र के रूप में होने वाले हर तरह के शोषण, उत्पीड़न और भेदभाव को ख़त्म किया जा सके |इस हेतु यह स्थापित करने का दिन है कि समाजवाद के बिना महिला मुक्ति और महिला मुक्ति के बिना समाजवाद संभव नहीं है |

वक्ताओं ने कहा कि हमारी पूर्वज महिलाओं ने आज से लगभग 100-150 साल पहले अपने संघर्षों के बल, अपनी राजनैतिक हड़तालों के बल पर तमाम तरह के अधिकारों को हासिल किया । आज के समय में लगातार महिलाओं की स्थिति दोयम दर्जे की बनाइ जा रही है। आज भी महिला मजदूरों को पुरुष मजदूरों से काफी कम वेतन दिया जाता है और काम की परिस्थितियों को काफी जटिल बना दी गई है। समाज के अंदर महिलाओं को केवल उपभोग के रूप में ( सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में) पूंजीवादी मीडिया, पत्र-पत्रिकाओं आदि के माध्यम से महिलाओं की छवि को पेस किया जा रहा है। बल्कि हद तो यहां तक हो चुकी है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण के नाम पर महिलाओं से रात की पाली में काम कराने को लगी कानूनी रोक को हटाकर पुंजीपतियों को और सस्ता मजदूर उपलब्ध कराने के लिए महिला मजदूरों से रात की पाली में काम करने के कानून को पारित कर दिया है।मोदी सरकार द्वारा तमाम तरह के काले कानून बनाकर मजदूरों और कर्मचारियों से हड़ताल करने, आंदोलन करने और संगठन बनाने के अधिकारों पर भारी चोट की गई है |जिसके खिलाफ हमें एकजुट होकर निर्णायक संघर्ष करना होगा |

आज हम देखते हैं कि छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर बूढ़ी-बूढ़ी महिलाएं तक आज सुरक्षित नहीं है। यह पतित उपभोक्तावादी पूंजीवादी संस्कृति लोगों की मानसिकता को विकृत कर रही है। इन्हीं सारे तकलीफों को याद करते हुए हमें सब मेहनत करने वाले लोगों को 8 मार्च जैसे पर्व साझे तौर पर मनाने चाहिए और मजदूर मेहनतकशों के साथ व्यापक एकजुटता स्थापित करने वाले जतन करने चाहिए। मजदूर मेहनतकश जनता की मुक्ति अकेले अपने दम पर नहीं हो सकती है। उन्हें आधी मेहनतकश आबादी महिला शक्ति को अपने साथ लाना होगा। साथ ही महिलाओं की भी मुक्ति इस पूंजीवादी शोषण उत्पीड़न से तभी संभव है जब पुरुष मजदूरों के साथ मिलकर एकजुट संघर्ष किया जाए। सभा को इंकलाबी मजदूर केंद्र, आंगनबाडी कार्यकर्तियों/सहायिकाओं के साथ साथ लुकास टीवीएस मजदूर संघ, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र व इंट्रार्क मजदूर संगठन के साथियों ने भी संबोधित किया ।कार्यक्रम का संचालन इंकलाबी मजदूर केंद्र के रुद्रपुर सचिव दिनेश चंद्र ने किया |

संवाददाता-एम सलीम खान की रिपोर्ट


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