
ऊधम सिंह नगर – (एम सलीम खान की क़लम से) आप भी चौंक गए होंगे कि हमने हैडिंग में विख्यात शायर मुनव्वर राना का एक शेर क्या लिखा है, वो भी अंचल में छुपने वाली एक मां को लेकर दर असल जिला मुख्यालय रुद्रपुर में राजनीतिक एक भयंकर रूख अख्तियार कर चुकी हैं।
शहर के धुरंधर राजनेता अपने हितों को साधने को किस हद तक गिर सकते हैं इसका अंदाजा आप लोगों ने बीते रोज आडियो कांड से लगा ही लिया होगा,जिसे लेकर कांग्रेस के नेताओं ने जमकर हश्र कर दिया था और खुले मैदान में कांग्रेसियों ने जमकर इस मामले में हो हल्ला किया था।
राजनीतिक में कब कौन आपका दुश्मन और कब कौन दोस्त बन जाए यह कहना बहुत ही सकारात्मक है, लेकिन इन नेताओं को कुर्सी की हनक में न किसी के अपमान और न किसी के सम्मान का ध्यान रहता है इन्हें तो पावर में आने के लिए सिर्फ कुर्सी दिखाई देती है, पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल के कथित आडियो ने राजनीतिक माहौल में आग लगाने का काम किया था।
और उनके कथन के मुताबिक यह उनके खिलाफ एक सोची-समझी साज़िश थी, वहीं जिस परिवार को लेकर यह आडियो वायरल किया गया था उस परिवार ने जमकर आंसूओं की बौछार कर दी, लेकिन कल एक ओर वीडियो वायरल के बाद राजनीतिक और सामाजिक तालमेल भी शर्म गया, सामाजिक तालमेल भी इस वीडियो पर आंसू बहा रहा है।
दर असल बीते रोज पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की बुजुर्ग माता दर्शन रानी ठुकराल कांग्रेस नेत्री श्रीमती मीना शर्मा के आवास पर पहुंची और उन्होंने दोनों पति-पत्नी से माफी मांगते हुए जो कुछ भी कहा उसे तो आप लोगों ने सुना ही होगा लेकिन खुद को राम बताने वाले कांग्रेस नेता अनिल शर्मा और पूर्व पालिकाध्यक्ष श्रीमती मीना शर्मा ने उनके सम्मान को ठेस पहुंचाने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी,यह अनिल और मीना को बुजुर्ग माता दर्शन रानी ठुकराल का पूरा आदर और सम्मान करने की जरूरत थी।
और उनके बुजुर्ग लफ़्ज़ों को गहनता से समझने की अनूठी पहल करनी चाहिए, जिसके बाद मीना और अनिल के सम्मान में ओर भी इजाफा होता और समाज में एक नया संदेश जाता, लेकिन बुजुर्ग दर्शन रानी ठुकराल मीना और अनिल के आगे गिड़गिड़ाते हुए अपने बेटे की तरफ से माफी मांगती रही लेकिन मीना ने सर दर्द की बात कहते हुए उनकी एक नहीं सुनी।
बल्कि अपनी हठधर्मिता पर अड़ी रही,जिसका नतीजा यह हुआ कि बुजुर्ग दर्शन रानी ठुकराल का स्वास्थ्य बिगड़ गया और उन्हें शहर के फुटेला अस्पताल में भर्ती कराया गया क्या इस गंदी राजनीति में परिवारवाद को जरा भी तर्ज नहीं दी जाती, क्या कुर्सी का लालच अपने अंदर की इन्सानियत को मर देता है मैं तो कहता हूं धिक्कार है ऐसी कुर्सी पर जिसके चारों पायों किसी की अबरु को तार तार कर रखे गए धिक्कार है।
ऐसी कुर्सी पर जिसके लालच में शहर की सम्मानित बुजुर्ग महिला की अपील को दरकिनार कर दिए जाएं। ऐसे नेताओं को चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाना चाहिए आखिर कब तक यह गंदी राजनीति निर्दोष लोगों के खून की साक्षी बनती रहेगी।
और हा पत्रकारिता के समाज में अहम भूमिका निभाने वाले कलम नवीसों को इसके बारे में गहराई से अध्ययन करने की जरूरत है ये नहीं होना चाहिए कि अगर आप एक जिम्मेदार नागरिक हैं तो हर किसी बात को खबर का मुद्दा बनाकर जग जाहिर कर दे इस हम सबको गहनता से सोचने की जरूरत है।

