हल्द्वानी-पहाड़ी आर्मी संगठन के संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि राज्यवासियों को फिलहाल यूसीसी से पहले मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून की आवश्यकता है। यूसीसी यानि समान नागरिक सहिता में धामी सरकार ने जितनी गंभीरता दिखाई है। उसी तत्परता से मूल निवास भू कानून पर की दिशा में भी सरकार को काम करना चाहिए हरीश रावत ने कहा राज्य के भीतर लंबे समय से संवैधानिक अधिकारो के लिए आवाजे उठ रही रहे है। राज्य में संविधान प्रदत्त मूल निवास प्रमाण पत्र की व्यवस्था को समाप्त कर स्थाई निवास में बदलने से राज्यवासियों की अपनी मूल पहचान में खतरा पैदा हो गया है। जिस कारण आज राज्य में असंतोष पनप गया है। और जगह जगह विरोध हो रहा है देहरादून और हल्द्वानी में मूल निवास स्वाभिमान रैली में हजारों युवा,छात्र छात्राएं सड़कों में आए इससे अंदाजा लगा सकते हो कि अस्मिता को कितनी ठेस पहुंची है। सरकार को इसकी बिसंगती को दूर करना चाहिए जिस प्रकार से यूसीसी के लिए कैबिनेट का विशेष सत्र बुलाया गया ठीक इसी प्रकार मूल निवास 1950 और भू कानून के लिए भी बुलाया जाय। राज्य बनने से पहले मूल निवास प्रमाण पत्र की व्यवस्था रही थी तो उस व्यवस्था को खत्म कर सरकार ने राज्य वासियों के अधिकारो पर कुठाराघात किया है। हरीश रावत ने कहा हमारी सरकार से मांग है उत्तराखंड के समूह ग , घ के पदो मे 100 प्रतिशत मूल निवासियों के लिए आरक्षित की जाय और पटवारी, ग्राम पंचायत अधिकारी, नर्स, फार्माशिष्ट आदि पदो में स्थानी भाषा का ज्ञान अनिवार्य करना चाहिए।
उन्होंने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाने हुए कहा मुख्यमंत्री जी सिर्फ अखबारों में बयानबाजी कर जनता को बरगलाने का कार्य कर रहे है वर्तमान सरकार पहले पूर्व की सरकार में भूमि कानून पर किए गए बदलाव को सदन में वापस ले फिर हिमांचल की तर्ज में उत्तराखंड में अपना ऐसा भू कानून लागू हो जिसमे कृषि खेती को बचाने, परंपरागत खेती,बागवानी,पशुपालन और वन आधारित अर्थव्यवस्था स्थापित की जाय ।
हरीश रावत ने कहा अगर सरकार इस विषय को लेकर गंभीर नहीं हुई तो आने वाले दिनों में पर्वतीय अस्मिता बचाने के लिए आंदोलन का विस्तार गांव गांव तक जाएगा ।