हल्द्वानी में 28 जनवरी को होगी मूल निवास स्वाभिमान महारैली…….

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हल्द्वानी- हल्द्वानी में 28 जनवरी को आयोजित मूल निवास स्वाभिमान महारैली की तैयारी को लेकर मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति ने पत्रकारों से वार्ता की। पत्रकारों से वार्ता करते हुए मूल निवास भू कानून समन्वय संघर्ष समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि हल्द्वानी में 28 जनवरी को मूल निवास स्वाभिमान महारैली की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से वार्ता की जा रही है। उन्होंने कहा कि आज मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन से हरेक युवा जुड़ रहा है। युवा और मूल निवासी अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भर्ती परीक्षा का एक पेपर स्थानीय भाषा में होना जरूरी है। नौकरियों और अन्य संसाधनों में पहला अधिकार मूल निवासी को ही मिलना चाहिए। यह लड़ाई अपनी जमीनों को बचाने के साथ ही अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई भी है। हल्द्वानी में भी स्वाभिमान महारैली ऐतिहासिक रहेगी।

समिति के सह संयोजक लुशुन टोडरिया ने कहा कि मूल निवास स्वाभिमान आंदोलन को जन-जन तक पहुँचाने का अभियान जारी है। यह उत्तराखंड के हरेक मूल निवासी का आंदोलन है। संविधान में मूल निवास की कट ऑफ डेट 1950 है। हम संविधान की भावना के अनुरूप ही अपने हक की बात कर रहे हैं। हमारी लड़ाई उनके खिलाफ़ है, जो अपने मूल राज्य में मूल निवास प्रमाण पत्र का लाभ ले रहे हैं और उत्तराखंड में स्थाई निवास बनाकर लाभ रहे हैं। जबकि ऐसा करना कानूनन अपराध है। बड़ी संख्या में लोग ऐसे भी हैं, जिन्होंने फर्जी स्थाई निवास बनाये हैं और वे लोग यहां नौकरी कर रहे हैं। पहाड़ के साथ ही मैदान में रहने वाले लोगों का भी हक़ बाहर के लोग मार रहे हैं। मैदान के मूल निवासी इस बात को समझते हैं।

पहाड़ी आर्मी के संस्थापक अध्यक्ष हरीश रावत एवं युवा व्यापार मण्डल के अध्यक्ष सौरभ भट्ट का कहना है कि जब तक उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू नहीं हो जाता, यह आंदोलन जारी रहेगा। यह लड़ाई हमारे अस्तित्व, अस्मिता, स्वाभिमान और अपनी सांस्कृतिक पहचान बचाने का है। हमारे संसाधनों को बाहरी लोग डाका डाल रहे हैं। नौकरियों से लेकर जल, जंगल, जमीन पर बाहरी लोग कब्जा कर चुके हैं। हमें अपना भविष्य सुरक्षित करने के लिए इस लड़ाई को लड़ना ही होगा।

मूल निवास भू कानून समन्वय समिति के कोर कमेटी के सदस्य प्रांजल नौडियाल, दीपक ढोण्डियाल, मनीष सुंदरियाल ने कहा कि आज हमारी जमीनों पर भू माफिया का कब्जा होता जा रहा है। हमारे लोग बाहर के लोगों के रिजॉर्ट में नौकर बनने के लिए मजबूर हो गए हैं। सरकार ने भू कानून इतना लचर बना दिया है, कोई भी हमारे राज्य में बेतहाशा जमीन खरीद सकता है।

उत्तराखण्ड क्रांति दल के केंद्रीय महामंत्री सुशील उनियाल, उत्तराखण्ड क्रांति दल से अनिल डोभाल विनीत सकलानी, स्वराज हिन्द फौज के केंद्रीय अध्यक्ष सुशील भट्ट, वन्दे मातरम ग्रुप के अध्यक्ष शैलेन्द्र दानु, वन यूके के राम दत्त ने कहा कि जब हमारी जमीन बचेगी, तभी हमारा ज़मीर भी बच पायेगा। जमीन बचेगी तो हमारी संस्कृति, बोली-भाषा, वेशभूषा, साहित्य और अस्मिता बच पाएगी। हम सभी को एकजुट होकर अपने अधिकारों के लिए लड़ना है। आज हम लोग नहीं लड़े तो आने वाले समय में हम लोग अल्पसंख्यक हो जायेंगे और बाहरी ताकतें हम पर राज करेंगी। हमें अपनी पीढ़ियों के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए संघर्ष करना है। यह जनांदोलन हर गांव, हर शहर में पहुँचना जरूरी है।


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