रूद्रपुर में कविताओं की रात — शहीदों, महापुरुषों और देवभूमि को समर्पित विराट कवि सम्मेलन में उमड़ा जनसैलाब

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देशभक्ति, हास्य, श्रृंगार और व्यंग्य की कविताओं से गूंज उठा जनता इंटर कॉलेज का प्रांगण

रूद्रपुर – जनता इंटर कॉलेज का प्रांगण रविवार की रात साहित्यिक और सांस्कृतिक माहौल से सराबोर रहा, जब उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस और राष्ट्र के अमर शहीदों व महान पुरुषों की स्मृति में विराट कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन किया गया। पूरी रात कविताओं की स्वर-लहरियों ने जनसमूह को भावनाओं, हास्य और देशभक्ति के समंदर में डुबोए रखा।

कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि समाजसेवी एवं वरिष्ठ उद्योगपति शिव कुमार और आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तराखंड के अध्यक्ष एडवोकेट डी.पी. यादव ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। इसके बाद सरस्वती वंदना से कवि सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत हुई।

दिनेश बावरा ने मंच संचालन करते हुए अपनी विशिष्ट प्रस्तुति से कार्यक्रम को रोचक और ऊर्जावान बनाए रखा। कार्यक्रम में वीरता, व्यंग्य, श्रृंगार और सामाजिक सच्चाइयों पर आधारित कविताओं की मनमोहक प्रस्तुति ने श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा।

कवयित्री गौरी मिश्रा ने सरस्वती वंदना और उत्तराखंड की सुंदरता पर आधारित काव्य पाठ से वातावरण को भक्ति और गर्व से भर दिया। कवि हिमांशु शंकर ने अपनी ओजस्वी रचना —

> “एक लक्ष्मण, एक सीता, एक दीपक आस का,

एक भोगी और भी है राम के वनवास का।”

से मंच की दिशा तय कर दी।

वहीं प्रसिद्ध कवि शंभू शिखर ने राजनीति पर व्यंग्य कसते हुए कहा —

> “उत्तर प्रदेश आना ट्रंप सोच समझकर,

योगी जी तुम्हें ट्रंप से तिवारी न कर दे।”

उनकी इस चुटीली शैली पर पूरा सभागार ठहाकों से गूंज उठा।

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संचालक दिनेश बावरा ने समकालीन यथार्थ पर कटाक्ष करते हुए कहा

> “इस दुनिया को खतरा न चीन से है, न पाकिस्तान,

सबसे बड़ा खतरा आज की तारीख में मोबाइल से है।”

कवयित्री गौरी मिश्रा ने आगे कहा

> “कृपा ईश्वर ने बरसाई है सारी देवभूमि पर,

जहां जी चाहे अपनी आस्था से सिर झुका दें हम।”

उनकी प्रस्तुति पर हॉल तालियों से गूंज उठा।

कवि सुदीप भोला ने विभाजन और मानवीय पीड़ा पर मार्मिक पंक्तियों से भावनाओं की लहर दौड़ा दी, जबकि अमित शर्मा ने सिख समाज के बलिदानों और रामराज्य की अवधारणा को समर्पित रचनाओं से श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।

वीर रस के धुरंधर कवि डॉ. हरिओम पंवार ने जब मंच संभाला, तो पूरा सभागार देशभक्ति की भावना से सराबोर हो उठा। उनकी अमर पंक्तियाँ

> “उन आंखों की दो बूंदों से सातों सागर हारे हैं,

जब मेहंदी वाले हाथों ने मंगलसूत्र उतारे हैं।”

सुनकर हर दिल गर्व और भावनाओं से भर गया।

प्रसिद्ध हास्य कवि प्रताप सिंह फौजदार ने अपने व्यंग्य से वातावरण को हंसी और ठहाकों से भर दिया, जबकि नवोदित कवयित्री काव्या जैन ने अपनी जोशीली प्रस्तुति से सबका दिल जीत लिया। उन्होंने कहा —

> “हर गीत मातृभूमि को समर्पित, यह मेरी पहचान है,

उम्र भले कम है, पर दूर तक मेरा नाम है।”

कार्यक्रम के संयोजक और पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने सभी कवियों, अतिथियों और श्रोताओं का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन समाज में साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को सशक्त करने का कार्य करते हैं।

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कवि सम्मेलन में किच्छा विधायक तिलक राज बेहड़, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्रीमान डाल चंद, नगर के प्रतिष्ठित नागरिक, साहित्य प्रेमी, व्यापारी वर्ग, जनप्रतिनिधि और सिख समाज के अनेक गणमान्यजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

सुबह साढ़े चार बजे तक चली यह कवितामयी रात रूद्रपुर की सांस्कृतिक चेतना में नई ऊर्जा और उत्साह भर गई।


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