उत्तराखंड – (एम सलीम खान ब्यूरो) निकाय चुनावों को लेकर पूरे जोर-शोर से तैयारी शुरू हो गई है, इन चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी, लेकिन यह कहना सही होगा कि बहुत से निर्दलीय उम्मीदवार दोनों दलों का खेल बिगाड़ने में अच्छी भूमिका निभाएंगे, वहीं भाजपा और कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी का अभी तक अता पता नहीं है।
बल्कि पक्ष और विपक्ष को चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है, बीते दो बड़े चुनाव विधानसभा और लोकसभा चुनाव पर नजर दौड़ाएं तो अब तक सत्ता पक्ष का पल्ला भारी रहा है, बीते विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सरकार बनाने की हदों को पार नहीं कर पाईं और कांग्रेस को विपक्ष में बैठने पर सब्र करना पड़ा, इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को बड़ा नुक्सान पहुंचा जहां एक तरफ कांग्रेस के दिग्गज नेता सरकार बनाने का दावा कर रहे थे तो वहीं नतीजे आने के बाद कांग्रेस के तोते उड़ गए।
जिसके बाद देश में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने ऐडी से चोटी का जोर लगा दीजिए लेकिन सबसे बड़ा नुक्सान कांग्रेस को उत्तराखंड में हुआ आपसी खींचतान के बीच कांग्रेस उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीटों में से एक भी सीट नहीं बचा पाई और उत्तराखंड में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है।
अब उत्तराखंड में जल्द ही निकाय चुनावों का बिगुल फूंक दिया है और इन चुनावों में कांग्रेस की स्थिति फिर एक बार दो चार होने के असार नजर आ रहे हैं जिसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि ऊधम सिंह नगर में कांग्रेस की स्थिति एक जंग लगे बर्तन की तरह हो गई है,यह एक बड़ी और बता दें कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा अपने बूथ से कांग्रेस को वोट दिलवाने में पूरी तरह असफल साबित हो गये थे और कांग्रेस के गिने-चुने मठाधीशों ने घर में बैठकर अपने उम्मीदवार को चुनाव लड़वाया था।
जिसका नतीजा यह हुआ कि कांग्रेस उम्मीदवार प्रकाश जोशी बुरी तरह लोकसभा चुनाव हार गए थे,अब रुद्रपुर नगर निगम की मेयर की सीट समान्य हो गई है जिसके लिए कांग्रेसियों ने गला फडना शुरू कर दिया है और महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सीपी शर्मा जमकर मीडिया पर इन्टर्व्यू दे रहे हैं लेकिन सवाल यह है कि जो शख़्स लोकसभा चुनावों में अपने ही बूथ पर सम्मान नहीं बचा पाया तो वो निकाय चुनावों में मेयर की कुर्सी को कांग्रेस के पक्ष में लाने के लिए कौन सा हथकंडे अपनाएगा, इसलिए कांग्रेस को बहुत सोच-समझकर ही सीपी शर्मा पर दांव लगाने की जरूरत है।
चलों बात करते हैं कांग्रेस के एक ओर स्वयंभू नेता की शायद आप इनको जानते हो हाल ही मैं यह श्रीमान जमकर चर्चाओं में बने हुए थे और इनका नाम है मोहन लाल खेड़ा मोहन लाल खेड़ा ने कांग्रेस के टिकट पर पिछले चुनाव में पार्षद के पद पर कब्जा कर लिया था और वो जमकर निगम की बैठकों में हिस्सा लेकर किसी न किसी मुद्दों को लेकर हंगामा खड़ा करते रहते थे जिसके बाद खेड़ा सीधे मेयर की कुर्सी तक पहुंचने का ख्वाब देख रहे हैं बीते दिनों एक मामले को लेकर खेड़ा जमकर चर्चाओं में बने हुए थे, वहीं उन्ही के वार्ड के रहने वाले एक शख्स ने उन पर उनके परिवार पर मुकदमा दर्ज भी कराया था।
लेकिन खेड़ा ने चाणक्य नीति अध्याय को समर्पित होकर इस मामले से अपना नाम हटावा दिया था जो मौजूदा समय में उत्तराखंड उच्च न्यायालय में चुनौती बना हुआ है और इस मामले पर जल्द ही उच्च न्यायालय कोई फैसला ले सकता है, इसलिए अगर कांग्रेस इन्हें अपनी नांव का खेलाया सोच समझकर बनाएगी,अब अगर बात करें पूर्व पालिकाध्यक्ष श्रीमती मीना शर्मा को तो संगठन पहले ही मीना शर्मा को विधानसभा चुनावों में अपना उम्मीदवार बना चुका है और पूर्व मे मीना शर्मा कांग्रेस के टिकट पर पालिकाध्यक्ष रह चुकी है इसलिए कांग्रेस मीना शर्मा की तरह तवज्जो नहीं देगी,अब ऐसी स्थिति में मीना शर्मा क्या करेंगी और वह यह करेंगी कि हाथ का साथ छोड़कर कमल का फूल थाम सकती है।
अगर ऐसा होता है तो पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल का कांग्रेस में जाने का रास्ता पूरी तरह साफ हो जाएगा और कांग्रेस उन्हें या उनके भाई संजय ठुकराल को पार्टी से उम्मीदवार बना सकतीं, मीना शर्मा के कांग्रेस छोड़कर जाने और पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल के कांग्रेस में शामिल होने से बड़ा घमसान मच सकता है हालांकि यह कहना सही नहीं होगा कि अगर भाजपा मीना शर्मा को मेयर का टिकट दे देती है तो उनके सामने पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल जीतेंगे या फिर एक बार निराश होंगे यह गर्भ में है,अब बरी आतीं हैं कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और किच्छा विधायक तिलक राज बेहड की बेहड ने अभी तक खुलकर मेयर की कुर्सी को लेकर कुछ खास नहीं कहा है।
विशेष सूत्रों की मानें तो बेहड उस समय अपने पत्ते शो करेंगे जब अंतिम फैसला हाईकमान उन पर छोड़ देगा एक वरिष्ठ कांग्रेसी की मानें तो विधायक बेहड इस बार चौकन्ने वालें पत्ते खोल सकते हैं मसलन विधायक तिलक राज बेहड अपने पुत्र को मेयर का चुनाव लडने की इच्छा जता सकते हैं और यह एक बड़ा फैसला होगा, ऐसे में कांग्रेस के गिने-चुने मठाधीशों की छुट्टी तय है और बेहड रुद्रपुर की मेयर की कुर्सी के लिए एड़ी से चोटी का जोर लगा देंगे मौजूदा वक्त भाजपा के पक्ष में नहीं है लेकिन सत्तारुढ़ और रुद्रपुर के विधायक शिव अरोरा की चाणक्य नीति यहां कितनी कामयाब बैठेंगी यह तो वक्त पर पता ही चल जाएगा।