मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा आयोजित मानसून तैयारी कार्यशाला में किया प्रतिभाग

ख़बर शेयर करे -

आपदा मित्र योजना की तर्ज पर प्रारंभ होगी आपदा सखी योजना – मुख्यमंत्री

रूद्रपुर -(एम सलीम खान संवाददाता) मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को देहरादून में उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्राधिकरण द्वारा आयोजित मानसून तैयारी कार्यशाला में प्रतिभाग कर दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का शुभारम्भ किया।

मुख्यमंत्री ने वर्चुअल माध्यम से सम्बोधित करते हुए आपदा मित्र योजना की तर्ज पर “आपदा सखी योजना“ प्रारंभ किए जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा इस योजना के शुरू होने से महिला स्वयंसेवकों को आपदा से पूर्व चेतावनी,

प्राथमिक चिकित्सा, राहत एवं बचाव कार्यों, मनोवैज्ञानिक सहायता आदि के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। यह योजना महिला सशक्तिकरण की दिशा में सहायक सिद्ध होने के साथ आपदा प्रबंधन में समाज की सक्रिय सहभागिता को और अधिक मजबूत एवं प्रभावी बनाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा यह कार्यशाला आपदा प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, जो आने वाली चुनौतियों के बेहतर प्रबंधन के लिए सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से उत्तराखण्ड संवेदनशील राज्य है।

हमें बीते वर्षों में आई प्राकृतिक आपदाओं से सबक लेते हुए काम करना है। मुख्यमंत्री ने कहा प्राकृतिक आपदाओं को टाला नहीं जा सकता, लेकिन त्वरित प्रतिक्रिया, सतर्कता और समन्वित राहत एवं बचाव कार्यों से जन-धन की हानि को कम किया जा सकता है। जिसके लिए सभी विभागों के बीच समन्वय के साथ सजगता एवं संवेदनशीलता भी बेहद जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन सभी विभागों का सामूहिक दायित्व है। जिसमें सभी विभागों के साथ आम जनता की सक्रिय सहभागिता भी आवश्यक है। उन्होंने कहा आपदा प्रबंधन में जनभागीदारी का होना बेहद आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कार्यशाला आपदा प्रबंधन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है जो आने वाली चुनौतियों के बेहतर प्रबंधन के लिए सहायक सिद्ध होगी, उन्होंने कहा कि आपदा की दृष्टि से उत्तराखंड संवेदनशील राज्य है हमें बीते वर्षों में आई प्राकृतिक आपदाओं से सबक लेते हुए काम करना है, मुख्यमंत्री ने कहा प्राकृतिक आपदाओं को टाला नहीं जा सकता लेकिन त्वरित प्रतिक्रिया सतर्कता और समन्वित राहत एवं बचाव कार्यों से जन धन की हानि को काम किया जा सकता है।

See also  मुख्यमंत्री धामी ने 2600 लाभार्थियों को नजूल भूमि के पट्टे निशुल्क वितरित किए, पीएम आवास योजना के 403 को स्वामित्व पत्रों का वितरण किया

जिसके लिए सभी विभागों के बीच समन्वय के साथ सजगता एवं संवेदनशील भी बेहद जरूरी जरूरी है, मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा प्रबंधन सभी विभागों का सामूहिक दायित्व है जिसमें सभी विभागों के साथ आम जनता की सक्रिय सहभागिता भी आवश्यक है, उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन में जनभागीदारी का होना बेहद आवश्यक है।

जब तक समाज जागरूक प्रशिक्षित और सतर्क नहीं होगा तब तक किसी भी सरकारी प्रयास का प्रभाव सीमित ही रहेगा आपदा के दौरान सबसे पहले स्थानीय नागरिक ही मौके पर होते हैं, इसलिए ग्रामीण स्तर पर आपदा प्रबंधन समितियों महिला एवं युवा समूहों स्वयंसेवी संगठनों तथा रेडक्रास जैसी संस्थाओं को प्रक्षिशित करना भी आवश्यक है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदाओं के प्रभावी निपटारे के लिए हमें प्रोएक्टिव और रिएक्टिव दोनों प्रकार की रणनीतियों को अपनाना होगा, जैसे 2024 में गौरीकुंड में बादल फटने की घटना के दौरान प्रोएक्टिव अप्रोच अपनाकर हजारों लोगों की जान बचाने में सफलता प्राप्त की थी वर्ष 2024 में हुए भू स्खलन से पूर्व ही प्रशासन की त्वरित कार्रवाई के कारण 200 से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकी थी।

आपदा के समय प्रभावितों के साथ खड़े रहना हमारी प्राथमिकता है, मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वानुमान पर गंभीरता से काम करने पर आपदा के प्रभाव को कम किया जा सकता है, राज्य सरकार आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक उपायों को अपनाने पर जोर दे रही है, राज्य में रैपिड रिस्पांस टीम गठित करने के साथ डोन सर्विलांस जी आई एस मैपिंग और सेटालाईट मानिटरिग के माध्यम से आपदा के संभावित जोखिम क्षेत्रों की पहचान कर रही है,

आपदा के नुकसान को कम करने के लिए राज्य में आपदा प्रबंधन विभाग एन डी आर एफ एस डी आर एफ एवं स्थानीय प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया गया है, मुख्यमंत्री ने कहा सिल्क्यारा रेस्क्यू अभियान के दौरान भी उन्होंने स्वयं टनल में फंसे मजदूरों से संवाद किया था जिससे उनका हौसला बढ़ाया जा सकाजाए।

मुख्यमंत्री ने आपदा प्रबंधन के लिए एस डी आर एफ,एन डी आर एफ और सैन्य बलों से अधिकारियों को निरंतर समन्वय और संवाद स्थापित करने के लिए कहा, उन्होंने कहा भू स्खलन बाढ़ और अन्य संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कर जेसीबी क्रेन एवं आवश्यक उपकरणों की तैनाती सुनिश्चित की जाए, साथ ही संवेदनशील और पुराने पुलों की तकनीक जांच कर आवश्यकता अनुसार बैली ब्रिज एवं वैकल्पिक व्यवस्था हेतु भंडारण सुनिश्चित किया जाए ।

See also  यहाँ युवक ने बहला-फुसला कर नाबालिग को बनाया हवस का शिकार,गिरफ्तार

उन्होंने नदियों के किनारे बसे क्षेत्रों में जलस्तर की निरंतर मानिटरिग करने,खाघान्न ईंधन पेयजल एवं जीवनरक्षक औषिधियो की पर्याप्त आपूर्ति सभी जिलों में अभी से सुनिश्चित करने के साथ आवश्यक दिशा-निर्देश दिए, मुख्य सचिव आनंद वर्द्धन ने कहा कि यह कार्यशाला आगामी मानसून से पहले व्यवस्थाओं को सशक्त और प्रभावी बनाएगी, उत्तराखंड को कई प्रकार की आपदा का सामना करना पड़ता है, इस वर्ष मौसम विभाग ने मानसून के जल्द आने और सामान्य से अधिक होने का अनुमान लगाया है हमें मानसून से पूर्व पुख्ता इंतजाम करके आपदा के प्रभाव को कम करना है आपदा के दौरान संसाधनों का बेहतर उपयोग और तकनीकी संसाधनों का प्रयोग आपदा के क्षेत्र में क्रांति कारी बदलाव ला रहा है,जिसका हमने और बेहतर इस्तेमाल करना है।

सदस्य राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भारतीय मौसम विभाग ने आगामी मानसून में उत्तराखंड के लिए सामान्य से अधिक बारिश का पूर्वानुमान लगाया है, ऐसे में उत्तराखंड के लिए 15 जून से सितम्बर तक आपदा की नजर से महत्वपूर्ण समय है, उत्तराखंड राज्य बाढ़ बादल फटने भू स्खलन भूकंप की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है इनसे बचने के लिए बेहतर पूर्वानुमान बुनियादी ढांचों जन जागरुकता बेहद जरूरी है।

उन्होंने उत्तराखंड सरकार की सराहना करते हुए कहा कि इस वर्ष चार धाम यात्रा बेहद सुचारू रूप से चल रही है चार धाम यात्रा का प्रबंधन बेहद अच्छा है, उन्होंने भू स्खलन के बचाव के लिए उत्तराखंड को एन डी एम ए ने 140 करोड़ रुपए की स्वीकृति प्रदान की गई है,एन डी एम ए द्वारा 190 संवेदनशील झीलों के लिए उत्तराखंड को 40 करोड़ का आवंटन हो चुका है, उन्होंने कहा फारेस्ट फायर को लेकर उत्तराखंड की तैयारियों इस वर्ष बेहद अच्छी है।

See also  उत्तराखंड_यहाँ खाई मे जा गिरा ट्रक,एक की मौत, एक घायल_SDRF ने किया रेसक्यू

उत्तराखंड को फारेस्ट फायर के लिए करीब 16 करोड़ की स्कीम को स्वीकृति प्रदान की है भूकंप के लिए भी उत्तराखंड को आवश्यकता अनुसार धनराशि दी जाएगी,एन डी एम ए ने पूरे देश में आने वाली आपदाओं के लिए गाइडलाइन बनाईं है जिसे जिले स्तर तक पहुंचाना है, उपाध्यक्ष उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबन्धन सलाहकार समिति विनय रोहेला ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से आपदा के दौरान होने वाले नुकसान को कम से कम किया गया है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में सिल्क्यारा रेस्क्यू अभियान में हमने सफलता हासिल की है, रुद्रपुर में आई बाढ़ के दौरान भी मुख्यमंत्री ने ग्राउंड जीरो पर थे, उन्होंने कहा कि घनसाली में आई आपदा के दौरान भी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सीधे आपदा प्रभावितों के बीच में पहुंचे थे जिससे प्रभावितों का मनोबल बढ़ा था, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुशल आपदा प्रबंधन ने राज्य को विकसित प्रदेश बनाने की ओर आगे बढ़ाया है।

सचिव आपदा विनोद कुमार सुमन ने बताया कि यह कार्यशाला मानसून से पूर्व की तैयारियों को और मजबूत बनाने के लिए की जा रही है, उन्होंने बताया कार्यशाला में मौसम पूर्वानुमान बाढ़ ईडब्ल्यूएस की निगरानी और प्रसार भू स्खलन पूर्व चेतावनी प्रणाली भू स्खलन जोखिम न्यूनीकरण के लिए भू जांच की आवश्यकता संसाधन और परिचालन संबंधी तैयारी ग्लेशियर निगरानी मानसून में होने वाली बीमारियों से बचाव मार्गों पर भू स्खलन एवं बेस्ट प्रैक्टिस सेज जैसे विभिन्न विषयों पर चर्चा होगी जिनका लाभ आने वाले समय में राज्य को मिलेगा,अपर पुलिस अधीक्षक डॉ उत्तम सिंह नेगी,

नगर आयुक्त नरेश चंद्र दुर्गापाल, उप जिलाधिकारी मनीष बिष्ट, सीओ आरडी मठपाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी के एस रावत, अधिशासी अभियंता लघु सिंचाई सुशील कुमार विधुत उमाशंकर चतुर्वेदी जल निगम सुनील जोशी सिंचाई के जैन पिटकूल राजेश कुमार चौबे राकेश बिजलवाण जिला प्रोबेशन अधिकारी व्योमा जैन एस डी आर एफ के जितेंद्र गिरी एस डी ओ बी एस एन एल रोहित कुमार दीक्षित मुख्य अग्निशमन अधिकारी एस के शर्मा जिला पंचायत अधिकारी महेश कुमार सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।


ख़बर शेयर करे -