कालाढूंगी – राजकीय महाविद्यालय कोटाबाग के अर्थशास्त्र विभाग के तत्वाधान में आज राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस का आयोजन किया गया। प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोविस के जन्मदिन के अवसर पर प्रतिवर्ष 29 जून को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस मनाया जाता है। भारत सरकार की ओर से इस वर्ष की राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस की थीम निर्णय लेने में डाटा का उपयोग रखी गई है। कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता राजकीय महाविद्यालय किच्छा के अर्थशास्त्र के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर नरेश गंगवार जी ने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस 29 जून प्रशांत चंद्र महालनोविस के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है । उनका कहना था कि सामाजिक आर्थिक योजना में सांख्यिकी की भूमिका बढ़ाने व जन जागरूकता के तहत इस कार्यक्रम को मनाया जाता है, यह विषय इस बात पर प्रकाश डालता है कि कैसे डाटा का उपयोग बेहतर नीतियां बनाने में, प्रभावी योजनाओं को लागू करने में, समझ में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए किया जा सकता है। आंकड़े हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। मौसम का पूर्वानुमान हो ,शेयर बाजार हो ,स्वास्थ्य की जानकारी हो ,रुझानों की पहचान हो, भविष्य की भविष्यवाणी हो ,इन सब में डाटा अहम भूमिका का निर्वहन करता है । सरकारी ,सामाजिक, आर्थिक विकास योजना निर्माण और नीति निर्माण के लिए डाटा का उपयोग करती हैं ।डाटा को इकट्ठा करना उनका विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है ।इस कार्य के लिए हम माध्य, माध्यिका और बहुलक का सहारा लेते हैं। कैसे हम विश्वसनीय डाटा के स्रोतों की पहचान करें यह सब शोध का विषय है । आंकड़े हमारे जीवन में एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य करता है। प्राचार्य प्रोफेसर नवीन भगत की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में प्रोफेसर नवीन भगत जी ने कहा कि पीसी महालनोविस के योगदान को कभी बुलाया नहीं जा सकता है ।सांख्यिकी के क्षेत्र में, विकास के क्षेत्र में ,आंकड़ों का इकट्ठा करना ,आंकड़ों का विश्लेषण करना बहुत अधिक महत्वपूर्ण है । उन्होंने प्रशांत चंद्र महालनोविस के कार्यों पर प्रकाश डालते हुए बताया कि 1949 में भारत सरकार ने उनको मानद सांख्यिकी सलाहकार के रूप में नियुक्ति प्रदान की। 1968 में उनको पद्म विभूषण जैसा पुरस्कार मिला । दो डाटा सेटों के मध्य तुलना का उपाय तैयार करने के लिए , महालनोविस दूरी मॉडल का निर्माण उनके द्वारा किया गया। प्रैक्टिकल ग्राफिकल विश्लेषण का निर्माण उनके द्वारा किया गया। १९५० मे केंद्रीय सांख्यिकी संगठन का गठन उनके द्वारा किया गया। भारतीय सांख्यिकीय संस्थान कोलकाता (१९३१)की स्थापना उनके द्वारा की गई । राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण का गठन उनके द्वारा किया गया । भारत की द्वितीय पंचवर्षीय योजना इसी महालनोविस मॉडल के आधार पर तैयार की गई। जिसमें द्वितीयक क्षेत्र में आधारभूत वृद्धि के साथ-साथ उद्योगों को बढ़ावा दिया गया और देश के विकास को आगे बढ़ाया गया । कार्यक्रम के संयोजक और संचालक डॉक्टर हरिश्चंद्र जोशी ने कहा कि निर्णय लेने में डाटा का उपयोग बेहतर बहुत महत्वपूर्ण है। और हम सबको आंकड़ों के बारे में जानकारी होनी चाहिए। आंकड़ों का इकट्ठा करना ,आंकड़ों का विश्लेषण करना, उस विश्लेषण के आधार पर मॉडल तैयार करना और उस मॉडल के माध्यम से समस्या के समाधान को खोजना यह सब सांख्यिकी का मूल् है। वर्तमान परिपेक्ष्य में आज बिना आंकड़ों के जीवन शैली दुर्लभ है। स्नातक तृतीय वर्ष की छात्रा प्रियंका ने इस अवसर पर कहा कि पीसी महालनोविस के द्वारा नेहरू महालनोविस मॉडल जिसके माध्यम से दूसरी पंचवर्षीय योजना का निर्माण किया गया यह योजना भारत में द्वितीय क्षेत्र को आगे बढ़ाने पर आधारित रही। इसमें उद्योग और विनिर्माण क्षेत्र को आगे बढ़ाने की बात थी। कैसे उद्योग धंधों को मजबूती प्रदान की जाए ,कैसे आयात कम और निर्यात ज्यादा किए जाएं ,कैसे भारत को उद्योग धंधों के क्षेत्र में स्वावलंबी बनाया जाए, कैसे खनन ,बिजली, परमाणु ऊर्जा ,कोयला और लोह इस्पात जैसे उद्योगों को आगे बढ़ाया जाए और किस तरह उद्योग धंधों को आगे बढ़ाकर भारत को एक आत्मनिर्भर भारत बनाया जाए । इसी योजना की देन है कि भारत में भिलाई ,दुर्गापुर, राउरकेला में स्टील उद्योग की स्थापना हुई। औद्योगिक सुधारो की रूपरेखा इसी दूसरी पंचवर्षीय योजना में प्रारंभ की गई ।संसाधनों का विदोहन कैसे हो ।औद्योगिक मजबूती कैसे प्रदान की जाए। इन सभी बातों पर इस योजना में विशेष जोर दिया गया ।और इस सब का श्रेय पीसी महालनोविस को जाता है । 1931 में भारतीय संख्यिकी संस्थान की स्थापना महानवीस के द्वारा की गई ।उसके अलावा केंद्रीय सांख्यिकी संगठन की स्थापना भी इनके द्वारा की गई। महानदी पर हीराकुंड बांध का आधार इनका विश्लेषण ही बना। और उनके विश्लेषण के आधार पर ही हीराकुंड बांध योजना कारगर हुई ।इस अवसर पर सौरव, नीलम, प्रियंका सहित सैकड़ो छात्र-छात्राओं ने कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।