श्रमिकों ने अब देश की महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन जिलाधिकारी उदयराज सिंह को सौंपा

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डीएम की गैरमौजूदगी में प्रभारी कलेक्टर डॉ अमृता शर्मा करीब एक डेढ़ घंटे बाद लिया ज्ञापन

रुद्रपुर – (एम सलीम खान ब्यूरो) डॉल्फिन कम्पनी सिडकुल पंतनगर (उत्तराखंड )में बुनियादी श्रम कानूनों को लागू कराने की मांग को लेकर विगत 31 दिनों से आमरण अनशन पर बैठी 4 मजदूर महिला अनशनकारियों की प्राणरक्षा हेतु आज तय कार्यक्रम के अनुसार गाँधी पार्क रुद्रपुर से कलेक्ट्रेट तल मौन जुलुस निकाला गया।श्रमिकों में इस बात को लेकर बहुत अधिक रोष ब्याप्त था कि कल 19 नवम्बर 2024 को अनशन का 30वां दिन था ।

तत्पपश्चात् जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन कलेक्ट्रेट प्रभारी को दिया गया। ज्ञापन के माध्यम से अवगत कराया कि कम्पनी में कार्यरत 4 स्थाई महिला मजदूर विगत 31 दिनों से न्यायसंगत और सामान्य सी कानूनी मांगों को लेकर आमरण अनशन पर बैठकर न्याय की गुहार लगा रहीं हैं। न्यूनतम वेतन और बोनस देने की मांग कर रहीं हैं। स्थाई मजदूरों को ठेके के तहत अस्थाई नौकरी में नियोजित करके उनका भविष्य बर्बाद करने के अन्याय पर रोक लगाने और सैकड़ों स्थाई मजदूरों को आरोप पत्र, कारण बताओ नोटिस दिए बिना,उनकी सेवासमाप्ति अथवा निलंबित किए बिना उनकी अवैध रूप से की गईं गेटबंदी को खुलवाकर कार्यबहाली कराने की मांग कर रहीं हैं।

अवगत कराया कि हमने अपने जीवन में किसी भी कम्पनी में बुनियादी श्रम कानूनों का ऐसा घोर उल्लंघन आज तक कभी भी नहीं देखा जो कि डॉल्फिन कम्पनी में हो रहा है। हमने उपरोक्त घोर गैरकानूनी कृत्यों पर जिस तरह से शासन प्रशासन आज निष्क्रिय है और उक्त गैरकानूनी कृत्य में लिप्त डॉल्फिन कम्पनी मालिक को जिस तरह से खुला समर्थन व संरक्षण दिया जा रहा है,ऐसी कोई घटना अभी तक नहीं देखी है।शासन- प्रशासन आमरण पर बैठी हमारे देश की उक्त 4 बेटियों के प्रति जिस तरह से असंवेदनशील और लापरवाह बना हुआ है वह अत्यंत विचलित करने वाली घटना है।

चिंता ब्यक्त की गईं कि सामान्य कानूनी मांगों को लेकर विगत 31 दिनों से आमरण अनशन पर बैठी उपरोक्त 4 महिलाओं के साथ में यदि कोई अनहोनी घटित हो गईं तो यह हमारे उत्तराखंड प्रदेश और भारत देश पर लगा ऐसा बदनुमा धब्बा होगा जिसे हम कभी नहीं मिटा पाएंगे। हम विश्वविरादरी को यह जवाब नहीं दे पाएंगे कि बुनियादी श्रम कानूनों को लागू कराने की उक्त जायज मांग को लेकर लम्बे समय तक आमरण अनशन पर बैठी अपने ही देश की उक्त 4 बेटियों की प्राणरक्षा हेतु भारतीय राज्य ने, उत्तराखंड के शासन -प्रशासन ने कोई भी दखल क्यों नहीं किया और कोई पहल क्यों नहीं की। क्यों पूरी ब्यवस्था अपनी उक्त 4 पीड़ित बेटियों के पक्ष में खड़ा होकर बुनियादी श्रम कानूनों को लागू कराने के स्थान पर गैरकानूनी कृत्य में लिप्त डॉल्फिन कम्पनी मालिक के पक्ष में खड़े होकर महिलाओं के जीवन से खिलवाड़ करने लगी।

उनसे अपील की गईं कि वो नाजुक स्थिति में पहुँच चुकी उक्त चार अनशन कारी महिलाओं -प्रेमवती, पुष्पा, पिंकी गंगवार और कृष्णा देवी सहित सभी अनशनकारियों की प्राणरक्षा हेतु तत्काल हस्तक्षेप करके अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह करें।एक स्वर में सभी श्रमिकों की कार्यबहाली कराने और न्यूनतम वेतन व बोनस के मद में समस्त बकाया धनराशि का भुगतान किया जाये, स्थाई श्रमिकों को ठेके के अधीन नियोजित करने की अवैध गतिविधियों पर तत्काल रोक लगाई जाये। उक्त बुनियादी श्रम कानूनों के उल्लंघन में लिप्त कंपनी मालिक के खिलाफ जिला /सक्षम न्यायालय में वाद किया जाये और दंडित किया जाये।

मौन जुलुस और ज्ञापन के उक्त कार्यक्रम में आम आदमी पार्टी के महानगर अध्यक्ष सतपाल सिंह ठुकराल, महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष किरन पांडे विश्वास, इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश, ठेका मजदूर कल्याण समिति के सुरेंद्र, इंटरार्क मजदूर संगठन कोषाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार, इंटरार्क मजदूर संगठन किच्छा के महामंत्री पान मुहम्मद,मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा )के दिनेश चंद्र, डॉल्फिन मजदूर संगठन की उपाध्यक्ष सुनीता, रामलली, रामबेटी, पिंकी, रचना, सुनीता, बिमला, रजनी,सोनू, बब्लू, सोमपाल, राजू लाल, सुरेश, सुनील सहित बड़ी संख्या में अन्य मजदूर शामिल थे।


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