
रुद्रपुर – (एम सलीम खान ब्यूरो) नगर निगम रुद्रपुर की मेयर सीट पर कब्जा करने के लिए सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी दल कांग्रेस ने अपनी अपनी तिकड़म लगना शुरू कर दी है, लेकिन इस बार के आम चुनाव में फिर कांग्रेस के लिए बड़ी मुश्किलों खड़ी हो सकती है, और कांग्रेस को बड़ा नुक्सान होने के आसार दिखाई दे रहे हैं।
इसकी वजह ओर कोई नहीं बल्कि खुद कांग्रेस के स्थानीय नेता ही बन रहे हैं,दर असल रुद्रपुर नगर निगम सीट के मेयर उम्मीदवार भाजपा विकास शर्मा युवा एक चेहरे के तौर पर देखे जा रहे हैं,दर असल इन आम चुनावों में कांग्रेस ने जिन मुस्लिम चेहरे पर दांव लगाया है उनके दामन बेहद दागदार सुनाई पड़ते हैं,
और एक कहावत *विनाश काले विपरीत बुद्धि* को भी स्थानीय नेताओं ने सार्थक करके दिखा दिया है दरअसल कांग्रेस की स्थानीय या जिला इकाई हो दोनों ही स्थानों में शहर के बदनुमा मुस्लिम चेहरे जिनपर समाज के गंभीर आरोप हैं जिन्हे समाज में जयचंद की संज्ञा दी जाती है उन्होंने ने अपनी बेहद चापलूस नीति अपनाते हुए जिला और नगर कांग्रेस के अध्यक्ष को गुमराह करके व मेहनती कार्यकर्ताओ को दरकिनार करवा कर तथा बिना वार्ड वासियों की राय शुमारी के अपने हिसाब अपने मुस्लिम बाहुल्य वार्डों में दागियों को टिकट दिलवा दिए।
या खुद प्राप्त कर लिए इनमे एक बेहद शातिर और चापलूस व्यक्ति की भूमिका बेहद संदिग्ध बनी हुई है उपरोक्त व्यक्ति लंबे कद और लंबे कुर्ते की बदौलत जिला और नगर अध्यक्ष को गुमराह कर अपनी शातिर चाल से कांग्रेस में पुराने मुस्लिम चेहरों को किनारे कराने में कामयाब हो गया,इस व्यक्ति की डोर दरअसल किसके हाथ में है और यह किसकी कठपुतली है इसको समझने में जिला और नगर अध्यक्षों से या तो भूल हो गई या उन्होंने जानते हुए भी इस शातिर व्यक्ति के हाथो कांग्रेस को बर्बाद कर देने के इरादे के तहत इसकी चापलूस मंडली को टिकट देकर कांग्रेस के पुराने और अनुभवी मुस्लिम चेहरों दुत्कार दिया
हद तो यह कि यह हो गई कि यह व्यक्ति और इसकी मंडली खुलेआम वार्डों के टिकट अपनी जेबों में होने के दावे चुनाव प्रक्रिया से पहले ही करने लगे थे जिसके बाद से पूरे मुस्लिम समुदाय जो इन बदनुमा और गंभीर आरोपित चेहरों को कांग्रेस के मुस्लिम टिकटों के ठेकेदार के रूप में देख कर आक्रोशित हो गया और सीधे तौर पर कौम के इन तथाकथित सौदागरों की कांग्रेस से की जा रही सौदागरी से आहत हो कर भाजपा की तरफ मुड़ चुका है।
निश्चित रूप से विकास शर्मा एक निर्विवाद व्यक्तित्व हैं जिन्हे हर समुदाय का समर्थन स्पष्ट रूप से मिलता दिखाई पड़ता है,लेकिन साथ ही कांग्रेस के कुप्रबंधन के कारण मुस्लिम समुदाय के कांग्रेस के प्रति रोष का लाभ भी सीधे तौर पर पहली बार भाजपा या कहें तो विकास शर्मा को मिलता दिख रहा है, भविष्य में भाजपा प्रत्याशी विकास शर्मा की जीत का अंतर ये साबित करेगा कि कांग्रेस का मूल वोट दरक कर बड़ी संख्या में भाजपा या व्यक्तिगत विकास शर्मा की तरफ जा चुका है,इसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस के वो चापलूस मुस्लिम चेहरे माने जा सकते है जिन्हे कांग्रेस ने तो ठेकेदार मान कर टिकट थमा दिए जबकि समाज उनको बिलकुल तरजीह नही देता और इनका आमजन से कोई सरोकार भी नहीं है।
इसलिए कांग्रेस बहुत से वार्डों से आउट हो सकती है, अगर बात करें कांग्रेस के मेयर उम्मीदवार मोहन लाल खेड़ा की तो खेड़ा पिछले पांच सालों तक पार्षद रहे उनका व्यवहार कांग्रेसियों में भी हमेशा दोयम रहा है आमजनमानस में कैसा होगा ?
यह भी एक गंभीर सवाल है
कांग्रेस के अनेक नेता उन्हें अपनी राजनीति के लिए हमेशा खतरे के रूप में देखते रहे हैं तो उनकी ईर्ष्या वर्तमान में परवान चढ़ती दिखाई देने भी लगी है,दिखावे के लिए की जा रही मेहनत दरअसल मेहनत नही दिखती बल्कि ठिकाने लगाने की कवायद मात्र दिखाई पड़ती है,दिखाओ कुछ और करो कुछ की नीति के तहत परदे के पीछे बहुत बड़ा खेल खेले जाने की चर्चाएं आम है
दरअसल भारतीय जनता पार्टी के मेयर उम्मीदवार विकास शर्मा एक ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखते हैं और महानगर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सीपी शर्मा भी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले हैं इसके अलावा कांग्रेस नेत्री श्रीमती मीना शर्मा और उनके पति अनिल शर्मा भी ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले हैं तो चर्चाएं भी परवान चढ़ रही है कि ??
कांग्रेस अनेक ऐसे पार्षद प्रत्याशी भी जो कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन पिछले दरवाजे से विकास शर्मा के लिए जुगत भिड़ा रहे हैं
अगर सूत्रों की मानें तो अनेक कांग्रेसी नेता और पदों पर बैठे जिम्मेदार नेता अंदरुनी तौर पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार विकास शर्मा को महापौर बनवाने सहायक की भूमिका में हो सकते हैं
जिसके बाद मोहन लाल खेड़ा एक बार फिर इन आम चुनावों में औंधे मुंह गिर सकते हैं, सूत्रों की मानें तो कांग्रेस के स्थानीय नेता दिखा कुछ और रहे हैं और कर कुछ और रहे हैं,कांग्रेस के इन्ही जिम्मेदारों ने बिना राय शूमारी चार लोगों की अंदरूनी स्क्रिप्ट से तय हुए टिकट बंटवारे,कांग्रेस के आम कार्यकर्ता को दुत्कारने,अनुभवी नेताओ को दरकिनार कर उन्हे अप्रत्यक्ष रूप से अपमानित करके घर बैठ। जाने को मजबूर कर देने के आलावा पूरे चुनाव प्रबंधन को सिर्फ चार पांच लोगों तक सीमित कर देने से लोगों में शंकाए भी पैदा कर रही हैं कि कहीं सुपारी लेकर नूरा कुश्ती का दिखावा तो नही किया जा रहा ? राजनीतिक पंडितों ने इसी बात का पूरा अंदाजा लगाया है, सीपी शर्मा ने बंद कमरे में बैठकर जिन उम्मीदवारों को रेवड़ियों का बंटवारा किया है।
उनमें से दो लड्डू पहले ही भाजपाई नेता खा चुके हैं और बाकी बचे लड्डू भी कोई गुल खिलाने की तैयारी कर रहे हैं, ऐसे में फिर एक बार निकाय चुनावों में कांग्रेस पूरी तरह डूबने की कगार पर जा पहुंची और कांग्रेस के महानगर अध्यक्ष सीपी शर्मा इस सबके लिए बड़े पैमाने पर जिम्मेदार है, क्योंकि उन्होंने जिला कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष हिमांशु गावा सहित अन्य जमीनी स्तर के नेताओं से कोई राय मशविरा नहीं किया बल्कि गोपनीय कार्य में भी एक ऐसे व्यक्ति को बैठाया जो टिकट बांट कर चंद घंटों में ही ठुकराल के भाजपा प्रत्याशी को समर्थन करने के ऐलान के समय उनके खेमे में दिखने लगा ऐसे में प्रदेश की कांग्रेस को गंभीरता से विचार विमर्श करने की जरूरत है और अपने कर्मठ ईमानदार कांग्रेसी नेताओं से राय शुमारी करनी चाहिए।
दर असल भारतीय जनता पार्टी के मेयर उम्मीदवार विकास शर्मा ने आपदा के दौरान जिस तरह युद्ध स्तर पर आम जनमानस को राहत पहुंचाने का काम किया और जनता के बीच जाकर सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं में उनकी भागीदारी सुनिश्चित कराईं इसे देखते हुए भी रुद्रपुर की जनता और मुस्लिम समुदाय का रूझान उनकी तरफ जाता दिखाई दे रहा है और मुस्लिम समुदाय अपनी हवलेहना का सबक कांग्रेस को सिखाने का मन बना चुका दिखाई दे रहा है,कांग्रेस प्रत्याशी मोहन लाल खेड़ा कहीं इन कांग्रेसियों की अंदरूनी साजिश का शिकार तो नही हो रहे ?
समय रहते अगर कांग्रेस प्रत्याशी निजी रूप से स्थिति को समझकर स्वयं फैसला ले लेते हैं तो कांग्रेस की स्थिति में सुधार होने की संभावनाएं हो सकती हैं।और यदि यह वास्तव में दिखावे की नूरा कुश्ती ही है तो फिर इसके सूत्रधार चुनाव परिणामों के बाद खुद बेनकाब हो जायेंगे। फिलहाल कांग्रेस वर्तमान चुनाव में जिस हालत में है उससे कल्पना की जा सकती है कि पदों पर बैठे आस्तीन के साप स्वयं कांग्रेस को डसने पर आमादा हैं

