
उत्तराखंड – (एम सलीम खान संवाददाता) उत्तराखंड में पुलिस प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर देने वाला मामला एक बार फिर जोर पकड़ रहा है, जहाँ सामाजिक कार्यकर्ता लक्ष्मी दत्त जोशी द्वारा की गई शिकायत पर राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण की विस्तृत जांच रिपोर्ट सामने आ गई है।
मामला 6 फरवरी 2023 का है,जब शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि उन्हें तत्कालीन पिथौरागढ़ पुलिस कप्तान और 2014 बैच के IPS अधिकारी लोकेश्वर सिंह ने अपने कार्यालय में बुलाया और वहां उनके साथ कथित रूप से अमानवीय व्यवहार किया।

शिकायत में दावा किया गया कि अधिकारी ने कार्यालय में उन्हें नग्न कर मारपीट की, धमकाया और अपने पद का अनुचित प्रभाव दिखाते हुए मानसिक एवं शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। इस शिकायत को संज्ञान में लेते हुए राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण ने लगभग दो वर्षों तक चले एक व्यापक जांच प्रक्रम के दौरान CCTV फुटेज, मेडिकल रिपोर्ट, एक्स-रे रिपोर्ट, ऑडियो/वीडियो साक्ष्य, गवाहों के बयान और सभी उपलब्ध दस्तावेजों का परीक्षण किया।
प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार उपलब्ध तथ्यों, मेडिकल प्रमाणों और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों ने आरोपों की पुष्टि की दिशा में पर्याप्त आधार प्रदान किए, जिसके बाद प्राधिकरण ने पूर्व पुलिस कप्तान लोकेश्वर सिंह को सेवा नियमों के उल्लंघन, पद के दुरुपयोग, शक्ति के अनुचित इस्तेमाल और शिकायतकर्ता के साथ अनुचित एवं कठोर व्यवहार के लिए दोषी माना है।
रिपोर्ट में यह तथ्य भी दर्ज है कि जांच की प्रक्रिया चल रही थी तभी अधिकारी वर्ष 2025 में अपने पद से इस्तीफा देकर संयुक्त राष्ट्र से जुड़ी एक संस्था के साथ जुड़ने की प्रक्रिया में शामिल हो गए, जिससे पूरे प्रकरण पर और भी कई तरह के सवाल उठे।
प्राधिकरण ने अपनी विस्तृत जांच रिपोर्ट गृह विभाग को भेजकर अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है, अब मामला सरकार और पुलिस मुख्यालय के निर्णय पर निर्भर है कि इस गंभीर प्रकरण में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं—क्या विभागीय जांच आगे बढ़कर कड़े दंडात्मक निर्णय की ओर बढ़ेगी, क्या कानूनी प्रक्रिया शुरू की जाएगी या यह मामला भी लंबी प्रशासनिक रस्साकशी का हिस्सा बनकर रह जाएगा।
इसी बीच शिकायतकर्ता लक्ष्मी दत्त जोशी लगातार न्याय की उम्मीद लगाए हुए हैं और उनका कहना है कि यह केवल व्यक्तिगत संघर्ष नहीं, बल्कि उत्तराखंड में पुलिस जवाबदेही और मानवाधिकार संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण परीक्षा है।
राज्यभर में इस रिपोर्ट के खुलासे के बाद व्यापक चर्चा चल रही है कि क्या यह मामला पुलिस प्रशासनिक सुधारों का मार्ग प्रशस्त करेगा या फिर पूर्व की कई शिकायतों की तरह समय के गर्त में दबकर रह जाएगा,


