किसान मेले के समापन समारोह में पहुंचे राज्यपाल,बोले किसान सम्पन्न और खुश रहेगा तभी देश में आएगी खुशहाली

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पंतनगर – महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने 116वें अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के समापन समारोह पर बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।  गाँधी हॉल में आयोजित कार्यक्रम में कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने राज्यपाल महोदय को स्मृति चिन्ह व अंगवस्त्र भेंट किया। इससे पूर्व महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेनि) गुरमीत सिंह ने जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय पंतनगर परिसर में शारीरिक शिक्षा अनुभाग द्वारा तरण-ताल के निर्माण का शिलान्यास किया।

राज्यपाल महोदय ने किसान मेले में लगे  स्टालो का निरीक्षण कर जानकारियां ली। कार्यक्रम में ओवरऑल बेस्ट परफॉर्मेंस स्टॉल मै0 किसान फर्टिलाइजर एजेंसी काशीपुर को तथा महिला क्लब पंतनगर को बेस्ट समूह का पुरस्कार महामहिम राज्यपाल द्वारा प्रदान किया गया।

महामहिम राज्यपाल  ने पंतनगर विश्वविद्यालय के 116वें अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के समापन कार्यक्रम में संबोधित करते हुए कहा कि देश के अन्नदाताओं और आप सभी के बीच उपस्थित होने पर मुझे अपार खुशी हो रही है।

उन्होंने कहा कि हमारे लिए यह गर्व की बात है कि  1960 में देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, पंतनगर स्थापित किया गया। जो आज पूरे देश में सबसे व्यापक और समृद्ध कृषि विश्वविद्यालयों में एक है। हम सभी जानते हैं कि इस विश्वविद्यालय का कृषि के विकास में बहुत बड़ा योगदान रहा है। जो स्थापना काल से ही कृषि शिक्षा, अनुसंधान, प्रसार एवं कृषि विकास के एक प्रमुख केन्द्र के रूप में विख्यात है।

उन्होंने कहा कि हमारे इस विश्वविद्यालय ने देश में हरित क्रान्ति लाने में अग्रणी भूमिका निभाई। यह प्रसन्नता का विषय है कि वर्तमान तक इस विश्वविद्यालय ने लगभग 40 हजार से भी अधिक छात्रों को डिग्रियां प्रदान की है जो देश और विदेशों में नित्य नयी कृषि विकास की गाथा लिख रहे हैं महामहिम राज्यपाल ने कहा कि अपनी विकास यात्रा के दौरान विश्वविद्यालय को वर्ष 2005 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का सरदार पटेल उत्कृष्ट कृषि संस्थान पुरस्कार वर्ष 2019 में कृषि विश्वविद्यालयों में देश में तीसरा स्थान और हाल ही में विश्व के लगभग 31000 विश्वविद्यालयों में क्यू एस रैंकिंग में पहली बार देश में एकमात्र कृषि विश्वविद्यालय के रूप में इस विश्वविद्यालय ने 361 वे स्थान पर होने का गौरव प्राप्त किया है।

मैं उपलब्धियों के लिए पूरे परिवार को हार्दिक बधाई देता हूं, राज्यपाल महोदय ने कहा कि हम जानते हैं कि यह विश्वविद्यालय उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के लिए प्रसिद्ध है, मुझे बताया गया है कि गत वर्ष अक्टूबर व इस वर्ष मार्च के किसान मेले से डेढ़ करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के बीज किसानों तक पहुंचे हैं, उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा अब तक विभिन्न फसल सब्जी एवं फल आदि के 300 से भी अधिक प्रजातियों का विकास किया है,जो सराहनीय कार्य है उन्होंने कहा कि मुझे बताया गया कि पशुधन विकास के क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय ने उल्लेखनीय प्रगति की है।

साहीवाल एवं बद्री गाय मुर्रा भैंस पन्तजा बकरी उत्तरा फाउल कुक्कुट एवं मत्स्य प्रजातियों पर अनुसंधान कर दूध मांस अण्डा आदि विभिन्न प्रकार के उत्पादों में उल्लेखनीय वृद्धि की है, महामहिम ने कहा कि उत्तराखंड की जलवायु विभिन्न प्रकार के औषधीय एवं सगन्ध पौधों के लिए बहुत ही अनुकूल है,जिसका ध्यान रखते हुए विश्वविद्यालय के औषधीय एवं सगन्ध पौधों शोध केंद्र द्वारा अनेक तकनीक विकसित किए गए हैं जो विशेष रूप से लघु एवं कृषकों हेतु लाभकारी है, उन्होंने कहा हमारे दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने तत्कालीन परिस्थितियों के अनुरूप जय जवान जय किसान का नारा दिया था।

समय की मांग को देखते हुए पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने इसमें विज्ञान शब्द जोड़ा था, वर्तमान में हमारे यशश्वी पीएम नरेंद्र मोदी जी ने अपनी दूरदर्शी सोच विचार से इस नारे में अनुसंधान शब्द को जोड़ दिया है और अब यह नारा जय जवान जय किसान जय विज्ञान जय अनुसंधान हो गया है, अनुसंधान मतलब इनोवेशन और नये आइडिया के साथ देश को आगे बढ़ाने का संकल्प जो इक्कीसवीं सदी में समय की मांग है, उन्होंने कहा कि आज समय आ गया है जब हमें नये संकल्प के साथ नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाने की जरूरत है, हमारे कृषि वैज्ञानिकों को कृषि उत्पादकता और खाघ प्रसंस्करण की समस्याओं के समाधान के लिए संकल्प के साथ काम करना होगा व काश्तकारों के जीवन को आसान बनाने की दिशा में और काम करना होगा।

राज्यपाल ने कहा कि आज देश में कृषि के समक्ष बढ़ती जनसंख्या सिकुड़ती कृषि भूमि गिरते भू जल स्तर मिट्टी की घटती उर्वरता और जल वायु परिवर्तन जैसी अनेक चिन्तनीय समस्याएं उपस्थित हैं जिनका समाधान खोजना आप जैसे कृषि पेशेवरों का दायित्व है, आपकों ऐसे प्रयास करने होंगे जिससे हमारी विशाल जनसंख्या को पर्यावरण और जैव विविधता को कम से कम नुकसान पहुंचे और पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराया जा सके, कृषि पेशेवरों के लिए यह एक चुनौती भी है और अवसर भी उन्होंने कहा कि खेती की लागत कम करने उत्पादकता बढ़ाने कृषि को पर्यावरण के अनुकूल और अधिक लाभदायक बनाने में टेक्नोलॉजी की अहम भूमिका है उन्होंने कहा कि पानी कृषि का एक अहम घटक है जो सीमित मात्रा में उपलब्ध है।

इसलिए यह आवश्यक है कि सिंचाई में तकनीकी का अधिकतम प्रयोग होना चाहिए उन्होंने कहा कि हमारी स्थानीय आवश्यकताओं और स्थितियों के अनुसार समाधान करने के लिए टेक्नोलॉजी भी स्थानीय होनी चाहिए, राज्यपाल ने कहा कि आज हम क्लाइमेट चेंज जैसी बड़ी समस्याओं का सामना कर रहे हैं उत्तराखंड की इकोलॉजी और एनवायरमेंट भी बहुत ही नाजुक एवं संवेदनशील है, इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण और संवर्धन करते हुए आगे बढ़ना हमारा लक्ष्य होना चाहिए महामहिम राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड के वशिष्ठ उत्पादों पर अनुसंधान कर यदि उनके विभिन्न प्रकार के बिस्कुट पैक्ड फूड बेबी फ़ूड जैम जैली आचार फल आधारित पेय आदि बनाए जाएं तो प्रदेश एवं किसान दोनों को लाभ होगा,इस प्रकार के कुटीर उद्योगों को स्थापित करने हेतु प्रदेश के किसानों को अधिक से अधिक दशता कौशल आधारित प्रशिक्षण भी दिए जाने चाहिए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में जैविक खेती के साथ साथ प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की आवश्यकता है जिससे जनमानस को उसके थाली में स्वास्थ्यवर्धक भोजन मिले, राज्यपाल ने वैज्ञानिकों से आग्रह करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केन्दो द्वारा विकसित तकनीक को दूरस्थ क्षेत्र के अंतिम पायदान पर बैठे कृषकों तक पहुंचाया जाए, कृषकों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने एवं उनकी आय वृद्धि के लिए प्रयास किए जाएं, किसान सम्पन्न और खुश रहेगा तभी देश में खुशहाली आएगी, उन्होंने अपेक्षा जताते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय प्रदेश की विशेषताओं एवं आवश्यकताओं के अनुरूप शोध एवं प्रसार करते हुए उत्तराखंड के किसानों विशेषकर पर्वतीय क्षेत्र के किसानों की आय में वृद्धि कर उन्हें कृषि से जोड़े रखने व पलायन रोकने में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएगा, उन्होंने कहा कि हमने वर्ष 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है।

हम सभी के सामूहिक योगदान के बल पर ही यह राष्ट्रीय लक्ष्य प्राप्त करना संभव हो सकेगा, उन्होंने 116वे अखिल भारतीय किसान मेले में आएं हुए सभी आगंतुकों कृषकों मातृशक्ति एवं विभिन्न फर्मों के प्रतिनिधियों को मेले में प्रतिभाग करने पर बधाई दी और कृषकों से आव्हान किया कि वे मेले से ज्यादा से ज्यादा उन्नत बीज ले जाएं, कार्यक्रम में कुलपति डॉ मनमोहन सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय की कार्य प्रगातियो की जानकारियां देते हुए बताया कि इस चार दिवसीय किसान मेले में 481 स्टाल लगाए गए, मेले में एक करोड़ 20 लाख की बिक्री हुई,13 हजार कुंतल बीज विक्रय किया गया विश्वविद्यालय को 52 लाख की आय प्राप्त हुई उन्होंने बताया कि मेले में 27 हजार 5 सौ किसानों द्वारा हिस्सा लिया गया।

जिसमें नेपाल के किसानों द्वारा भी प्रतिभाग किया गया कार्यक्रम में प्रगतिशील किसान नरेंद्र मेहरा द्वारा अपने विचार व्यक्त किए गए, समारोह के दौरान निदेशक प्रसार जितेन्द्र कृवात्रा, डॉ ए एस नैन, वीके सिंह, जिलाधिकारी उदयराज सिंह, मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार, एसपी सिटी मनोज कत्याल, सीओ निहारिका तोमर, सहित अनेक कृषि वैज्ञानिक अधिकारी और किसान उपस्थित थे।

एम सलीम खान ब्यूरो


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