राजनीतिक पार्टियां धर्म जाति मजहब भाषा का इस्तेमाल कर लोगों में घृणा फैलना बंद करें हमें गहनता से सोचना होगा – राष्ट्रीय एकता मंच

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दिल्ली में विभिन्न धर्मों से जुड़े गुरुओं ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस नफरत फ़ैलाने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कड़ी नाराजगी जताई

एम सलीम खान/शबाना आजमी

देश में धर्म जाति मजहब भाषा को लेकर लगातार प्रतिक्रियाएं व्यक्त करने वाले राजनीतिक दलों के नेताओं के खिलाफ राष्ट्रीय एकता मंच ने कड़ी नाराजगी जताई है, मंच से जुड़ें विभिन्न समुदायों के महानुभावों ने इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि देश की कौमी एकता और अखंडता को खंडित करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे, जिससे भारत में अराजकता का माहौल पैदा न हो, इसके लिए हम सर्वोच्च न्यायालय से लेकर देश की राष्ट्रपति की चौखट पर दस्तक देने से पीछे नहीं हटेंगे, दरअसल बीते कुछ सालों से देश भर में धर्म जाति मजहब भाषा को ऐसे ऐसे बयान सामने आएं हैं, जिसके चलते देश में विभिन्न धर्मों के खिलाफ आपत्तिजनक स्थिति पैदा हो रही है, वहीं आए दिन कोई न कोई किसी धर्म विशेष पर कथित टिप्पणियां कर पवित्र धर्म गुरुओं और ग्रन्थों को लेकर भम्रक प्रतिक्रियाएं दी जा रही है,इन सब बातों पर गौर करते हुए राष्ट्रीय एकता मंच से जुड़ें विभिन्न समुदायों और धर्मों के जनप्रतिनिधियों ने गहरी चिंता जताई है, जिसके बाद चुनावी माहौल में उन्होंने इस पर प्रतिबंध लगाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग सहित सर्वोच्च न्यायालय और देश के राष्ट्रपति को पत्र भेजने का फैसला लिया है, अभी हाल ही में धीरेन्द्र शास्त्री ने एक धर्म विशेष के अली मौला को लेकर विवादित टिप्पणी दी थी, जिसके बाद मुस्लिम समुदाय ने उनकी इस कथित टिप्पणी पर गुस्से का इजहार करते हुए उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज भी कराई थी, हालांकि बाद में धीरेन्द्र शास्त्री ने अपनी कथित टिप्पणी को लेकर कहा था कि यह सब उन्होंने नहीं बल्कि एक जिन ने कहा था और उन्होंने इसके लिए माफी मांगी थी, वहीं सपा नेता मौर्य ने राम चरित मानस को कथित तौर पर बयान दिए, जिसके कारण हिंदू धर्म के अनुयायियों को गहरा आघात पहुंचा था,यह सब सियासत में आम बात हो गई है,अपना उल्लू सीधा करने के देश भर के राजनीतिक संगठन किसी न किसी धर्म पर टिप्पणी, करते हुए नजर आते हैं, जबकि उनका असली मजहब और धर्म अपनी ओछी राजनीति करना होता है,इन सब बातों को गंभीरता से लेते हुए अब राष्ट्रीय एकता मंच के लोगों ने इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है।

उनका मानना है कि इस तरह की बातों से भारत भारत में नहीं बल्कि अन्य मुल्कों में कमजोर हो रहा है, ऐसे में भारत पर कुछ फिराका परस्त ताकतें नजरें गड़ाए बैठी है, कि कब उन्हें कोई मौका मिले और वे इसका फायदा उठाएं, उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में भारत भले ही अन्य देशों के नजरों में बेहद शक्तिशाली है, लेकिन भारत इन बातों को लेकर खुद में कमजोर हो रहा है, इसलिए ऐसे क्रियाकलापों को रोकने के हमें गहनता से विचार करने की जरूरत है,कहा गया कि वो इन बातों पर गौर करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और देश की राष्ट्रपति सहित भारत निर्वाचन आयोग से भी दरख्वास्त करेंगे, हम चाहते हैं कि आने वाले भविष्य को इस तरह की घृणित बातों और क्रियाकलापों से बचाया जाए, उन्होंने सवाल किया कि आखिर कब तक भारत में इस तरह की राजनीति होती रहेगी,कौन देश की कौमी एकता और भाईचारे में स्थरित लाने की कोशिश करेगा,हम इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रहे हैं, हमारी सोच से इत्तफाक रखने वाले लोगों को हम एक मंच पर लाने का निश्चित तौर पर प्रयास करेंगे, उन्हें भारत का बरसों पुराना इतिहास बताया जाएगा,जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था,लोग एक दूसरे के तीज त्यौहार शादी विवाह मरण आदि में शामिल होते थे,सब एक साथ रहकर अन्य देशों के लिए मिसाल बनाते थे, आखिर लोगों ने इन राजनीतिक दलों के बहकावे में आकर भारत की क़ौमी एकता को क्यों भुला दिया, हमें उन्हें याद दिलाना होगा कि हम उस देश में रहते हैं जहां हमारे सूफी संत पीर पैगम्बर ने अपने कदम रखें तो भारत का भविष्य उज्जवल हो गया था,हम चाहते हैं कि फिर से एक बार देश की कोमी एकता की बुनियादों को अंदर से मजबूत किया जाएं, और भारत की बुनियादों को अंदर से कुरेदने वाले लोगों संदेश दिया जाएं कि उनकी तमाम कोशिशों हरगिज कामयाब नही होगी।

लोकसभा चुनाव के चुनाव के बाद अलग-अलग राज्यों में आयोजित किए जाएंगे सेमिनार

राष्ट्रीय एकता मंच ने कहा कि हमें इसके लिए देश भर में लोगों को जागरूक करना होगा, ताकि उन तक हमारी बात पहुच सके, इसके लिए हम देश भर में अलग-अलग राज्यों में कौमी एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने के सेमिनारों का आयोजन करेंगे,इन सेमिनारों में अलग-अलग धर्मों और समाजिक कार्यकर्ता को सम्मिलित किया जाएगा, जिसके लिए हम एक ठोस मसौदा तैयार कर रहे हैं, उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि जब देश में धर्म जाति मजहब भाषा को लेकर फैली घृणा को सिरे से खत्म किया जाए,हम चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी सिर्फ यह समझें कि उसने उस देश में जन्म लिया है जहां विभिन्न समुदायों और धर्मों के लोग मिलजुल कर रहते हैं,ना कोई ऊंचा है और ना कोई नीचा है,ना कोई हिंदू हैं और ना कोई मुसलमान है,ना कोई सिख है और ना कोई ईसाई है, बल्कि सब इन्सानियत को मनाने वाले लोग हैं, ओर आपस में मिलजुल कर रहते हैं,ईद और दिवाली, गुरुनानक देव जी की जयंती और पैगंबर मुहम्मद साहब की जयंती मिलजुलकर मनाते हैं,गुड फ्राइडे को चर्च में प्रार्थना करते हैं,इस तरह से हमारे देश को और मजबूती मिलेगी और भारत पूरी दुनिया में फिर एक बार सोने की चिड़िया कहलाएगा।

मीडिया से भी सौंदर्य बिगाड़ने वालीं खबरों को प्रकाशित न करने की अपील

राष्ट्रीय एकता मंच के विभिन्न पदाधिकारियों ने इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में वहां मौजूद मीडिया कार्मिकों सहित देश भर के बड़े मीडिया प्लेटफॉर्म से मीडिया से अपील करते हुए कहा कि हम इस काम में आप लोगों की मदद भी लेना चाहते हैं और एक गुजारिश भी करते हैं, आप लोग हमारे देश का चौथा स्तंभ है,हम आपसे निवेदन करते हैं कि देश की एकता को खंडित करने वाली खबरों को प्रकाशित करते वक्त आप लोग अपनी जिम्मेदारी का पूरा ध्यान रखें,आप पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी है,आप का एक शब्द देश में घातक स्थिति पैदा कर सकता हैं और एक ही शब्द घातक स्थिति को शांतिपूर्ण बना सकता है,हम चाहते हैं आप लोग भी इसके लिए हमें सहयोग करें,हम आपसे से बड़ी उम्मीदें रखते हैं,आप लोग हमारे देश के लिए चौथे स्तंभ में शामिल हैं, इसलिए आपको भी इसके लिए बेहतर कदम उठाने हैं, आपके सहयोग से देश में फैले हुए इस भ्रम को दूर करने में मदद मिलेगी।

बच्चों को लेकर कहीं ये बातें

राष्ट्रीय एकता मंच के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने कहा कि देश भर के सरकारी और निजी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को सप्ताह में एक बार देश की उन महान विभूतियों से संबंधित जानकारी दी जाएं जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया, हमारे बच्चों को उनके बारे में बताया जाए जिन्होंने अपना सारा जीवन भारतीय समाज में समानता लाने में खर्च कर दिया, जैसे कि डॉ बीआर अंबेडकर,शहीद भगत सिंह, अशफाक उल्ला खां, करतार सिंह सराभा,शहीद ऊधम सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, बिस्मिल, आदि महापुरुषों के जीवन को याद दिलाया जाना चाहिए।

धर्मों की उचित जानकारी दी जाएं

मंच के पदाधिकारियों ने एक सुर में कहा कि हमारे बच्चों को हमारे पूर्वजों की भी जानकारी होने चाहिए, इसके लिए स्कूलों में धार्मिक ग्रन्थों जैसे गीता, कुरान मजीद, ग्रन्थ, बाईबल और भगवान राम, गुरू नानक देव जी, पैगंबर मुहम्मद साहब के जीवन पर भी प्रकाश डालते हुए उन्हें बताया जाएं कि किस तरह मुश्किलों का सामना कर इन महापुरुषों ने धर्म पर आंच नहीं आने दी, बल्कि घौर दिक्कतों के बाद सच्चाई का त्याग नहीं किया,हम चाहते हैं कि हमारे बच्चों को इन सब बातों की जानकारी होनी चाहिए ताकि अगर वो किसी गैर मुल्क में जाएं तो भारत के इतिहास को साझा कर सकें।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में राष्ट्रीय एकता मंच के सेक्टरी एडवोकेट यूसुफ रजा कादरी, सरदार गुरुनाम सिंह संधू, पंडित जय किशन त्रिपाठी, फारुक उस्मानी, सचिव इन्द्र जीत सिंह, डाक्टर सोनिका शर्मा, दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट अशोक कुमार, महबूब अली, सरदार जाफरी,अमर सिंह ढिल्लों,निपेन्द् भटनागर, डॉ गुरुमुख सिंह रंधावा सहित अन्य लोग मौजूद थे।


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