21 नवंबर को हुई वार्ता फिर हो गई असफल डोल्फिन श्रमिकों ने की प्रेस वार्ता कही डाली यह बड़ी बाते

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रुद्रपुर – (एम सलीम खान ब्यूरो) विगत 33 दिनों से आमरण अनशन पर बैठी डॉल्फिन कम्पनी, सिडकुल पंतनगर (उत्तराखंड )की 4 आमरण अनशन कारी महिलाओं की स्थिति बहुत नाजुक हो चुकी है। अनशन स्थल गाँधी पार्क में हुईं प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए डॉल्फिन मजदूर संगठन के अध्यक्ष ललित कुमार ने कहा कि मरणासन्न स्थिति में पहुँच चुकी 4 अनशनकारी महिलाओं पर शासन प्रशासन को बिल्कुल भी तरस नहीं आ रहा है।

कल कलेक्ट्रेट रुद्रपुर में हुईं वार्ता के दौरान कम्पनी प्रबंधक और प्रशासनिक अधिकारीयों व ALC, DLC द्वारा आमरण अनशन कारी महिलाओं को ड्यूटी पर बहाल करने से साफ इंकार कर दिया। खासकर पिंकी गंगवार को लेकर उक्त सभी लोगों के मन में विद्वेष का भाव दिखाई दे रहा था। जबकि 28 अगस्त को सामूहिक कार्यबहिष्कार के दिन तक पिंकी गंगवार कंपनी में कार्यरत थीं। उन्हें इससे पहले ही कम्पनी द्वारा आरोप पत्र दिया जा चूका था।

उनके लिए कम्पनी ने अब तक निलंबन आदेश भी जारी नहीं किया है। तो फिर उनकी कार्यबहाली क्यों नहीं की जायेगी इस पर कोई भी अधिकारी बात करने को तैयार नहीं है। ऐसे ही कई श्रमिकों को जिन्हें कंपनी ने आरोप पत्र दिए गए हैं वो भी कार्यबहिष्कार के दिन तक भी कंपनी में कार्यरत थे उन्हें भी ड्यूटी पर लेने से इंकार करते हुए समझौते में दर्ज किया गया था । इसमें अलावा 44 ऐसे श्रमिक जो इस दौरान अन्य कम्पनियों में कार्य कर रहे हैं, उन्हें भी नौकरी पर ना लेने की बात भी शर्त में दर्ज थीं।

जिन 61 श्रमिकों ने पुलिस सत्यापन नहीं कराया है उन्हें भी सत्यापन कराने के बाद ही बहाल करने की बात दर्ज थी।जो कि श्रम कानूनों का खुला उल्लंघन है।अनशन पर बैठी कृष्णा देवी का कम्पनी में हाथ टूट गया था उन्हें इसी कारण नौकरी से निकाल दिया।अनशन पर बैठी पुष्पा और प्रेमवती की इसलिए गेटबंदी कर दी गईं थी कि वो अपने पिताजी के देहांत होने पर उनके अंतिम दर्शन करने को 5 दिन की छुट्टी लेकर गई थीं। कल की वार्ता में उन्हें भी नौकरी पर बहाल करने से मना कर दिया गया। कम्पनी और प्रशासन मिलकर कानूनों का खुला उल्लंघन करकर पीड़ित मजदूरों को ही दबा रहे हैं।

डॉल्फिन मजदूर संगठन की उपाध्यक्ष सुनीता ने कहा कि कहा जाता है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। किंतु यहाँ तो उल्टी गंगा बह रही है। कम्पनी मालिक और शासन-प्रशासन मिलजुलकर कानूनों का खुला उल्लंघन कर रहे हैं। भारत देश के कानूनों को रद्दी की टोकरी में फेंककर डॉल्फिन कम्पनी मालिक के ही धुन पर नाँच रहे हैं। हमें तो यहां लोकतंत्र नाम की कोई चीज दिखाई नहीं दे रही है। जनता के वोट से जीते जनप्रतिनिधि कम्पनी की गोद में बैठे हुए हैं। यहां लोकतंत्र नहीं धनतंत्र क़ायम है।

जहाँ कानूनों को लागू करने की मांग करने वाले पीड़ित मजदूरों को सत्ता द्वारा डराया,दबाया जाता है उनके साथ दुश्मन जैसा ब्यवहार किया जाता है। तो कानूनों की धज्जियाँ उडाने वाले डॉल्फिन कम्पनी मालिक जैसे पूँजीपतियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है। कानून लागू करने की मांग को लेकर 33 दिन से अनशन पर बैठी भारत देश की 4 मजदूर बेटियों से सत्ता को कोई भी सरोकार नहीं है। यदि हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो हम डॉल्फिन मजदूर क्षेत्र की जनता, अन्य मजदूर यूनियनों और सामाजिक संगठनों संग मिलकर निकाय चुनावों का बहिष्कार करने को विवश होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की ही होगी।

प्रेस कॉन्फ्रेंस को इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश, आम आदमी पार्टी के महानगर अध्यक्ष सतपाल सिंह ठुकराल, CNG टैम्पू यूनियन अध्यक्ष सुब्रत कुमार विश्वास ने भी सम्बोधित किया। इस दौरान सुनीता,रामबेटी,रामलली, पिंकी, रचना, बिमला, रजनी, सोनू,बबलू ,सोमपाल, राजू लाल, सुरेश, सुनील सहित सैकड़ों मजदूर शामिल थे।


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