नैनीताल_गेमिंग में नाबालिग ने आनलाइन गवा दिए पिता की मेहनत की कमाई के पौने दो लाख रुपए

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एक गेमिंग स्टोर में नाबालिग ने ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान पिता के पौने दो लाख रुपये गंवा दिए। जब पिता को इसकी जानकारी हुई तो वह बेटे को लेकर कोतवाली पहुंचे। पुलिस ने गेम स्टोर संचालक से पूछताछ की।नैनीताल के पास मल्लीताल स्थित एक गेमिंग स्टोर में नाबालिग ने ऑनलाइन गेम खेलने के दौरान पिता के पौने दो लाख रुपये गंवा दिए। जब पिता को इसकी जानकारी हुई तो वह बेटे को लेकर कोतवाली पहुंचे। इधर, पुलिस ने गेम स्टोर संचालक से पूछताछ के साथ ही नाबालिग की काउंसिलिंग कर उसे स्वजनों के सुपुर्द कर दिया।तल्लीताल निवासी एक व्यापारी ने अपना बैंक का खाता चेक किया तो इसमें से पौने दो लाख रुपये कम पाए। परिजनों से जांच की तो भी कुछ पता नहीं चला। बेटे पर सख्ती दिखाने पर उसने बताया कि वह ऑनलाइन गेम खेलता है। वह प्रतिदिन खाते से दो से तीन हजार रुपये निकालकर ऑनलाइन गेम खेलने मल्लीताल जाता था। जिसके बाद पिता बेटे को लेकर कोतवाली पहुंचे और पुलिस को मामले की जानकारी दी।कोतवाल ने गेमिंग स्टोर संचालक को कोतवाली बुलाया। बिना स्वजनों की अनुमति के रोजाना बच्चे को ऑनलाइन गेम खिलवाने पर गेमिंग स्टोर संचालक को कड़ी फटकार लगाई। कोतवाल हरपाल सिंह ने बताया कि किशोर के स्वजन कोई कार्रवाई नहीं करना चाहते थे। जिस कारण बच्चे की काउंसिलिंग के बाद उसे स्वजनों के सुपुर्द कर दिया गया।
आनलाइन गेमिंग के दौरान अभिभावक रहें सतर्क
बच्चों को पूरी तरह से टेक्नोलाजी से दूर नहीं किया जा सकता है, लेकिन अभिभावकों को यह ध्यान रखना होगा कि बच्चों को कितनी देर के लिए स्मार्टफोन देना है। साथ ही, पबजी जैसे खतरनाक गेम्स को लेकर भी बच्चे को जागरूक करने की जरूरत है। सरकार द्वारा बैन होने के बाद भी इस तरह के हिंसक गेम बच्चे जुगाड़ से डाउनलोड कर लेते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों की इंटरनेट गतिविधियों पर भी नजर रखनी चाहिए। आमतौर पर देखा गया है कि जिन बच्चों में गेमिंग की लत होती हैं। रात में सोने के समय भी छिपकर गेम खेलते हैं और दिन में ऊंघते रहते हैं। अगर इस तरह की चीजें बच्चों में दिखने लगें तो अभिभावकों को सतर्क हो जाना चाहिए।इन हरकतों पर रखें नजर

अगर आपका बच्चा आनलाइन एक्टिविटीज के दौरान स्क्रीन छिपाने लगता है, तो फिर सावधान हो जाना चाहिए। खासकर आपके द्वारा पूछे जाने पर बच्चा अगर अचानक स्क्रीन बदल दे, तो समझ जाएं कि वह कुछ ऐसा कर रहा है, जो उसे नहीं करना चाहिए। अगर बच्चा ऑनलाइन गेम खेलता है, उस एप की ऐज रेटिंग जरूर जांच लें यानी अगर कोई गेम आपके बच्चे की उम्र के लिए सही नहीं है, तो उसे वह गेम बिल्कुल भी खेलने न दें। कभी-कभी आप भी अपने बच्चे के साथ आनलाइन गेम खेलें ताकि आपको पता चल सके कि गेम खेलते हुए आपका बच्चा कैसा व्यवहार करता है

बच्चों को इन गेम्स से बचाएं
अगर बच्चे को हिंसक गेम की आदत है, तो फिर उस पर नजर बनाए रखें। एक रिसर्च के मुताबिक, जो बच्चे हिंसक यानी गन वाले वीडियो गेम देखते या खेलते हैं, उनमें गन को पकड़ने और उसका ट्रिगर दबाने की ज्यादा इच्छा होती है। इस रिसर्च में 200 से ज्यादा बच्चों में 100 को नान-वायलेंट वीडियो गेम और 100 को गन हिंसक वाले वीडियो गेम खेलने को दिए गए। रिसर्च में पाया गया कि हिंसक गेम खेलने वाले 60 प्रतिशत बच्चों ने तुरंत गन को पकड़ा, वहीं बिना हिंसक गेम खेलने वाले सिर्फ 44 प्रतिशत बच्चों ने गन को पकड़ा।

इन टूल की लें मदद
बच्चों की आनलाइन गतिविधियों पर नजर रखने के लिए गूगल फैमिली लिंक एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसकी मदद से अभिभावक बच्चे की इंटरनेट एक्टिविटीज को मानिटर कर पाएंगे। इतना नहीं, इसकी मदद से कहीं से भी बच्चों के डिवाइस को कंट्रोल किया जा सकता है। इसमें स्क्रीन टाइमर भी सेट कर सकते हैं। यह एप गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। इसके अलावा, डिजिटल डिटाक्स बाय शट क्लिनिक एप की मदद भी ले सकते हैं। यह मोबाइल के उपयोग को सीमित करने में मदद करेगा। यह भी गूगल प्ले स्टोर पर मौजूद है। अगर बच्चा पीसी-लैपटाप पर ज्यादा समय बिताता है, तो फिर क्यूसटोडियो, ओपनडीएनएस फैमिली शील्ड, किडलागर, स्पाइरिक्स फ्री कीलागर जैसे साफ्टवेयर की मदद से इंटरनेट गतिविधियों पर नजर रख सकते हैं।


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