थाना क्षेत्र केलाखेड़ा में अवैध कच्ची शराब की बिक्री जोरो पर,सरकड़ी में शाम होते ही लग जाता है बाजार

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केलाखेड़ा – थाना क्षेत्र केलाखेड़ा नगर के निकटवर्ती ग्रामों में अवैध कच्ची शराब का धंधा जोरो पर है। शाम होते ही लोग कच्ची शराब की खरीद के लिए चक्कर लगाने शुरू कर देते है । पुलिस द्वारा कच्ची शराब की रोकथाम के लिए प्रयास उठ के मुंह में जीरा साबित हो रहे है।

बता दे कि केलाखेड़ा से सटे ग्राम रंपुराकजी , सरकड़ी, बाजावला, गुलाब का मंजरा, रामनगर, बेरिया दौलत , और बरवाला आदि में अवैध शराब का धंधा बहुत फल फूल रहा है। आय दिन नशे के आदी इन ग्रामों के रास्तों पर जाते दिखाई पड़ते है जो बिना किसी खौफ के इस जानलेवा शराब का सेवन कर रहे है।

और इसकी बिक्री करने वाले तो इतनी निडरता से इसकी बिक्री कर रहे है मानो कि वो कानून और नियमों को अपनी जेब में रखते हो। इन अवैध शराब के व्यापारियों का दुस्साहस इतना है कि वो अक्सर सरेआम सड़क पर पकौड़ी या चाट आदि के स्टाल के नाम पर छुपाकर कच्ची शराब बेचते नजर आते है। क्षेत्र में इन लोगों के खिलाफ मामूली करवाई कर संबंधित विभाग अपनी जिम्मेदारी से इतिश्री हो जाता है जबकि अवैध शराब के हजारों लीटर के लहान के स्थान पर चंद लीटर खराब को दिखाकर नष्ट कर दिया जाता है ।

जिससे इन अपराधियों के हौसले आसमान छू रहे है। इसके अलावा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ज्ञात हुआ कि केलाखेड़ा क्षेत्र में स्मैक के नशे का व्यापार भी जारी है , जिसकी लत युवाओं में अनेक आपराधिक प्रवृत्तियों को जन्म दे रही है ।

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कैसे बनाई जाती है अवैध कच्ची शराब , क्यों है ये जानलेवा?

अवैध कच्ची शराब बनाने वाले लोग अक्सर इसमें कई तरह के खतरनाक और जहरीले पदार्थ मिलाते हैं ताकि यह ज्यादा नशीली लगे और इसका उत्पादन सस्ता हो सके। ये पदार्थ न सिर्फ सेहत के लिए बहुत हानिकारक होते हैं, बल्कि कई बार मौत का कारण भी बन सकते हैं।

मेथनॉल- अवैध कच्ची शराब में मेथनॉल मिलाया जाता है।यह सबसे खतरनाक रसायन है जो एक औद्योगिक अल्कोहल है जिसका उपयोग पेंट, सॉल्वेंट आदि में होता है। मेथनॉल सस्ता होने के कारण शराब बनाने वाले इसे इथेनॉल (जो पीने लायक अल्कोहल होता है) की जगह इस्तेमाल करते हैं। मेथनॉल का सेवन करने से अंधापन, तंत्रिका तंत्र (नर्वस सिस्टम) को नुकसान, कोमा और यहां तक कि मृत्यु भी हो सकती है।

यूरिया और नौसादर – कच्ची शराब बनाने के लिए आमतौर पर गुड़ या महुआ जैसी चीजों को सड़ाया जाता है। इस प्रक्रिया को तेज करने के लिए यूरिया और नौसादर का इस्तेमाल किया जाता है। इनकी अधिक मात्रा शराब को जहरीला बना देती है।

ऑक्सीटोसिन : यह एक हार्मोन है जिसका उपयोग जानवरों में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है। अवैध शराब बनाने वाले इसे फर्मेंटेशन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए मिलाते हैं। यह भी स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होता है।

अन्य हानिकारक तत्व: कई बार अवैध शराब बनाने वाले इसमें और भी कई चीजें मिलाते हैं, जैसे:

सड़े-गले फल और सब्जियां

पेट्रोल और मोबिल ऑयल

आयोडेक्स और दर्द निवारक दवाएं

यहां तक कि कुछ मामलों में सांप और छिपकली भी।

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ये सभी तत्व शराब को और भी ज्यादा जहरीला बना देते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शरीर के अंगों का काम करना बंद हो जाता है और व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। वैध और नियंत्रित प्रक्रिया में बनी शराब में सिर्फ एथेनॉल होता है, जबकि अवैध शराब में यह सब हानिकारक तत्व मिलाए जाते हैं।


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